गुब्बारे से मौत का खेल | Balloon Death Game

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गुब्बारे से मौत का खेल | मौत की छलांग | Balloon Death Game

सुविख्यात पुलिस अधिकारी जैक लण्डन का जन्म सन् १८८२ में लंदन में हुआ था । जैक एक बहुत ही साहसी पुलिसकर्मी था । उन दिनों हवाई जहाज का पूर्ण रूप से आविष्कार नहीं हुआ था, लेकिन बैलून के सहारे उड़ने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी । जैक हवा में झूलते हुए मौत की हवाई छलांग लगाकर दर्शकों को आश्चर्य में डाल देता था । हाइड्रोजन गैस से भरे गुब्बारे में रेशम की रस्सी से जुड़े एक डंडे पर जैक जोखिम-भरे करतब दिखाता था । जब गैस से भरे गुब्बारे से हाइड्रोजन हलकी होकर निकलने लगती, तो लगभग डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई से जैक डंडे से नीचे कूद पड़ता । इस बीच खतरनाक कलाबाजियां खाते जैक की पीठ में बंधी हवाई छतरी खुल जाती और वह अनोखे करतब दिखाता जमीन पर आ उतरता था ।

गुब्बारे को हवा में इधर-उधर डोलने से रोकने के लिए उसमें भारी वजन की कोई चीज बांधना आवश्यक होता था । अपने रोजमर्रा के अनोखे करतबों के कारण जैक युवा वर्ग के लिए रोमांचकारी धड़कन बन चुका था, लेकिन जोखिम भरे कारनामों की यात्रा में जैक लण्डन एक दिन खुद मात खा गया । उसको चुनौती दी थी ९ वर्ष के एक नटखट बच्चे ने, जिसका नाम जिमी वाकर था ।

१८९७ की एक शाम थी । जैक लण्डन आकलैंड में अपने प्रदर्शन के लिए प्रारंभिक तैयारियां पूरी कर रहा था । चारों ओर दर्शकों की भारी भीड़ जैक लण्डन को घेरे खड़ी थी । सभी दर्शक उत्तेजना में जैक जैक चीख रहे थे । उत्साह से जैक का चेहरा भी चमक रहा था । जैक का हाइड्रोजन से भरा गुब्बारा उड़ने के लिए तैयार था । गुब्बारे से जुड़ी रेशम की डोरियों से बंधे डंडे पर रोज की तरह एक रेत का भारी थैला वजन के लिए लटकाया गया था । आकलैंड में वर्जिनिया एस्टेट की रेलवे कंपनी ने जैक लण्डन को विशेष प्रदर्शन के लिए बुलाया था । जिस प्रदर्शन स्थल पर जैक अपने अनोखे करतब दिखाने के लिए तैयार हो रहा था, उसके चारों ओर भीड़ सागर-सी लहरा रही थी । उड़ने वाले गुब्बारे के रस्से जिस तरह खिंचकर तन गए थे, उसी प्रकार जैक के चारों ओर सुरक्षा कर्मचारियों के रस्से उत्साही भीड़ के कारण तन गए । वह अंतिम क्षण आ ही गया, जब जैक ने गुब्बारे की रस्सियों को खोलना शुरू किया । भीड़ का रेला चारों ओर से तूफान की तरह टूट पड़ा । रोमांचकारी चिल्लाहट और जैक के जय-जयकार का नाद छा गया ।

एक शानदार मुस्कराहट के साथ जैक ने हर्षध्वनि करते हुए अपना दायां हाथ हिलाया । उसने देखा कि आज भीड़ पहले की अपेक्षा बहुत ज्यादा थी । जैक भीड़ को चीरता हुआ मुख्य स्थल तक पहुंचा । शोर-शराबे से सारा आसमान गूंज रहा था । अचानक जैक ने देखा कि गुब्बारे में बंधी डोरियों से जुड़े डंडों के पास दो लड़कियां, जिनकी उम्र पंद्रह-सोलह साल के लगभग थी, एक नौ वर्ष के बच्चे को पकड़कर बार-बार कुछ समझा रही थीं ।

शायद वह बच्चा कुछ खीज रहा था । कभी वह झुंझलाकर अपना पैर पटकता, कभी उसके चेहरे पर हलकी मुस्कान की रेखा झलकने लगती । बच्चा किसी चीज के लिए जिद कर रहा था और लड़कियां उसे मनाने में लगी हुई थीं । बच्चा शायद उनका भाई हो, जैक ने मन-ही-मन सोचा ।

