अंगूठा | Thumb
अंगूठा हर अर्थ में
इतना महत्त्वपूर्ण है कि उस पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना आवश्यक है, केवल शरीर विज्ञान के
क्षेत्र में नहीं, बल्कि हस्तरेखा विज्ञान के क्षेत्र मे भी । हस्तरेखा विज्ञान में निहित सत्य को केवल अंगूठे के अध्ययन को लेकर ही ठोस आधार
प्रदान किया जा सकता है हर युग
में अंगूठे की भूमिका न केवल हाथ में, बल्कि स्वयं विश्व में बहुत स्पष्ट रही है। यह एक जाना-माना
तथ्य है कि पूर्व के अनेक देशों में यदि कोई बन्दी शासकों के सामने लाया जाता था
और वह उंगलियों से अपना अंगूठा ढक लेता था तो स्पष्ट था कि वह मूक रहकर अपनी स्वतंत्रता, अपनी इच्छाओं का परित्याग कर दया की भिक्षा मांग रहा है ।
इजराइल के युद्ध-विवरणों
में ऐसे उदाहरण मिलते जब शत्रुओं के हाथ का अंगूठा काट दिया जाता था ।
जिप्सी लोग किसी व्यक्ति
के चरित्र-निर्धारण में अंगूठे को अपने विचारों का बड़ा आधार मानकर चलते हैं।
भारत में हाथ की रेखाओं
को पढ़ने की अनेक पद्धतियां प्रचलित हैं, किन्तु वहां भी अंगूठे को ही अध्ययन का केन्द व आधार बनाया
जाता है, भले ही
पद्धति कोई भी हो ।
चीन के लोग भी हस्तरेखा
विज्ञान पर विश्वास करते हैं और वे भी अपने निरीक्षण का आधार अंगूठे की स्थिति को
ही बताते हैं ।
यह एक मनोरंजक सत्य है
कि स्वयं ईसाई धर्म में अंगूठे की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है इसे ईश्वर का प्रतिनिधि माना गया है |
यूनानी चर्च में केवल
बिशप पदस्थ पादरी को ही
अधिकार है कि वह त्रिदेव (पिता,
पुत्र और पवित्रात्मा) के
सुचक अंगूठे, तर्जनी और मध्यमा से आशीर्वाद अंकित करे । साधारण पादरी को
पूरा हाथ उपयोग करना होता है ।
यहां तक कि इंग्लैंड के
चर्च में प्राचीन अभिचार में यह आवश्यक है कि बपतिस्मा के लिए क्रास बनाते समय अंगूठे का प्रयोग अवश्य हो।
मस्तिष्क का वह भाग, जो शरीर के किस अंग का सम्बन्ध किस बात से है, इसका निर्धारण करता है, उसे चिकित्साविज्ञान में “अंगूष्ठ केन्द्र” (थम्ब सेंटर) कहा जाता है ।
स्नायु रोगों के
विशेषज्ञों में यह एक सूविख्यात तथ्य है कि वे अंगूठे की परीक्षा करके यह बता सकते हैं कि व्यक्ति पक्षाघात का शिकार हुआ या होने वाला है या नहीं, क्योंकि शरीर के किसी भी भाग में रोग के लक्षण जरा भी प्रकट
होने के बहुत पहले अंगूठा इस बात की ओर इंगित कर देता है । यदि अंगूठे से ऐसा संकेत मिलता है तो तुरंत मस्तिष्क के अंगुष्ठ केन्द्र की शल्य चिकित्सा की
जाती है और यदि आपरेशन सफल रहता है (जिसका संकेत पूनः अंगूठे से मिलता है) तो रोग
का आक्रमण दिशा-हीन हो जाता है और मरीज की रक्षा हो जाती है।
यदि कोई पागलखानों में
