जिमी कार्टर रहस्यमय घटना । Jimmy Carter Mysterious Incident | लाहिड़ी महाशय | Lahadi Mahashay Chamatkar

जिमी कार्टर रहस्यमय घटना । Jimmy Carter Mysterious Incident | लाहिड़ी महाशय | Lahadi Mahashay Chamatkar

जिमी कार्टर रहस्यमय घटना । Jimmy Carter Mysterious Incident

Jimmy%20Carter

कई बार ऐसी घटनाएं घटित हो जाती हैं कि जिस पर सहसा विश्वास नहीं होता, किन्तु जब इस घटना से जुड़े व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति न होकर एक मशहूर व्यक्ति हों, तो घटना की सच्चाई से किनारा नहीं किया जा सकता है ।

ऐसी ही एक घटना जिमी कार्टर (Jimmy Carter) के सामने घटी, जिसका रहस्य आज भी नहीं सुलझा है । घटना सन् १९५६ की है । भूतपूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर सपरिवार जार्जिया के एक पुराने मकान में रहने लगे थे । वह मकान पुराने ढंग का था तथा उसके चारों ओर लंबे-लंबे पेड़ लगे हुए थे । कहा जाता है कि उस मकान का निर्माण सौ वर्ष पहले १८६० में हुआ था ।जिमी कार्टर सन् १९५६ से १९६० तक इस मकान में रहे ।

एक रात उन्होंने मकान के एक कमरे में किसी की चीख सुनी । कौन चीखा? यह जानने के लिए कार्टर तथा उनकी पत्नी ने घर का कोना-कोना छान मारा, किन्तु कोई नहीं मिला ।

कुछ दिनों बाद उस मकान में और भी किराएदार आए । एक दिन एक किराएदार के कमरे से आधी रात को उसका बिस्तर ही गायब हो गया । वह तो सोया-का-सोया ही रहा, किन्तु उसके नीचे का बिस्तर इस तरह गायब हो गया जैसे उसने विस्तर बिछाया ही न हो । यह देखकर सब आश्चर्यचकित रह गए । यदि कोई चोर आया भी था, तो वह बिस्तर कैसे ले गया, जबकि उस पर आदमी सोया था ? तथा बिस्तर ही क्यों ले गया ? जबकि अन्य कीमती सामान भी काफी तादाद में आस-पास रखे हुए थे ।

यह गुत्थी किसी तरह नहीं सुलझ सकी । जिमी कार्टर इस रहस्यमय घटना के प्रत्यक्ष गवाह थे । वह इसका कोई संतोषजनक उत्तर खोज नहीं पाए ।

लाहिड़ी महाशय । चलती ट्रेन रूक गई | Lahadi Mahashay Chamatkar


%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%80%20%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A4%AF%20%E0%A4%9A%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0

लाहिड़ी महाशय की एक शिष्या थी अभया । एक दिन वह अपने पति के साथ गुरुदेव के दर्शनार्थ कलकत्ता से काशी आ रही थी । कलकत्ता के मार्ग सदैव भीड़ से युक्त रहते ही हैं । एक तो घर से चलने में कुछ विलम्ब हो गया । दूसरे, रास्ते में भीड़-भाड़ अधिक होने से घोड़ागाड़ी समय से स्टेशन न पहुंच सकी । जब अभया की घोड़ागाड़ी स्टेशन पहुंची तभी ट्रेन ने चलने की सीटी दी ।

रेल के इंजन की आवाज सुनकर अभया ने मन-ही-मन प्रार्थना की कि रेल इस समय रुक जाए, जिससे मुझे गुरुदेव के दर्शन आज ही हो जाएं । मुझे इस समय एक दिन की देर भी असहनीय है । अंतरात्मा की पुकार प्रभावशाली होती है । जब अभया ने हृदय से प्रार्थना की, तो ट्रेन के चक्के घूमते रहे, किन्तु ट्रेन एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी । ड्राइवर एवं गार्ड परेशान हो गए ।

यात्रीगण आश्चर्य चकित हो नीचे उतर आए । किसी दैवी प्रेरणा के वशीभूत गार्ड अभया के पति के पास आया और उससे पैसा लेकर उसका टिकट बनाने के बाद ज्यों ही ट्रेन में बैठा, तभी ट्रेन चल दी । काशी पहुंचने पर अभया ने गुरुदेव के चरण स्पर्श करने के लिए हाथ बढ़ाए, तो गुरुजी ने अभया को रोकते हुए कहा कि तुम्हें आज ऐसा कौन-सा विशेष कार्य था अथवा दर्शनों की ऐसी भी क्या अभिलाषा थी, जो मुझे इतना कष्ट दिया । मुझे कलकत्ता पहुंच कर ट्रेन रोकनी पड़ी तथा गार्ड को तुम्हारा टिकट बनाने के लिए तुम्हारे पास भेजना पड़ा ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *