पासो से भविष्य जानने की विद्या | पासो से भविष्य देखना | पांसों के द्वारा भविष्य कथन | paaso se bhavishy jaanane kee vidya | paaso se bhavishy dekhana | paanson ke dvaara bhavishy kathan

पासो से भविष्य जानने की विद्या | पासो से भविष्य देखना | पांसों के द्वारा भविष्य कथन | paaso se bhavishy jaanane kee vidya | paaso se bhavishy dekhana | paanson ke dvaara bhavishy kathan

आज जुआघरों, क्लबों अथवा अन्य स्थलों पर खेल में प्रयुक्त होने वाले पासो का इतिहास बहुत पुराना है । सोफोक्लीज के अनुसार, पांसे की खोज एक ग्रीक व्यक्ति पालामिडीज ने ट्रॉय की विजय के दौरान की थी । दूसरा मत हेरोडोटस का है । उसके अनुसार, पांसों का सर्वप्रथम चलन लीडियन्स द्वारा किंग अतीस के जमाने में आरम्भ हुआ था । लेकिन ये दोनों ही मत कुछ पुरातत्वविदों द्वारा की गई खोजों के कारण नकार दिये गये । अपनी खोज के आधार पर पुरातत्वविदों ने यह सिद्ध कर दिया कि पांसों का उपयोग पालामिडीज से पहले के मानव-समुदायों द्वारा किया जाता था । इस सम्बन्ध में चौंकाने वाला एक तथ्य यह सामने आया कि ताश की तरह इनका जन्म भी भविष्य के सघन अन्धकार में झांकने के लिए ही हुआ था ।

सभ्यता और संस्कृति के आरम्भिक दौर में, जिनमें उत्तरी अमरीका के रेड इण्डियन्स, अजतेक और माया संस्कृति के लोग, एस्कीमो और अफ्रीकावासी भी शामिल हैं, वे लोग पांसों के जरिये जुआ खेलते थे । इन पांसों को बनाने के लिए उस समय के लोग अनेक प्रकार की सामग्री का प्रयोग करते थे । प्रागैतिहासिक काल में ये पाले चौकोर होते थे और इन्हें बनाने के लिए भेड़ के पैरों की एड़ी वाली हड्डी का उपयोग किया जाता था ।

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कालान्तर में ग्रीक और रोमनकाल में, पांसे बनाने के लिए छोटे पत्थर के चौकोर टुकड़ों, भैंस, सुअर की हड्डियों, हिरन की सीगों आदि का उपयोग किया जाने लगा । उसके बाद इस कार्य के लिए संगमरमर, हाथी-दांत, ब्रांज, ओयनिक्स, जेद अम्बर, पोर्सलीन आदि का उपयोग किया जाने लगा ।

चौकोर पांसों का प्रचलन कई सौ सालों तक रहा । क्यूबिकल अर्थात् घन के आकार के पांसों के प्रचलन का समय, जो आज के वर्तमान समय में प्रयोग किया जाता है, चीन में की गई खुदाई के दौरान प्राप्त पांसों के आधार पर सन् ७०० ईसा पूर्व कूता गया है । मिस्र में की गई कब्रों की खुदाई से यह तथ्य सामने आया कि मिस्र में पांसों का चलन २००० वर्ष ईसा पूर्व में था । लेकिन इनसे भी पहले, अर्थात् सन् २००० ईसा पूर्व से भी पहले, भारत में ये पांसे कुछ रूप-परिवर्तन के साथ प्रचलित थे जिनका विस्तृत वर्णन और खेलों में उपयोग का अच्छा विवरण विश्वविख्यात भारतीय ग्रन्थ ‘महाभारत’ में मिलता है ।

इस आधार पर कहा जा सकता है कि पांसों का जन्म मूलतः भारत में ही हुआ था । यूं तो, विभिन्न समयों में विभिन्न रूप या आकार के पांसों का उल्लेख मिलता है, पर जिन पांसों का उपयोग ‘भविष्य कथन’ के लिए हमने किया है, वे क्यूब या धन के और प्लास्टिक या सेल्युलोज से बनाये जाते हैं । इनकी छह साइड्स हैं । हर साइड पर छोटे-छोटे धब्बे या बिन्दु अंकित रहते हैं । एक पांसे में विभिन्न साइडों पर एक से लेकर छह बिन्दु होते हैं ।

पासों से भविष्य बताने की विधि


पांसों से भविष्य-कथन के लिए दो पांसे लें । इन पांसों को बायें हाथ में लेकर अपने प्रश्न पर पूरी तरह ध्यान केन्द्रित कर खूब हिलायें और उन्हें किसी समतल फर्श, मेज या ऐसे ही किसी स्थान पर धीरे से फेंकें । दोनों पांसे जब रुक जायें तो सबसे ऊपर की साइड पर जितने बिन्दु अंकित हों, उनके जोड़े का नम्बर लिख लें । आगे के भागों को पढ़े, जहां वह जोड़ा मिले, उस भाग पर अपने सवाल की संख्या के आगे लिखी इबारत पढ़ें, जवाब मिलेगा । परन्तु इस विधि का उपयोग करते समय ध्यान रखें – आपको केवल अपने बायें हाथ का ही उपयोग करना है। दायें हाथ का प्रयोग कतई मत करें । उत्तर गलत आयेगा ।