बार-बार बच्चा अपने को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था और उसकी दोनों बहनें उसे जकड़े हुए थीं | जैक ने इस घटना को ज्यादा महत्व नहीं दिया और अपनी उड़ान भरने की तैयारी करने लगा । भीड़ बिल्कुल ही बेकाबू हो चुकी थी । चारों ओर से उमड़ा सैलाब जैसे रास्ता तोड़ दे, उसी तरह का माहौल उसे लगा । जैक लण्डन के सहायक वाल्टर ने जैक से कहा, “इतनी भीड़ पहले कभी नहीं हुई । अगर पुलिस का इंतजाम नहीं होता, तो उत्तेजित भीड़ मुसीबत खड़ी कर देती । मैंने भी ऐसी भीड़ पहली बार देखी है।” पसीना पोंछते हुए जैक ने जवाब दिया । “जैक, अब तुम्हें देर कितनी है ? प्रदर्शन के लिए दिया गया निश्चित समय निकलता जा रहा है। तुम तैयार हो जाओ।” – वाल्टर बोला ।

“मैं तैयार हूं। ज्यादा रुकना यहां अब ठीक नहीं।” कहते हुए जैक ने हवाई छतरी फटाफट पीठ पर बांधी और झूलते गुब्बारे की तनी हुई रस्सियों का एकबारगी परीक्षण किया । साथ ही रस्सी से बंधे डंडे को भी, फिर वह गुब्बारे की ओर बढ़ गया और देखते ही देखते गुब्बारे के डंडे पर जा बैठा । उत्तेजित क्षणों में भीड़ तेजी से चीखने लगी और जैक लण्डन ने गुब्बारे को रोकने वाली रस्सियां खोल डालीं ।

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एक क्षण में ही धक्के के साथ गुब्बारा हवाओ की यात्रा पर चल पड़ा । जैक ने अपने पुराने अंदाज में नीचे जमीन की ओर देखा । भीड़ तेजी के साथ छोटी और छोटी पड़ने लगी । धरती, मकान, पेड़ और खेत तेजी से सिकुड़ने लगे । गुब्बारे की गति ऊंचाई की ओर थी, लेकिन इन सबसे हटकर साहसी जैक लण्डन नीचे भीड़ की ओर कुछ आशंका से देख रहा था ।

एकाएक उसकी आशंका आश्चर्य में बदल गई । यह आश्चर्य बढ़ता ही गया । वह सोच रहा था कि आज से पहले उसकी कोई उड़ान ऐसी नहीं थी कि गुब्बारे ने धरती छोड़ी और लोगों की उन्मादी चीखों, तालियों, सीटियों आदि ने हवा को न थर्रा दिया हो, लेकिन आज…?

आज उस उत्साही भीड़ में एक भी आदमी ने न तो ताली बजाई थी और न सीटी । जैक समझ नहीं पा रहा था कि इस डरावनी खामोशी का मतलब क्या हो सकता है ? सारी भीड़ उड़ते हुए गुब्बारे को देखकर रहस्यमय ढंग से चुप थी । अभी जैक गंभीर रूप से इन सोचों में डूबा ही था कि जमीन से लाउडस्पीकर पर वाल्टर की आवाज गूंजी, “जैक! जैक! छलांग मत लगाना… खतरा है…. खतरा है… सावधान! छलांग मत लगाना…. खतरा है जैक।”

जैक समझ नहीं पाया कि अचानक इस उड़ान में क्या घट गया है, जो उसे छलांग न लगाने की बार-बार चेतावनी दी जा रही है । कहीं जमीन के झटके से गुब्बारे को कोई आघात तो नहीं पहुंचा ? या हवाई छतरी खराब हो गई ? या किसी भयंकर चक्रावात आने की अचानक सूचना मिली ?

इससे पहले कि जैक कुछ समझ पाता, एक ऐसी घटना उसके सामने हो गई, जिससे वह आश्चर्य के तूफान में घिर गया । रोमांच की चरम सीमा में उसके शरीर के सारे रोएं खड़े हुए और एकाएक वह डर से कांप भी उठा । उड़ते गुब्बारे से ही जैक ने किसी के रोने की एक महीन आवाज सुनी ।

गुब्बारे के उड़ने की रफ्तार बहुत तेज हो चुकी थी । नीचे धरती और वहां से उठने वाली आवाजें शून्य में सिमटने लगी थीं, जबकि रोने की आवाज और तेज सुनाई पड़ रही थी । जैक को महसूस हुआ कि यह आवाज नजदीक ही कहीं से आ रही है और किसी बच्चे की है । जैक चौंक पड़ा कि कहीं गुब्बारे पर कोई बच्चा तो नहीं चढ़ा हुआ है ?

