आदम की कहानी । नूह की कहानी | Adam Ki Kahani | Nuh Ki Kahani |Noah Ki Kahani
कुरान का एक विशेष भागा शिक्षाप्रद कथाओं से भरा है । अतः यहाँ पर उन कथाओं का थोड़ा सा वर्णन किया जा रहा है ।
आदम की कहानी | Adam Ki Kahani
“जब परमात्मा ने फरिश्तों से कहा, कि मैं दुनियाँ में एक नायब (सहायक) बनाने वाला हूँ, तो वह बोले – क्या उसमें तू ऐसों को बनायेगा, जो खून और कलह करेंगे । हम तेरी स्तुति करते हैं । भगवान् ने आदम को सम्पूर्णं नाम (ज्ञान) सिखाये, फिर उसे फरिश्तों (देवदूतों) को दिखाकर कहा, यदि तुम सच्चे हो, तो हमें इन (वस्तुओं) के नाम बताओ । फरिश्तों ने कहा – जो कुछ तुने सिखाया है उस के अतिरिक्त हमको मालूम नहीं । तब प्रभु ने कहा- हे आदम; इनको इनके नाम बता दे। फिर जब उसने उन्हें बता दिया तो परमेश्वर ने कहा – क्या मैंने तुमसे नहीं कहा था, कि मैं बहुत सी बातें ऐसी जानता हूँ, जिसे तुम नहीं जानते ।
परमात्मा ने फरिश्तों से आदम को प्रणाम करने को कहा, सबने तो किया; किन्तु सबके सरदार इब्लीस ने नहीं किया (२.४:१-५)
इब्लीस ने कहा, मैं श्रेष्ठ हूँ, मैं आग से बना और यह (आदम) मिट्टी से (३८:५:१४) । फिर इब्लीस ईश्वर के मार्ग को रोककर लोगों को पथभ्रष्ट करने के लिये धमकी दी । इस पर प्रभु ने कहा -उस शैतान-इब्लीस को स्वर्ग से निकाला जायगा और उसकी बात मानने वालों को नर्क में डाला जायगा (७:२:७-५) । किर भगवान ने आदम और उसकी स्त्री को स्वर्गोद्यान में रहने की आज्ञा दी, और यह भी कहा, कि जो चाहे सो खाना; किन्तु अमुक वृक्ष के समीप न जाना (२:४:६) ।
फिर शैतान ने उस आदम की स्त्री को बहुकाया (२:४:७)। अमर या फ़रिश्ता न हो जाओ इसीलिये खुदा ने फल खाना मना किया है” (७.२: ६) । मै तुमको अमर-वृक्ष और अजर-राज्य बता दूँ (२०:७:५) । फल खाने पर उनके अवगुण खुल गये, और वह पत्ते से अपने शरीर को ढाँकने लगे । फिर ईश्वर ने कहा – क्या हमने तुमको मना न किया था, कि शैतान तुम्हारा शत्रु है । सा उतरो…. (७:२:६,११-१३ ) । इस प्रकार शैतान ने उन दोनों को स्वर्ग से निकलवा दिया (२:४:७) । जब काम पूरा हो चुका, तो शैतान ने कहा – परमेश्वर ने ठीक अभिवचन दिया, किन्तु मेरी बात झुठी थी । यद्यपि मेरा शासन तुम पर नहीं था, किन्तु मैने बताया और तुमने मान लिया, अतः मुझे अपराधी मत बनाओ, किन्तु अपने को ठहराओ।” (१४:४:१)
नूह की कहानी | Nuh Ki Kahani | Noah Ki Kahani
परमात्मा ने नूह को उसकी जाति के पास भेजा; कि उस पर यातना पहुँचने से पहिले उन्हें डरा । नूह ने कहा – हे मेरी जाति वालो ! मैं डराने वाला हूँ । परमेश्वर की पूजा करो उससे डरो, और मेरा कहा मानो । अपना प्रयत्न निष्फल देख नूह ने कहा-हे प्रभो ! मैं रात-दिन अपनी जाति को बताता रहा, किन्तु भागने के अतिरिक्त उनके पास मेरी पुकार न पहुँची (७१:१:१३)
उन्होंने तो कहा – अपने ठाकुर- बद्द’, ‘सुबाअ’, ‘यरूस’, ‘यऊक़’ और ‘नस्त्र’ को न छोड़ना । नूह बोला-प्रभो ! नास्तिकों का एक घर भी भूमण्डल पर न छोड़ना; नहीं तो वह तेरे भक्तों को बहकावेगे (७१:२:६,७) । नूह अपनी जाति में ६५० वर्ष रहा (२६:२:१) ।
नूह के विषय में एक और स्थान पर कहा है – नूह को उसकी जाति के पास भेजा जाति ने कहा-हम तुझे भूल में देखते हैं। नूह बोला – मैं भूल में नहीं हूं, किन्तु जगदीश्वर का प्रेरित हूँ । फिर उसकी जाति ने झुठलाया, तब हमने उसको और साथियों को नाव में बचा लिया और जो झुठलाते थे उन्हें डुबा दिया। ( ७: ८ १-३, ६)
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