...

यूनानी सभ्यता । यूनानी सभ्यता का इतिहास । यूनान का इतिहास | Greece Civilization | Greece Civilization Timeline

यूनानी सभ्यता । यूनानी सभ्यता का इतिहास । यूनान का इतिहास | Greece Civilization | Greece Civilization Timeline

युनान की गौरवपूर्ण सभ्यता का इतिहास उतार-चढ़ावों के कठिन दौर से गुजरा है । इसका कई बार पतन तथा उत्थान हुआ । किन्तु हर दौर में यूनान गौरव का एक अद्वितीय आदर्श बना रहा । अपने हर स्वरूप में इस सभ्यता ने विश्व को कला, ज्ञान-विज्ञान तथा प्रशासन संबंधी मूल्य प्रदान किये । यह सभ्यता जितने अधिक गौरव एवं महिमा को प्राप्त करती गयी, उतनी ही अधिक यह अन्य साम्राज्यों की आंखों का कांटा बनती गयी । अंत में यूनान का गौरव छीन लिया गया । लेकिन इससे पूर्व वह संसार के लिये एक महान विरासत छोड़कर जाने का प्रबंध कर चुकी थी ।

यूनान देश दक्षिण दिशा में फैला हुआ है तथा उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाली पर्वतमाला की समाप्ति की सूची तटीय-रेखा अब समाप्त हो चुकी है और इसका निकटवर्ती इंजियन (Acgean) द्वीप वास्तव में जलमग्न पर्वत ही हैं । यूनानियों की धारणा थी कि सफल राजनैतिक व्यवस्था के लिये छोटी-छोटी स्वतंत्र इकाइयों का निर्माण करना ही सर्वोत्तम व्यवस्था है । इसीलिये उन्होंने कभी भी यूनान को संगठित करने का प्रयास नहीं किया । उनकी इसी सोच के कारण १२०० ई.पू. के लगभग यूनानी सभ्यता के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुआ । डौरिक जाति उत्तर दिशा से आयी और पेलोपोन्निस (Peloponnese) में बस गयी । उसने वहां के आयोनिकों (lonians) तथा ईलियनों (Aeolians) निवासियों को समुद्र के पार “एशिया माइनर” की ओर खदेड़ दिया ।

यूनान समाज में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं थी । प्राचीन यूनान में स्त्रियों की दशा दासों के समान ही थी । उन्हें किसी भी प्रकार के राजनैतिक अथवा कानूनी अधिकार प्राप्त नहीं थे तथा उन्हें सभी सार्वजनिक मामलों से दूर रखा जाता था । वे एक प्रकार से घर में कैद रहती थी । सामाजिक जीवन से उनकी अनुपस्थिति ने हिटेयरा (Hetaira) अर्थात् उच्चवर्गीय वेश्याओं की प्रथा को जन्म दिया ।

यूनानी लोगों ने पूजा के लिये ऐसे देवताओं की प्रतिष्ठा की थी, जो भावनात्मक धरातल पर मानव के ही प्रतिरूप थे । ये लोग मृत्यु के पश्चात् जीवन में विश्वास नहीं करते थे ।

दुर्भाग्यवश, हमारे पास इस महत्त्वपूर्ण परिवर्तन तथा इसके बाद के ४०० वर्षों का कोई विवरण नहीं है । जो भी थोड़ा बहुत इस युग के विषय में हम जान पाये है । वह होमर के महाकाव्यों इलियड तथा ओडिशी से ही ज्ञात हुआ है ।

