आर आर आर मूवी
RRR
RRR की सच्ची कहानी
राइज रौर रिवोल्ट (आर आर आर)
आप सभी ने एस॰एस॰ राजमौली की आने वाली फिल्म RRR आर आर आर मूवी का पोस्टर तो देखा ही होगा | आर आर आर का मतलब है राइज रौर रिवोल्ट |
इनमे भीम की तरह मजबूत दिखने वाले दो व्यक्ति को दिखाया गया है और उसका नाम बताया गया है अल्लुरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम | निर्देशक ने यह कहा है की आर आर आर फिल्म मल्टीस्टार एक काल्पनिक कहानी है, जो दो महान स्वतन्त्रता सेनानियो अल्लुरी सीताराम राजू और कोमाराम भीम पर आधारित है |
ये दोनों आदिवासी समुदाए के होने के साथ ही साथ तेलंगाना, आन्ध्रप्रदेश के थे | इन्होने आदिवासियो के हक के लिए हैदराबाद के निजाम और अंग्रेज़ो के डटकर मुक़ाबला किया और लड़ते हुए शहीद हो गए |
तो आइये आज हम बात करते है इनके अल्लुरी सीताराम राजू के जीवन के बारे मे :
अल्लुरी सीताराम राजू का जन्म १५ मई १८९७ को पोंड्रिक गाव, विसाखापट्टनम मे हुआ उनके पिता का नाम अल्लुरी वैकटराम राजू था |
उनका पालन पोषण उनके चाचा अल्लुरी रामकृष्ण के परिवार मे हुआ | उनके चाचा ने उन्हे बचपन से ही यह बताकर क्रांतिकारी संस्कार दिए की अंग्रेज़ हमे गुलाम बनाए हुए है और हमारे देश को लूट रहे है |
राजू ने स्कूल मे पढ़ाई के साथ-साथ वैध और ज्योतिषी की भी पढ़ाई की और बड़े होने पर उन्होने वैध का कार्य प्रारम्भ कर लोगो का उपचार करना शुरू कर दिया |
देश को आजाद करने के लिए उन्होने गांधीजी द्वारा चलाए जा रहे “असहयोग आंदोलन” मे भाग लिए, मगर कुछ समय बाद आजादी न मिलने पर उन्होने असहयोग आंदोलन छोडकर सैन्य संगठन बनाया |
धीरे-धीरे सीताराम राजू का संगठन मजबूत होने लगा और उन्होने अंग्रेज़ो द्वारा पकड़े गए अन्य स्वतंत्रता सेनानियो को छुड़ाया | राजू का संगठन अंग्रेज़ो और पुलिस चौकी को लूटता और उससे देश की आजादी के लिए हथियार जमा करता |
सीताराम राजू आंध्रप्रदेश मे स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई प्रारम्भ करने वाले पहले व्यक्ति थे, जिन्होने हजारो नौजवानो के दिलो मे स्वतंत्रता की आग लगाई थी |
इसके बाद अंग्रेज़ो मे उन्हे पकड़ने की बहुत कोशिश की मगर सफलता नही मिली इसके साथ ही साथ केरल के मलाबार पुलिस के दस्ते को राजू को पकड़ने के लिए लगाया गया पर उन्हे भी सफलता नही मिली |
६ मई १९२४ को राजू के दल का मुक़ाबला असम राइफल से हुआ, जिसमे उनके काफी साथी मारे गए और उसके कुछ ही दिन बार राजू को जंगल मे अकेले ही घूमते हुए देखा गया | पीछे से गोली चलाकर घायल कर उन्हे पकड़ा गया | गिरफ्तारी के बाद उन पर बहुत यातनाए दी गई और अंत मे उन्हे गोदावारी नदी के किनारे पेड़ के बांधकर गोलियो से भून दिया गया |
आज भी अल्लुरी सीताराम राजू उन आदिवासियो के दिलो मे और वहा की कहानियो मे जिंदा है |