एबेल जांसजून तस्मान | आबेल तास्मान | Abel Janszoon Tasman

एबेल जांसजून तस्मान

एबेल जांसजून तस्मान | आबेल तास्मान | Abel Janszoon Tasman

एबेल जांसजून तस्मान (आबेल तास्मान) डच ईस्ट इंडिया कंपनी का कर्मचारी था । उसका जन्म सन् १६०३ में लुट्जगास्ट (Lutjegast) में हुआ था । यह डच नाविक एक अत्यंत साहसी खोज-यात्री था । उसने अपनी यात्राओं के दौरान तस्मानिया (Tasmania), न्यूजीलैंड (New Zealand), तोन्गा (Tonga) और फिजी (Fiji) द्वीप समूहों की खोज की ।

१७वीं शताब्दी के आरंभ में डचवासियों के जलयान बाटाविया (Batavia) से व्यापार के नये स्थानों की खोज में यात्रा पर निकलते थे । अनेक डच कप्तान इन यात्राओं द्वारा आस्ट्रेलिया के किनारे तक पहुंच चुके थे, लेकिन वहां उनके लिए कोई भी स्थान आकर्षण का केन्द्र न बन पाया क्योंकि सभी स्थान लगभग खाली और सुनसान थे ।

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जहां-तहां कुछ लोग रहते भी थे लेकिन वहां के निवासी काले, भयानक और खूंखार थे । वे गरीब तो थे ही साथ ही साथ बड़े खतरनाक भी थे । उन्हीं दिनों डच ईस्ट इंडिया कंपनी के गर्वनर एंथनी वान डीमन (Anthony Van Diemen) ने एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण यात्रा की योजना तैयार की जो एबेल जांसजून तस्मान (आबेल तास्मान) की देख-रेख में संपन्न होनी थी ।

तस्मान ने अपनी यात्रा अगस्त, १६४२ में बाटाविया से आरंभ की । वह हिंद महासागर से होता हुआ मॉरीशस (Mauritius) पहुंचा । उसके पास दो जहाज थे और इनका बेड़ा अक्तूबर में मॉरीशस पहुंच गया था । रास्ते में उसे अनेक समुद्री तूफानों का मुकाबला करना पड़ा । तस्मान एक कुशल समुद्री नाविक था । वहां से उसने पूर्व की ओर चलना आरंभ किया । रास्ते में उसे निराशा ही मिली । लेकिन उसने अपना हौसला न छोड़ा और आगे बढ़ता गया । अंततः वह एक टापू पर पहुचा जिसका नाम उसने डीमन के सम्मान में, वान डीमन लैंड रखा । बाद में सन् १८५६ में तस्मान को सम्मान प्रदान करने के लिए इस टापू का नाम बदलकर तस्मानिया रखा गया ।

एबेल जांसजून तस्मान (आबेल तास्मान) वास्तव में एक अभागा व्यक्ति था । दस महीने तक वह एक विशाल और कष्टों के बाद वह तस्मानिया को ही खोज पाया और आस्ट्रेलिया की खोज मे वह आस्ट्रेलिया की परिक्रमा करता रहा परंतु उसे देख न पाया । इतनी मेहनत के बाद भी श्रेय प्राप्त न कर सका । तस्मानिया की खोज करने के बाद वह अपनी यात्रा पर दक्षिण पूर्व की ओर चलता गया । इसी यात्रा में उसने दो और बड़े टापूओं को खोज निकाला, जो न्यजीलैंड के थे । इनका नाम डच जीलैंड (Zealand) के नाम पर न्यूजीलैंड रखा गया । इस यात्रा को पूरी करने के बाद तस्मान जून, १६४३ में बाटाविया लौट गया ।

यात्रा से वापस आने पर उसका भव्य स्वागत हुआ । उसने तस्मानिया और न्यूजीलैंड के विषय में अनेक जानकारियां लोगों को दीं । सन् १६४३ में तस्मान ने अपनी यात्रा के दौरान आर्चीपिलागो (Archipelago) के उत्तर-पूर्व की ओर कुछ टापू देखे । वे फिजी (Fiji) द्वीप समूह थे । इस प्रकार एबेल जांसजून तस्मान (आबेल तास्मान) को फिजी द्वीप समूहों को खोजने का भी श्रेय प्राप्त हुआ । उस यात्री ने जितना परिश्रम किया, उसका उसे अधिक श्रेय न मिल पाया ।

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