रमन राघव 2.0 | Raman Raghav 2.0

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रमन राघव 2.0

Raman Raghav 2.0

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कुछ वर्षो पहले आई नवाजुद्दीन सिद्दकी की फिल्म रमन राघव 2.0 १९६० के दशक मे पुलिस फोर्स के लिए सिरदर्द बने एक सीरियल किलर के कहानी है | अनुराग कश्यप के निर्देशन मे बनी इस फिल्म को कान्स फिल्म फेस्टिवल मे भी दिखाया जा चुका है |

तो आइये आज हम बात करते है उस सच्ची घटना पर, जिस पर आधारित यह फिल्म बनी है |

रमन राघव न तो कोई अंडरवर्ड डान था और न ही कोई गेंगस्टर और न ही कोई डकैत | वो था एक मनोरोगी जिसके सर पर सवार था सिर्फ खून |

ये वो किलर था, जो मुंबई मे राड से लोगो के सिर पर वार कर उन्हे मौत के घाट उतार देता था |

१९२९ मे पुणे के बाहरी इलाके मे पैदा हुआ रमन, को जानने वालो के अनुसार बचपन से ही वह बहुत चोरी करता था | १९६० के आसपास एक के बाद एक हत्या करने वाला रमन ४० से भी ज्यादा हत्या कर चुका था और ज़्यादातर हत्याए वह रात के वक्त करता था | ये सभी हत्याओ मे उन लोगो की अधिक हुई है जो झोपड़ियों मे रहते थे या फुटपाथ मे जीवन बिताते थे, उनमे से उम्रदराज, बच्चे, पुरूष और स्त्री सभी शामिल थे | वो राड से सो रहे लोगो पर लगातार प्रहार कर उनकी जान ले लेता था और महिलाओ के शवो के साथ रेप भी करता था |

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लोगो के हत्या होने के इसी क्रम मे १९६५ -१९६६ मे एक बार मे १९ लोगो पर जानलेवा हमला हुआ, जिसमे ९ लोगो की मौत हो गई और १० लोग गंभीर रूप से घायल हुए | इसी घटना के बाद रात मे हत्या करने वाले के बारे मे पता चला | घायल मे से एक ने पुलिस को जो बताया उससे उसकी पहचान रमन के रूप मे हुई | रमन राघव एक डकैती के मामले मे ५ वर्षो की सजा काट चुका था जिसकी जानकारी पुलिस के पास थी |

जब १९६० मे बहुत ज्यादा हत्याए हुई, तब CID के डिप्टी कमिश्नर रमाकांत कुलकर्णी ने बडी संख्या मे लोगो की धरपकड़ शुरू की तो रमन राघव पकड़ मे आया | पुलिस के पकड़ मे आने के बाद रमन ने ४१ लोगो को हत्या करने की बात मानी थी और कहा था – “हां मैंने 41 मर्डर किये, पर पहले मुर्गा खिलाओ“| मुंबाई हाईकोर्ट ने उसे फासी की सजा सुनाई, लेकिन उसकी मानसिक हालात को देखते हुए उसकी सजा को उम्रकैद मे बदल दिया और राघव की १९९५ मे किडनी की बीमारी से मौत हो गई |

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