फरिश्ते का अर्थ । देवदूत का अर्थ । Angel परिभाषा और अर्थ
जिस प्रकार पुराणों में परमेश्वर के बाद अनेक देवता भिन्न-भिन्न काम करने वाले माने जाते हैं, यमराज मृत्यु, इन्द्र वृष्टि के अध्यक्ष इत्यादि; इसी प्रकार “इस्लाम” ने फिरिश्तों को माना है । पहिले फिरिश्तों के सम्बन्ध में क़ुरान में आये वाक्य दे देने पर इस पर विचार करना अच्छा होगा, इसलिये यहाँ वे वाक्य दिए जाते हैं –
“जब परमेश्वर ने फिरिश्तों को आदम के लिये दण्डवत् करने को कहा, तो सबने दण्डवत् की किन्तु इब्लीस ने इन्कार किया, घमण्ड किया और वह नास्तिकों में से था।” (२:४:५), (२०:७:१)
“जब हमने फिरिश्तों को दण्डवत् करने को कहा, तो इब्लीस के अतिरिक्त सबने किया । इब्लीस बोला-क्या मैं उसे दंडवत करूँ जो मिट्टी से बना है।” (१७:७:१)
“जब हमने फिरिश्तों को कहा – आदम को दण्डवत् करो, तो उन्होंने दण्डवत् की, किन्तु इब्लीस जो जिन्नों में से था” – ने न किया (२०:११६)
ऊपर के वाक्यों में फिरिश्तों का वर्णन आया है । भगवान् ने ‘आदम’ ( मनुष्य जाति के आदि पिता) को बनाकर उन्हें या ‘आदम’ को दंडवत् करने को कहा । सबने वैसा किया, किन्तु इब्लीस ने न किया। यह ‘इब्लीस’ उस समय फिरिश्तों में सब से ऊपर (देवेन्द्र) था, तृतीय वाक्य में उसे ‘जिन्न’ कहा गया है, इससे ज्ञात होता है, कि ‘फिरिश्ते’ और ‘जिन्न’ एक ही है । जिन्न फिरिश्तों के अंतर्गत ही कोई जाति है। ‘इब्लीस’ ने यह कहकर आदम को दंडवत् करने से इन्कार किया कि वह मिट्टी से बना है । अतः मालूम पड़ता है कि फिरिश्तों की उत्पत्ति किसी और अच्छे पदार्थ से हुई है । अन्यत्र ‘इब्लीस’ के वाक्य ही से मालूम हो जाता है कि उनकी उत्पत्ति अग्नि से हुई है । अपने भक्तों की रक्षा के लिये ईश्वर इन फिरिश्तों को भेजते हैं ।
“ईमानवालो ! अपने ऊपर ईश्वर की कृपा को स्मरण करो; जब तुम्हारे ऊपर शत्रुओं की फौज आई, तो हमने इन शत्रुओं की फौज पर आँधी भेजी तथा फिरिश्तों की फौज भेजी, जिसे तुमने नहीं देखा ।’ (३२:२:१)
यह एक युद्ध के सम्बन्ध में वर्णन है, जब कि शत्रुओं की संख्या मुसलमानों से कई गुनी थी । उस वक्त ईश्वर का कोप आँधी रूप से उनके ऊपर पड़ा और ईश्वर ने मुसलमानों की सहायता के लिये फिरिश्तों की फौज भेजी । यह ‘फिरिश्ते’ आस्तिकों के पास आते हैं – “जो कहते हैं कि हमारा मालिक परमेश्वर है और इस पर दृढ़ हैं; उनके ऊपर फिरिश्ते उतरते हैं और कहते हैं-डरो नहीं, अफसोस न करो, और स्वर्ग का शुभ सन्देश सुनो, जिसके मिलने के लिये तुम्हें वचन दिया गया है।” (४१:४.५)
प्रत्येक मनुष्य के शुभाशुभ कर्मों के लेखक तथा रक्षक फिरिश्ते हैं, जिनके विषय में कहा है –
“निस्संदेह तुम्हारे ऊपर रखवाले हैं, किरामन् कातिबीन । जो कुछ तुम करते हो, उसे वह जानते हैं।“ (८२:१:१०-१२)
‘हदीस’ और भाष्य (तफ़सीर) ग्रन्थों में आता है, प्रत्येक मनुष्य के दोनों कन्धों पर ‘किरामन’ और ‘कातिबीर’ यह दो फिरिश्ते बैठे रहते हैं, जिसमें के एक उसके सारे सुकर्मो को और दूसरा सारे दुष्कर्मों को लिखता रहता है ।
फिरिश्तों के पंख
“प्रशंसा परमेश्वर के लिये है जो दो, तीन, चार पंखवारे फिरिश्तों को दूत बनाता है।” (३५:१:१)
कुछ फिरिश्तों का नाम इस वाक्य में दिया है-
“कह (हे मुहम्मद !) निस्सन्देह जिसने ईश्वर की आज्ञा से तुझ पर इस (क़ुरान) को उतारा उस ‘जिब्रील’ का जो शत्रु है जो ईश्वर उसके रसूलों (दूतों, ऋषियों) का, फिरिश्तों का जिब्रील का ‘मीकाल’ का शत्रु है, निस्सन्देह भगवान् (ऐसे) काफ़िरों (नास्तिकों) का शत्रु है।” (२:१२:१,२)
ऊपर आये दोनों फिरिश्तों में ‘जिब्रील’ (जिब्राईल) सभी फिरिश्तों का सरदार है; ‘मीकाईल’ मृत्यु का फिरिश्ता अर्थात् यमराज है, जिसका काम आयु पूरा होने पर सबको मारना है ।ऐसे ही ‘हदीसों’ में और भी अनेक फिरिश्तों के नाम और काम बतलाये गये हैं। ‘इस्राफील’ अपना नरसिंहा जब बजायेंगे तब महाप्रलय होगी ।