जैक को उस समय भयानक आश्चर्य हुआ, जब उसे गुब्बारे से जुड़ी रस्सियों के ऊपरी हिस्से पर लटका वही ९ वर्षीय लड़का दिखाई दिया, जो अभी थोड़ी देर पहले, अपनी बहनों से गुब्बारे के नजदीक ही लड़ रहा था । जैक मन-ही-मन कांप उठा । फिर कुछ क्षण संयत रहने के बाद उसने उस दुस्साहसी, नादान लड़के की ओर ध्यान से देखा । लड़का गुब्बारे को धरती पर उतारने के लिए लटके रेत के बजनी थैले को रस्से से झूलता नजर आया और उस रस्से की लंबाई लगभग पंद्रह मीटर थी ।

जैक ने अचानक महसूस किया कि गुब्बारे का संतुलन रोज की तरह सामान्य नहीं था । उस बच्चे का यह दुस्साहस देखकर जैक की आंखें आश्चर्य से फैल गई । कुछ क्षणों तक वह मौन रहा। निश्चित वजन वाले रेत के थैले में बच्चे का भार बढ़ जाने से गुब्बारा बार-बार अस्थिर हो उठता था, इससे बच्चा भय से थर-थर कांप उठता था । उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और वह बार-बार बिलख उठता था ।

यह दृश्य देखकर जैक भयभीत हो उठा । किसी भी समय उस लड़के के हाथ से रस्सा छूट सकता था । गुब्बारा तीन चौथाई मील जमीन से ऊपर हवा के थपेड़ों के बीच तेजी से आगे की ओर बढ़ रहा था । अगर लड़के के हाथ से रस्सा छूटता, तो लड़का खील-खील होकर जमीन में बिखर जाता । इसलिए सबसे पहले जरूरी था कि लड़के को ढाढस बंधाया जाए, लेकिन उसे पुकारना भी बहुत खतरनाक सिद्ध हो सकता था ।

पुकारते ही अगर वह हड़बड़ा गया तो….?

आनन-फानन में गुब्बारे को जमीन पर उतारा भी नहीं जा सकता था और न जैक ही डंडे से तुरंत छलांग लगा सकता था । अगर वह छलांग लगाता, तो गुब्बारा उलटा होकर हवा निकलने से सिकुड़कर तेजी से जमीन की ओर गिरता और उस नादान, दुस्साहसी लड़के का वजूद भी नहीं रहता । गुब्बारा एक ही सूरत में जमीन पर उतर सकता था, जबकि उसमें भरी हुई हाइड्रोजन गैस धीरे-धीरे ठंडी होती जाए । झूलती मौत के रोजमर्रा खेल खेलने वाले जैक के लिए सबसे पहले जरूरी था कि वह गुब्बारे में भरी हाइड्रोजन गैस के ठंडी होने की प्रतीक्षा करे और इसी के साथ यह भी जरूरी था कि तब तक लड़का रस्सी से ही लटकता रहे ।

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इसमें समय लगना था और लाजमी तौर पर जैक को निरुपाय होकर गैस निकलने की प्रतीक्षा करनी ही थी । हवा के थपेड़े अब और तेजी से गुब्बारे की गति बढ़ा रहे थे । जमीन से आसमान में उड़ते हुए जैक को लगभग ढाई घंटे अभी तक हो चुके थे । अगर लड़का इसी तरह डरता रहा, तो रस्सा कभी भी उसके हाथ से छूट सकता था, मन-ही-मन सोचते हुए जैक ने अपने भीतर साहस संजोया । एकाएक मौत की कलाबाजी के लिए अपने आपको तैयार कर लिया । तुरंत उसने एक निर्णय लिया कि लड़के का ध्यान खतरे से हटाया जाए । जैक ने मुंह ऊपर उठाकर उस लड़के को संबोधित किया, “ब्रेब बॉय! कौन हो तुम ?…”

आवाज शांत और सहज इसलिए रखी थी कि उस भयभीत लड़के को एकाएक हिम्मत मिले ।

“मुझे जिमी कहते हैं, जिमी वाकर।” लड़के ने रोते हुए थरथराती आवाज में उत्तर दिया । उसकी आंखों में अनजाना भय था । एक बनावटी मुस्कराहट के साथ जैक ने फिर कहा, “हैलो, मिस्टर जिमी वाकर, मुझे आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुई । चलो, इस यात्रा में बड़ा अच्छा साथ हो गया । अकेले इस सफर में मजा नहीं आता था, लेकिन एक बात तो बताइए, आपसे ऐसी सवारी करने के लिए कहा किसने था ?”