इतिहासकार इन कविताओं की प्रामाणिकता में विश्वास करते हैं तथा यूनानी सभ्यता का आरंभ १५०० ई.पू. के लगभग से मानते हैं । यूनान की राजनीतिक स्थिति, जैसा कि होमर ने वर्णन किया है, वैदिक कालीन भारत की राजनैतिक स्थिति से मिलती-जुलती थी । यह अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था । प्रत्येक राज्य का एक राजा होता था, जो वरिष्ठों की एक परिषद् (Council of Elders) की सहायता से कार्य करता था । राजा के प्रस्ताव जन-सभा या एगोरा (Agora) द्वारा बदले जा सकते थे । यह जन-सभा भारत की समिति के समान होती थी । होमर के यूनान में वैदिक भारत के समान ही स्त्रियों को स्वतंत्रता तथा समान स्तर प्राप्त था । एक विवाह प्रथा प्रचलित थी । इसी के साथ-साथ होमर की कविताओं में देवताओं के मंदिरों का भी उल्लेख मिलता है । इससे प्रतीत होता है कि धार्मिक अनुष्ठानों का सम्पादन क़िया जाने लगा था तथा विभिन्न पूजा स्थलों जैसे डेल्फी के महत्त्व को जाने लगा था तथा भी सामान्यतः स्वीकार कर लिया गया था । उन्होंने नगर-राज्यों की धारणा को कुछ तो अपने स्वभाव के कारण और कुछ उन पर्वतों के कारण अपनाया था, जो एक राज्य को दूसरे से बिलकुल अलग करते थे । प्रत्येक नगर-राज्य आत्म-निर्भर था । इनमें से एक महत्त्वपूर्ण नगर-राज्य एट्टिका (Attica) था, जिसका केन्द्र एथेन्स था ।

एथेन्स के विकास पर विचार करने से पूर्व एथेन्स से पहले ही के यूनानी अक्षरा राज्यों के गौरव पर प्रकाश डालना उचित होगा । यूनान की महानता उन तलवारों, रथों तथा मिट्टी के बर्तनों में व्यक्त होती है, जो १५वीं शताब्दी में नोसोस (Knossos) में पाये गये थे । हित्ति दस्तावेजों में यूनान को एक सुदृढ़ ईजियन शक्ति के रूप में स्वीकार किया है । संपत्ति और शक्ति हमेशा खतरों को दावत देती है । इसीलिये राजमहलों की किलेबंदी आवश्यक हो गई । माइकीनी, टिरिन, वर्णित एथेन्स तथा थीब्स की उस समय की महान दीवारें आज भी सुरक्षित हैं ।

आंतरिक रूप से सुरक्षित यूनान ने संगठित होकर ट्रॉय पर आक्रमण किया । ट्रॉय कभी एक धनी राज्य था, किन्तु बाद में निर्धन तथा दुर्बल हो गया था । एगमैम्नौन के आधीन यूनानियों द्वारा इस नगर पर अधिकार किये जाने तथा लूटे जाने से पूर्व ही ट्रॉयवासी इस घेरेबंदी से भयभीत होने के कारण लंबे समय के लिये अपने-अपने घर छोड़कर चले गये ।

“एशिया माइनर” की ओर से आने वाले लोगों के प्रमुख आक्रमण से पूर्व हुआ ट्रोजन युद्ध यूनानी विस्तार के लिये किया गया अंतिम प्रयास था । पायलस नगर, जिसकी घेराबंदी नहीं की गई थी, १२०० ई.पू. में लूट लिया गया तथा जला दिया गया । माइकीनी तथा अन्य नगरों का पतन हो गया । साथ ही नोसोस के आधे बसे हुए तथा आधे उजड़े हुए प्रासाद भी नष्ट कर दिये गये ।

डोरिकों ने भी यूनान पर आक्रमण किया था, क्योंकि ये लोग लौह युग में आये थे, अतः अपने साथ लोहा लाये थे । किन्तु उनके आक्रमण के अन्य परिणाम बहुत भयंकर सिद्ध हुए। विस्तृत राजतंत्रीय नौकरशाही रातों-रात लुप्त हो गयी । लीनियर बी में तैयार अभिलेख भी गायब हो गये । यूनानी लोग निरक्षर हो गये और उनका अस्तित्व छोटे-छोटे स्थानीय समुदायों के रूप में ही रह गया । यहां तक कि, एथेन्स ने भी, जिस पर आक्रमण नहीं हुआ था, देश के अन्य भागों के समान ही कष्ट भोगा ।

