पतली, सख्त
और शुष्क हथेली अधीरता व बैचेनी
की सूचक होती है और आतुर प्रकृति
को दर्शाती है।
बहुत
मोटी,
भरी-भरी
और कोमल हथेली प्रकृति की विषयासक्ति की ओर संकेत करती है |
यदि हथेली मजबूत
और लचकदार है और उंगलियो के अनुपात
में है तो इससे बुद्धि की शक्ति, ऊर्जा और मस्तिष्क की तीव्रता का
बोध होता है ।
जब हथेली बहुत मोटी न हो किन्तु कोमल और
गद्देदार हो तो यह अकर्मण्यता, ऐश्वर्य के
प्रति प्रेम और सांसरिक भोग
की तरफ झुकाव को दर्शाती है|
खोखली-गहरी हथेली दुर्भाग्य का लक्षण सिद्ध
हुई है। मनुष्यों के
भाग्य में जितनी निराशाएं लिखी हैं, ऐसी हथेली वालों को प्रायः उनसे कहीं अधिक
का सामना करना पड़ता है । ऐसी गहराई हाथ की किसी एक रेखा या भाग पर अन्य की तुलना
में अधिक दिखायी पड़ती हैं ।
यदि यह गहराई जीवन-रेखा की ओर हो तो इससे
घरेलू मामलों में निराशा और संकट का बोध होता है और यदि शेष हाथ भी बुरे स्वास्थ्य
का सूचक हो तो यह लक्षण संकट ओर दुर्बलता का एक चिह्न होता है ।
जब खोखलापन, गड्ढा
भाग्यरेखा के नीचे पड़ता हो तो व्यवसाय में, धन-सम्पत्ति
को लेकर तथा सांसारिक क्षेत्र में असफलता को दर्शाती है।
यदि गड्ढा हृदयरेखा के नीचे हो तो निकटतम
प्रेम-सम्बन्धों में निराशा की सूचना देता है|
बड़े और छोटे हाथ
यह बात पूरी तरह से ध्यान देने योग्य है कि
आम तौर पर बड़े हाथ वाले लोग अच्छा काम कर दिखाते हैं, काम
में सूक्ष्म विवरणों पर अत्यधिक ध्यान देते हैं, जबकि
छोटे हाथों वाले बड़ी चीजों पर ध्यान देते हैं |
दूसरी ओर छोटे हाथ बड़े-बड़े विचारों को
क्रियान्वित करना पसन्द करते हैं ओर नियमानुसार अपनी क्रियान्वयन शक्ति से बढ़कर
कहीं ऊंची योजनाएं बना बैठते हैं । वे बड़ी संस्थाओं के मुखिया होना
चाहते हैं, मानव समुदायों पर शासन करना
चाहते हैं और सामान्तया छोटे हाथों का लेख भी बड़े-बड़े अक्षरों में होता है ।