भुज मूवी की कहानी | भुज द प्राइड ऑफ इंडिया कहानी
BHUJ : The Pride of India
भारत मे ऐसे कई वीर हुए है, जो अपने देश की आन-बान और शान के लिए अपनी जान तक देने से पीछे नही हटे है | ऐसे ही देशभक्तो की कहानी है फिल्म – “भुज”
भुज वह फिल्म है, जिसमे गुजरात बार्डर पर तैनात भारतीय जवानो और गुजरात की ३०० से भी अधिक साहसी महिलाओ और सेना की मदद करने वाले एक साधारण से इंसान की कहानी बताई गई है |
१९४७ मे आजादी के वक्त देश के दो टुकड़े हो गए – पाकिस्तान और भारत |
पाकिस्तान भारत पर बार-बार हमला करता रहता है | ऐसा ही एक हमला १९७१ मे पाकिस्तान के द्वारा किया गया था, जिसमे भारत की जीत हुई |
स्क्वॉड्रन लीडर विजय कार्णिक | Squadron Leader Vijay Karnik
इस फिल्म मे अजय देवगन ने स्क्वॉड्रन लीडर विजय कार्णिक (Squadron Leader Vijay Karnik) की भूमिका निभाई है, वही संजय दत्त ने रणछौरदास रवारी की और सोनाक्षी सिन्हा से ३०० ग्रामीण महिलाओ के मुखिया की |
विंग कमांडर विजय कार्णिक ने १९७१ के भारत-पाकिस्तान लड़ाई मे जो किया, उसे सुनकर आपका सीना गर्व से फूल जाएगा |
पाकिस्तान यह जानता था की भारत की मुख्य ताकत उसकी वायुसेना है, और इसे नष्ट करना जरूरी है, इसलिए उसने शुरू किया “ऑपरेशन चंगेज़ खाँ” | ऑपरेशन चंगेज़ खाँ के रूप मे पाकिस्तान ३ दिसंबर १९७१ से लगातार १४ दिनो तक बम बरसा रहा था | भारत के साथ यह ऑपरेशन, युद्ध की शुरूआत थी |
कई जगह पर हमले के साथ-साथ पाकिस्तान ने भारत के कच्छ मे स्थित भुज के “रुद्रमाता एयरफोर्स बेस” पर भी हमला बोला था | पाकिस्तान एयरफोर्स मे इस जगह पर १४ दिनो मे ३५ बार हमला किया था और वायुसेना की हवाई पट्टी तहस-नहस हो गई | इसके साथ-साथ पाकिस्तान ने जो सोचा वह हो भी रहा था, लेकिन जो भारतीयो ने किया, उसकी कल्पना पाकिस्तान तो क्या किसी भी ने भी नही की थी |
इस एयरबेस की सारी बागडोर स्क्वॉड्रन लीडर विजय कार्णिक (Squadron Leader Vijay Karnik) के हाथो मे थी | विजय कुमार कार्णिक १९६२ मे भारतीय वायुसेना मे नियुक्त हुए थे और १९६२ और १९६५ के युद्ध मे सक्रिय भूमिका निभाई थी | १९७१ तक उन्होने भारत-पाकिस्तान की लड़ाई देख ली थी |
९ दिसंबर १९७१ की रात पाकिस्तान ने भुज एयरबेस पर बम गिराना शुरू कर दिए, जिससे भारतीय रुद्रमाता एयरफोर्स बेस और उसकी हवाई पट्टी पूरी तरह से बर्बाद हो गई |
युद्ध के बीच एयरबेस वापस चालू करना जरूरी था, उसके लिए हवाई पट्टियों की मरम्मत की आवश्कता थी, ताकी मदद के लिए आने वाली फ्लाइट को यहा उतारा जा सके और साथ-ही-साथ अपने जेट भी पाकिस्तान को मुहतोड़ जवाब दे सके | लेकिन युद्ध की स्थिति मे वक्त और मरम्मत करने वाले दोनों कम थे |
विंग कमांडर विजय कार्णिक ने हवाई पट्टी की मरम्मत के काम के लिए स्थानीय लोगो की मदद लेने का फैसला किया और उन्होने भुज की एक गाव के ३०० से भी अधिक महिलाओ और उसकी मुखिया को इस काम को करने के लिए मना लिया | गाव की महिलाओ ने मिलकर सिर्फ ७२ घंटो मे पाकिस्तान के द्वारा बम गिराए जाने के बीच उसे ठीक कर दिया | एयरफील्ड के ठीक होते ही भारत ने जवाबी कार्रवाही शुरू की |
१६ दिसंबर तक तो पाकिस्तान ने हार मान ली और उसने हथियार डाल दिए, वही भारत सरकार की तरफ से एयरबेस की मरम्मत करने वाली गाव की महिलाओ को ५० हजार रूपय नगद देकर सम्मानित किया गया था |
रणछोड़दास रबारी | Ranchoddas Rabari | Paggi
इस युद्ध मे मुख्य भूमिका थी, रणछौरदास रवारी की, जिसे पागी के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी भूमिका अदा कर रहे है, अभिनेता संजय दत्त |
रणछौरदास रवारी को ५८ वर्ष की उम्र मे पुलिस के मार्ग दर्शक के रूप मे रख लिया गया और उन्हे नाम दिया था “पागी” का | पागी का मतलब होता है, मार्गदर्शक, ये वो व्यक्ति थे, जो रेगिस्तान मे भारतीय सेना को रास्ता दिखाते थे |
रणछौरदास रवारी भेड़,बकरी और ऊंट पालन का काम करते थे | उन्हे भुज के रेतीले क्षेत्र का इतना अनुभव था की, ऊंट के पैरो के निशान से ही बता सकते थे, की ऊंट कितने आदमी सवार है, इन्सानो के पैर के निशान से वजन, उम्र, निशान कितना पुराना है और रेगिस्तान मे वो कितनी दूरी तक गया है, ये भी बता सकते थे |
१९६५ की भारत-पाकिस्तान लड़ाई मे, पाकिस्तान ने कच्छ के एक भाग पर कब्जा कर लिया, वही भारतीय सैनिको के दल को ३ दिन मे वहा पहुचना आवश्यक था, तब पहली बार मदद की थी रणछौरदास रवारी ने | उन्होने रेगिस्तानी रास्तो पर भारतीय सैनिको के एक दल को तय समय से पहले ही पहुचा दिया था | १९७१ मे सेना तक रेतीली रास्तो से गोला-बारूद पहुचाना और मार्गदर्शक बनाना उनका काम था |
ये कहानी है भुज के लड़ाई की, एक वीर सिपाही की, एक बुजुर्ग आदमी की और उन ३०० से भी अधिक महिलाओ की, जिन्होने भारत माता की आन के लिए अपनी जान की भी परवाह न करते हुए, गिरते गोला-बारूद के बीच अपना फर्ज निभाया |