सुनकर जिमी हंसने लगा, लेकिन इस हंसी और रोने में एक अजीब समानता का मिला-जुला भाव था । फिर भी जिमी ने आंखें झपकाते हुए उत्तर दिया, “अंकल जैक ! मैंने समझा गुब्बारे की हवाई उड़ान में मजा आएगा ।”

“गुड… वेरी गुड… तो तुमने मजे के लिए उड़ान भरी है… खूब, बहुत खूब वाकई आपके हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी, वाह, क्या साहस है?” हंसते हुए जैक ने कहा ।

समय बिताने के लिए जैक ने उस लड़के से बातों का सिलसिला जारी रखा । गुब्बारे की गैस ठंडी होने में अभी समय था । गुब्बारा ऊंचाइयों की ओर उड़ता जा रहा था । धरती की दूरी साढ़े तीन हजार मीटर के लगभग हो गई थी । जैक ने बच्चे का ध्यान आकर्षित करते हुए फिर कहा, “देखो जिमी, आसपास फैले ये सफेद घने बादल कितने खूबसूरत लग रहे हैं !”

“मुझे ये अच्छे नहीं लग रहे हैं । इन्हें देख-देखकर मैं उकता गया हूं । मुझे आपके बारे में बातें करना कहीं ज्यादा अच्छा लग रहा है । प्लीज अंकल, आप अपने बारे में बताइए?” रुआंसे जिमी ने जवाब दिया ।

“माई चाइल्ड! मेरा तो यह रोज का धंधा है । रोज ही मुझे जोखिम भरी उड़ान लेनी पड़ती है । मेरी जिंदगी ही ऐसे कारनामों में बीत चुकी है ।”

“क्या इस धंधे में आपको बहुत पैसे मिलते हैं?” उत्सुकता से जिमी ने पूछा ।

“हां, हां, क्यों नहीं ? क्या बड़े होकर तुम गुब्बारे से छलांग लगाने का धंधा करना चाहोगे?” हंसते हुए जैक ने पूछा ।

“नहीं-नहीं, यह बहुत खतरनाक है।” कहकर जिमी नीचे की ओर देखने लगा । नीचे देखते ही वह फिर थरथरा उठा । उसकी आंखें दहशत से भर उठीं । वह चीखने लगा ।

गुब्बारे की ऊपर उठने की गति अब बहुत हलकी हो चली थी । वह हवा के झोंकों से दाएं-बाएं हिलने-डुलने भी लगा था । जिमी जिस रस्से से लटका था, वह हिस्सा हवा के थपेड़ों से बुरी तरह डोल रहा था । स्थिति ऐसी थी कि भय और जख्मों से पीड़ित जिमी का हाथ कभी भी रस्से से छूट सकता था ।

इस डर को दूर करने के लिए एकाएक जैक ने पैंतरा बदलते हुए गुस्से से कहा, “जिमी, अगर तुमने रस्से को अच्छी तरह पकड़ कर नहीं रखा, तो मैं तुम्हारी ऐसी पिटाई करूंगा कि जिंदगी भर याद करोगे ।

“ठीक है अंकल। लेकिन, लेकिन किसी तरह जिमी के मुंह से निकला । जैक गंभीर हो गया । उसे लगने लगा कि जिमी की हिम्मत टूट रही है, फिर एकाएक बात पलटते हुए बोला, “इस डंडे में बैठे-बैठे मुझे भी अब बहुत तकलीफ होने लगी है ।”

“अंकल, मेरी उंगलियां भी बहुत दर्द करने लगी हैं और उसमें से लगातार खून बह रहा है ।” जिमी बोला ।

“लेकिन ऐसी अजूबी हवाई यात्रा…! वाह क्या मजा आ रहा है…! क्या कहने…!” “हां, ये बात तो है….” उत्तर देते हुए जिमी खिलखिलाने लगा। एकाएक उसने पूछा, लेकिन जैक अंकल, अभी तक आपने छलांग क्यों नहीं लगाई ? अब तो काफी देर हो चुकी है ।”

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जैक लण्डन हंसा और बोला, “अब तक मुझे कूद जाना था, लेकिन तुम्हारे साथ बातें करने में मुझे बहुत मजा आ रहा है । इसलिए सोचता हूं, अभी मैं कूदूं ही नहीं ।”