मसलन, आप अगले भाग पर अंकित प्रश्न-सूची में संकलित प्रश्न संख्या पांच का उत्तर जानना चाहते हैं कि “मेरे प्रस्तावित उद्यम या व्यवसाय की योजना सफल होगी ?” इस प्रश्न पर अपना सम्पूर्ण ध्यान केन्द्रित कर उपरोक्त विधि से आप पांसे फेंकें । पांसों में मान लीजिए, एक पांसा 4 और दूसरा पांसा 5 की संख्या देता है । अब आगे के भाग इनमें वह पृष्ठ खोलकर प्रश्न सं. पांच का उत्तर देखें, जिस भाग पर 4 और 5 बिन्दुओं के दो पांसे बताए गए हैं । उस पृष्ठ पर प्रश्न पांच के आगे लिखा है –“हां। लेकिन आपसे ज्यादा दूसरे लोग लाभ उठायेंगे।“ यही आपका उत्तर होगा ।

पासों से भविष्य बताने की विधि[छुपाएँ]
पासों से भविष्य बताने की विधि
दोनों पासो मे एक-एक का आना दोनों पासो मे एक-दो का आना
दोनों पासो मे एक-तीन का आना दोनों पासो मे एक-चार का आना
दोनों पासो मे एक-पाँच का आना दोनों पासो मे एक-छह का आना
दोनों पासो मे दो-दो का आना दोनों पासो मे दो-तीन का आना
दोनों पासो मे दो-चार का आना दोनों पासो मे दो-पाँच का आना
दोनों पासो मे दो-छह का आना दोनों पासो मे तीन-तीन का आना
दोनों पासो मे तीन-चार का आना दोनों पासो मे तीन-पाँच का आना
दोनों पासो मे तीन-छह का आना दोनों पासो मे चार-चार का आना
दोनों पासो मे चार-पाँच का आना दोनों पासो मे चार-छह का आना
दोनों पासो मे पाँच-पाँच का आना दोनों पासो मे पाँच-छह का आना
दोनों पासो मे छह-छह का आना

इसी तरह उपरोक्त विधि से आप किसी भी प्रश्न का उत्तर मालूम कर सकते हैं।

सामान्यत: पूछे जाने वाले सवाल कुछ इस प्रकार से है :

एक : जीवन के किस क्षेत्र अथवा व्यवसाय में मुझे सफलता मिल सकती है ?

दो : मेरे प्रणय-सम्बन्ध क्या मधुर सुखदायी रहेंगे ?

तीन : जीवन में कोई खतरा या जोखिम है ?

चार : मेरी भूली या खोयी हुयी चीज क्या मुझे वापस मिल सकेगी ? यदि हां, तो कहां ?

पाँच : मैं जिस काम, धन्धा या व्यवसाय को करना चाहता हूं, क्या उसमें सफलता मिलेगी ?

छ : क्या मेरी इच्छा पूरी हो सकेगी ?

सात : इस समय मेरी सोच और विचारों को कौन-सा विषय प्रभावित कर रहा है ?

आठ : मैं अपने किस मित्र, अथवा किन लोगों पर भरोसा करूं ? वे विश्वास-योग्य हैं, अथवा नहीं ?

नौ : मैं अपने वर्तमान पेशे को छोड़कर अगर दूसरा धन्धा आरम्भ करूं तो सफलता मिलेगी ?

दस : मैं जिसे (व्यक्ति का नाम लें) प्यार करता या चाहता हूं, क्या वह भी मुझे उतना ही प्यार करता है ?

गयारह : मेरे जीवन में कानूनी झंझट या परेशानियां तो नहीं आयेंगी ?

बारह : अमुक व्यक्ति (नाम लें) के प्रति मेरे विचार अथवा धारणायें सही हैं, अथवा गलत ?

तेरह : अमुक व्यक्ति (नाम लें) के ऊपर बकाया मेरी रकम मुझे वापस मिलेगी, या नहीं ?

चौदह : आने वाला वर्ष मेरे लिए कैसा होगा ?

पंद्रह : जिस उपहार की उम्मीद मैं कर रहा हूं, क्या वह उपहार मुझे प्राप्त हो सकेगा ?

सोलह : लम्बे समय से बिछुड़े मेरे मित्र या सम्बन्धी (नाम लें) के सम्बन्ध में कृपया कुछ जानकारी दें ।

सत्रह : मेरे जीवन में जोखिम भरी घटनाओं अथवा उतार-चढ़ावों की बहुलता है या कमी ?

अटठारह : मैं जिस रहस्य को छुपाना चाहता हूं, वह खुलेगा तो नहीं ?

उन्नीस : क्या मेरी प्रस्तावित यात्रा पूरी हो सकेगी ?

बीस : क्या मेरी महत्त्वाकांक्षा पूरी होगी ?

ईक्कीस : मेरा दाम्पत्य जीवन कैसा होगा ?

बाईस : मेरा जीवन साथी कैसा होगा ?

तेईस : मेरे भावी जीवन में रोमांस के कुछ क्षण हैं, या नहीं ?

चौबीस : निकट भविष्य में मेरे लिए क्या छुपा है ?

पच्चीस : मेरा जीवन-दर्शन अथवा मेरे जीवन का सिद्धान्त क्या होना चाहिए ?

छब्बीस : यात्रा पर गया व्यक्ति (नाम लें) कब तक वापस लौटेगा ?

सत्ताईस : जीवन की वास्तविक सुख-शान्ति मुझे कहां मिलेगी ?

अट्ठाईस : मेरे लिए आगामी वर्ष का कौन-सा समय श्रेष्ठ, सफलतादायी होगा ?

उनतीस : क्या मुझे धन-सम्पत्ति प्राप्त हो सकेगी ?

तीस : मैं घर-परिवार के बीच ही रहूंगा, अथवा मुझे कहीं बाहर जाना होगा ? अथवा, क्या मेरे लिए गृह-परिवर्तन जरूरी है ?

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