जाकर देखे तो यह जाने बिना नहीं रह सकता कि सभी पागलों के अंगूठे बहुत कमजोर और बेकार होते हैं | असल में
तो कुछ के अंगूठे इतने कमजोर
दिखते हैं कि अपने आकार तक
में ठीक से विकसित नहीं हुए होते। कमजोर दिमाग के सभी लोगों के अंगूठे भी कमजोर
होते हैं, और जो स्त्री-पुरुष खड़े-खड़े बातें करते समय अगूठे को
उंगलियों से ढके या छिपाये रहते हैं,
उनमें जरा भी आत्म-विश्वास
या आत्मनिर्भरता नहीं होती। मरते हुए
लोगों के हाथों को देखना अपने-आप में ध्यान देने योग्य है यह देखा जा सकता है
कि मृत्यु ज्यों-ज्यो निकट आती है और जब विचार-शक्ति का लोप हो जाता है तो
अंगूठे की शक्ति समाप्त हो जाती है और
वह हथेली पर लुढ़क जाता है,
किन्तु यदि विचार शक्ति और चेतना केवल अस्थायी तौर पर लुप्त हुई है तो अंगूठे में शक्ति बनी रहती है और जीवन की आशा की जा सकती है।
छोटे, भद्दे और
मोटे अंगूठे वाला व्यक्ति अपने
विचारों में कठोर और क्रूर पाशविक
वृतियों वाला होता है, जबकि लम्बे, सुविकसित अंगूठे वाला पुरुष
या स्त्री सुघर और मानसिक वृत्तियों वाला होगा तथा किसी इच्छा की पूर्ति
के लिए या ध्येय प्राप्ति की दिशा में मानसिक शक्तियों का उपयोग करेगा न कि मोटे और छोटे अंगूठो वाले की तरह पाशविक शक्तियों का ।
इसलिए अंगूठा लम्बा
और मजबूत होना चाहिए अंगुठा न तो हथेली से समकोण पर होना चाहिए और न उससे
आगे सटा हुआ। अंगूठा उंगलियों की तरफ थोड़ा ढलवा होना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं कि उन पर सवार होता दिखाई दे। यदि वह हथेली से समकोण पर होगा तो प्रकृति स्वाधीन
स्वभाव के कारण अति की ओर झूकाव वाली होगी ऐसी प्रकृति को नियन्त्रित अथवा नियोजित करता कठिन होगा, ऐसे लोग किसी विरोध-अवरोध को मानेंगे नही और
उसके व्यवहार और अभ्यास मे आक्रामक रूख अपनाने वाले होंगे |
यदि अगुंठा सुविकसित तो है, किन्तु उँगलियो की ओर झुका, सिकुड़ा हुआ है तो यह स्वभाव मे स्वाधीनता
की घोर कमी को दर्शाता है | यह स्वाभाविक, घबराने
वाले, भीरू किन्तु सावधान स्वभाव का सुचक होगा, ऐसा व्यक्ति क्या सोच रहा है और क्या करने जा रहा है, यह जानना असंभव होगा | वह स्पष्टवादी भी हो सकता है
क्योकी उसका स्वभाव भी बिलकुल विपरीत है |
यदि अगुंठा लंबा है तो व्यक्ति अपने विरोधी
को परास्त करने के लिए अपनी मानसिक शक्तियों का उपयोग करेगा, लेकिन यदि
अगुंठा छोटा और मोटा
है तो वह अपनी सोची किसी हिंसक कार्यवाही को कार्य रूप देने के लिए अवसर की प्रतिक्षा
मे रहेगा | इस प्रकार सुविकसित अगुंठा इन दो चरमो मे सुंदर सामंजस्य का सूचक
है, व्यक्ति मे पर्याप्त स्वाधीनता होगी ताकी उसकी गरिमा और चारित्रिक
दृणता बढ़े, वह अपने कार्यकलापों मे पर्याप्त सजग भी होगा और दृण
इक्छाशक्ति तथा निर्णय वाला होगा |