“ओ नो, अंकल, आप जरूर कूदें । मैं गुब्बारे में आया ही इसलिए हूं कि आपको गुब्बारे से छलांग लगाता हुआ देख सकूं । इतना बड़ा स्टेप मैंने वैसे ही थोड़े लिया था । दूसरे लोग तो नीचे से दूरबीन लगाकर आपको देखते हैं, लेकिन मैं तो…”

“जिमी, आज मेरे सिर में दर्द हो रहा है । सोच रहा हूं कि ऐसी हालत में आज छलांग न लगाऊं।” जैक ने समय काटने के लिए टालमटोल की ।

“ओफ्फो! जो लोग आपकी छलांग देखने के लिए बेकरारी से नीचे आंखें फैलाए इंतजार कर रहे हैं, वे क्या सोचेंगे?” जिमी ने उत्सुक होकर अधीरता से पूछा ।

“अरे छोड़ो, उनका जो होना है, होता रहेगा । गुब्बारा मेरा है और मैं अपनी मर्जी का मालिक हूं । छलांग लगाऊं या नहीं । इन लोगों का इससे क्या लेना-देना ?”

इस प्रसंग पर दोनों के बीच बहस होती रही । जैक मना करता रहा और जिमी मनाता रहा । जैक ने जान-बूझकर जिमी का ध्यान खतरे से हटाने के लिए यह टालमटोल शुरू की थी ।

गुब्बारे की गैस ठंडी होने लगी और वह सिकुड़कर नीचे जाने लगा । जब गुब्बारा नीचे आते हुए जमीन से लगभग २५० मीटर ऊंचाई पर रह गया, तो जैक ने उत्साहित होकर कहा, “सावधान हो जाओ जिमी, अब हम नीचे उतरने जा रहे हैं ।”

चौकन्ना होकर मजबूती से रस्सी पकड़ते हुए बोला, “कितनी देर और लगेगी अंकल ?”

“बस, दो-चार मिनट और…” उत्तर देते हुए जैक सोच रहा था कि गुब्बारा किस स्थान पर सुरक्षित तरीके से उतारा जाए, क्योंकि इससे पहले भी कई बार उसका गुब्बारा घने जंगल में, ऊंची बिल्डिंगों के बीच और समुद्र की खौफनाक लहरों के पास खतरनाक तरीके से फंस चुका था ।

गुब्बारा अब युकिलिप्टस के घने जंगलों पर तैर रहा था । पेड़ बड़ी तेजी के साथ आकार में बड़े होते जा रहे थे । चलो, अच्छा है । पेड़ों पर उतरना उतना ज्यादा खतरनाक नहीं है । जैक ने मन-ही-मन सोचा ।

लेकिन तभी जमीन से उठता हुआ हवा का एक तेज थपेड़ा आया, जिसने गुब्बारे की दिशा बदल दी । अचानक आए इस झोंके से रस्सी पकड़े जिमी का एक हाथ छूट गया । एक महीन चीख उसके गले से निकली । जमीन से गुब्बारे की दूरी अब लगभग डेढ़ सी फुट रह गई थी । जैक चीखा, “जिमी … जिमी… अपने को संभालो…. गुब्बारा अब उतरने ही वाला है !”

गुब्बारा थोड़ी ही देर में संतुलित होकर एक विशाल मुर्गीखाने के ऊपर तैरने लगा । अब जमीन से उसकी ऊंचाई चालीस फीट रह गई थी । गुब्बारे को मुर्गीखाने के मैदान के ऊपर डोलते देख चारों ओर चीख-पुकार होने लगी, लेकिन गुब्बारा जरा तिरछा होकर उतरा । उन क्षणों में जैक अपने बैठने के डंडे को दोनों हाथों में पकड़कर शरीर को नीचे लटकाए हुए झूल रहा था, ताकि जमीन पर जल्दी-से-जल्दी पैर जमाए जा सकें ।

ज्योंही जैक के पैरों ने धरती को छुआ, उसने सारी ताकत समेट कर सामने पेड़ की ओर दौड़ लगा दी, और एक बड़े पेड़ की शाखा के साथ डंडे के रस्से को उलझा दिया । मौत का खेल खत्म हो चुका था । तीन घंटे तक मौत से लड़ते हुए जिमी वाकर को सावधानी के साथ तुरत-फुरत नीचे उतारा गया । उसकी उंगलियों के लोथड़े रेशमी रस्सों से चिपक गए थे । उसे तत्काल प्रारंभिक चिकित्सा दी गई । जैक लण्डन को जिमी के ऊपर गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन मन-ही-मन वह ९ वर्षीय उस लड़के की ऐसी अनूठी हिम्मत देखकर आश्चर्यचकित था ।

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