एक्रोपोलिस । Acropolis


इस यूनान ने “पोलिस” (Polis) नामक एक इकाई विकसित की, जो बाद में यूनानी युग का केन्द्र बन गई । पोलिस में सभी घर एक ऐसे महल के चारों और बनाये गये जो एक पहाड़ी पर बनाया गया था, इसे एक्रोपोलिस (Acropolis) कहते थे । इस व्यवस्था में राजा को धर्मशास्त्रियों के मुखिया तथा डवोच्च न्यायाधीश के रूप में स्वीकार किया गया था । वह सेनापति भी था ।

विनाश की आंधी इतनी तेज थी कि उस व्यवस्था का कोई चिह्न नहीं बच पाया । लेकिन इस अन्धकारपूर्ण युग (१२०० से ८०० ई.पू.) के बाद यूनानियों का एक बार फिर पुनरुत्थान हुआ । अपनी प्राचीन सभ्यता से प्रेरित होकर उन्होंने बड़ी तेजी से विकास किया । यह परिवर्तन उनके मिट्टी के बर्तनों की साज-सज्जाओं में स्पष्ट दिखायी देता है । इसके अलावा एशिया माइनर में मुद्रा निर्माण (Coinage) होने से व्यापार, दस्तकारी तथा अन्य कलाओं के विकास में भी सहायता मिली । यूनानी लोगों ने फिनीशियावासियों (Phoenicians) के सम्पर्क में आने पर उनके अक्षरों से प्रभावित होकर अपनी भाषा की आवश्यतानुसार इन अक्षरों को अपनाया । यही अक्षर बाद में अपने कुछ परिवर्तित रूप में बहुत सारी भाषाओं के लेखन के आधार बने ।

आर्थिक दृष्टि से, कृषि एक प्रमुख व्यवसाय बन गया । किन्तु कुछ राज्य तेजी से व्यापार तथा उद्योग में आगे बढ़ते गये और व्यापारियों तथा दस्तकारों का एक नया वर्ग उत्पन्न होने लगा । राजनैतिक क्षेत्र में अधिकांश राज्यों ने होमर द्वारा वर्णित राजतंत्र त्याग दिया और अब उन पर कुछ सर्वाधिक धनी तथा शक्तिशाली नागरिकों से युक्त अल्पतंत्रीय (Oligarchical) सरकार शासन करने लगी ।

इसके साथ ही सामंतीय वर्ग (Noble Class) सर्वाधिक शक्ति संपन्न हो गया तथा इस वर्ग तथा साधारण नागरिकों के मध्य तनाव बीज बोये जाने की शुरुआत हो गयी । जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ी, वैसे-वैसे ही यह तनाव भी बढ़ता गया । इस बिगड़ती हुई स्थिति को संभालने के लिये उपनिवेश बनाने का (Colonization) प्रारंभ किया गया । किन्तु इससे भी वर्ग-संघर्ष (Clas Struggle) की समस्या नहीं सुलझी और ८०० से ५०० ई.पू. के बीच बड़ी संख्या निरंकुश राजा (Tyrants) अस्तित्व में आये ।

एथेंस का इतिहास । Athens History


एथेन्स में सोलोन (Solon) ने आर्थिक भेद समाप्त करने के लिये कार्य प्रयास किए । उसके उत्तराधिकारी पिसिसट्रेटस (Pisistratus) (६००-५२७ ई.पू.) ने भी सामान्य जनता के अधिकारों में वृद्धि की तथा सामंत वर्ग को भी विधि के शासन (Rule of law) के आधीन माना । सौभाग्यवश इन विकासों के फलस्वरूप प्रजातंत्र (Democracy) का जन्म हुआ, जिसे अगली दो शताब्दियों तक एथेन्स में पोषण प्राप्त होता रहा । एथेन्स ने एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत किया, जिसका अन्य राज्यों ने भी अनुसरण किया और कुछ समय तक यूनान में शांति रही और यूनानी लोग अपनी संस्कृति को समृद्ध करने में व्यस्त रहे । किन्तु यह कुछ ही समय तक रहा ।

४९४ ई.पू. में फारसी सम्राट दाराया डोरियस (Darius) ने यूनानी विद्रोह को दबा दिया और ४९० ई.पू. में यूनान पर जबरदस्त हमला कर दिया । उसका सर्वप्रथम निशाना उच्चस्तरीय मूल्यों वाला एथेन्स बना । एथेन्स ने सहायता की मांग की और फारसियों को हराने में सफल हुआ । डेरियस की सेना वहां से हट गई किन्तु अपने पीछे बदनुमा धब्बे छोड़ गयी । यूनानी राज्य एक बार फिर अलग-अलग हो गये ।

फारसियों ने इस पराजय को स्वीकार नहीं किया । उन्होंने ४८० ई.पू. जैरेक्सेस (Xerxes) के नेतृत्व में दोबारा यूनान पर आक्रमण किया । इस बार एक विशाल सेना हेलेसपौण्ट (Hellespont) पार करके इस प्रायःद्वीप में पहुंची । थर्मोपाइले (Thermopylae) के संकरे दर्रे में लियोनिदास (Leonidas) के नेतृत्व में लगभग ३०० स्पार्टावासियों ने वीरतापूर्वक इस सेना का सामना किया । वे अंतिम सांस तक लड़े किन्तु फारसी लोगों की संख्या अधिक थी । अतः उन्होंने एथेन्स पर अधिकार कर लिया । यद्यपि एथेन्स पर अधिकार कर लिया गया था, फिर भी यूनानी लोग अपनी सत्ता छोड़ने के लिये तैयार नहीं थे । थैमिस्टोक्लीज (Themistocles) के नेतृत्व में एक सैन्य-दल ने सलामी (Salamis) नामक स्थान पर फारसी सेना को पूर्णतः नष्ट कर दिया । उन्होंने २०० फारसी जहाजों सहित संपूर्ण जहाजी बेड़े को नष्ट कर दिया जबकि उनके केवल ४० जहाज ही नष्ट हुए थे ।

जैरेक्सेस की सेना पीछे हट गयी । ४७९ ई.पू. में पैसोपोनेशियावासियों ने जैरेक्सेस की सेना को पराजित किया । यदि यूनान ने फारस से अपनी स्वतंत्रता पुनः प्राप्त नहीं की होती, तो यूरोपीय सभ्यताओं के विकास का इतिहास कुछ और ही होता । फारस की सभ्यता ने संसार को पूर्णतया भिन्न योगदान दिया होता ।

एथेन्स का पुनर्निर्माण किया गया । पैरिक्लीज़ (Pericles) के आधीन प्रजातांत्रिक व्यवस्था में सुधार किये गये । विभिन्न राज्यों के अध्यक्षों में ईर्ष्या भाव अभी भी दिखायी देता था, फिर भी कोई महत्त्वपूर्ण घटना नहीं घटी । ४१५ ई.पू. में ऐल्सीबिआडीज (Alcibiades) (450-404 ई.पू.) के नेतृत्व में एथेन्स के एक लड़ाकू दल ने सिसिली (Sicily) की ओर प्रस्थान किया । लेकिन यह अभियान असफल रहा । ४३१ ई.पू. में एथेन्स की सेना तथा जल सेना नष्ट हो गयी । इस विनाश के बावजूद भी एथेन्स ४०५ ई.पू. तक लड़ता रहा और फिर अचानक स्पाटांवासियों ने लाइसेण्डर (Lysander) के नेतृत्व में एथेन्स के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया, अतः ४०४ ई.पू. में एथेन्स हथियार डालने और आत्म-समर्पण करने के लिये विवश हो गया । यह एक बहुत बड़ा राजनैतिक परिवर्तन था, क्योंकि यूनानी राज्यों में एक बार फिर अल्पतंत्र लौट आया और एथेन्स के साम्राज्य पर स्पार्टावासियों ने कब्जा कर लिया । यूनान के इतिहास के अगले ५० वर्ष प्रतिस्पर्धाओं से परिपूर्ण रहे । एथेन्स ४०३ ई.पू. में इससे उभर पाया और ३३७ ई.पू. आने तक वह पुनः स्पार्टा के विरुद्ध एक नया षड्यंत्र रच रहा था । इससे पहले कि एथेन्स बदला ले पाता, थीब्स ने यह काम कर दिया । ३७१ ई.पू. में ल्यूक्ट्रा (Lcuctra) में स्पार्टा की सेना को नष्ट कर दिया गया ।

अपनी अंतर्राज्यीय प्रतिस्पर्धाओं के कारण एथेन्सवासी उत्तर में उत्पन्न हो रहे महान खतरे को नहीं पहचान पाये । फिलिप-११ के आधीन मक्दूनियावासी अधिक शक्तिशाली होने जा रहे थे । इससे पहले कि यूनानवासी इस खतरे को पहचान पाते, फिलिप-११ ने एथेन्स पर आक्रमण कर दिया और उसे अपने कब्जे में कर लिया (३३८ ई.पू.)। एथेन्स ने थोड़ा विरोध किया और कोर्निथ की कांग्रेस (Congress) में मक्दूनियन नेतृत्व में यूनानी राज्यों का एक नया संघ (League) बनाया गया ।

प्राचीन यूनान द्वारा छोड़ी गयी विरासत असीम है । निरंतर प्रतिस्पर्धात्मक संघर्ष का जीवन जीने के बावजूद यूनानी राज्यों ने कला, साहित्य, दर्शन तथा विज्ञान के क्षेत्र में महान योगदान दिया है । इन सभी क्षेत्रों में एथेन्स ने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है तथा यूनान के सांस्कृतिक जीवन के सभी महत्त्वपूर्ण पहलू एथेन्स से जुड़े हुए हैं ।

एथेन्स वह पहला राज्य था, जिसने प्रजातंत्र की विचारधारा को अपनाकर जन-सामान्य के अधिकारों का समर्थन किया । सोलोन (Solon) ने गुलाम कर्जदारों को मुक्त किया तथा दास प्रथा संबंधी कानूनों को समाप्त किया । उसने भूमि-संचय (Accumulation of Land) पर रोक लगायी तथा उन विदेशियों को नागरिकता प्रदान करने का वायदा किया, जो एथेन्स में व्यापार करने के लिये रह रहे थे ।

एथेन्सवासियों की आय के मुख्य साधन भूमि, व्यापार तथा वाणिज्य थे । यहां के लोग मिट्टी के बर्तनों, तेल, शराब, आयातित मछली, लकड़ी तथा गेहूं के मुख्य निर्यातक बन गये थे । इसी समय पूंजीपति वर्ग (Capitalist) का विकास हुआ, एथेन्सवासियों ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा अधिकारों पर अतिरिक्त बल दिया ।

स्पार्टा का इतिहास | Sparta City


एथेन्स का मुख्य प्रतिद्वंद्वी स्पार्टा था । स्पार्टा में सदा एथेन्स से विपरीत स्थिति देखने को मिलती थी । ६०० ई.पू. तक स्पार्टा एक शक्तिशाली सैनिक-राज्य बन गया था । प्रत्येक पुरुष एक पेशेवर सैनिक होता था, जिसे बचपन से ही युद्ध की तकनीक सिखायी जाती थी । दो राजा सेना का नेतृत्व करते थे । वे शासन करने वाली वरिष्ठों की उस परिषद् (Council of Elders) के सदस्य होते थे, जिसके सदस्यों को ६० वर्ष से अधिक आयु वाले नागरिकों में से संपूर्ण जीवन के लिये चुना जाता था । स्पार्टावासियों के लिये युद्ध की तकनीक सीखना ही सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण था । यहां तक कि व्यापार तथा वाणिज्य को भी बढ़ावा नहीं दिया जाता था । नये नागरिक भी नहीं बनाये जाते थे । लगातार युद्धों में जनहानि के कारण उनकी जनसंख्या घटती गयी और अंत में उनको पराजित होना पड़ा ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Seraphinite AcceleratorOptimized by Seraphinite Accelerator
Turns on site high speed to be attractive for people and search engines.