हवा में उड़ने वाले योगी | तिब्बत के योगी । Yogi Flying in The Air
अलेक्जेंड्रा डेविड नील एक यूरोपियन स्त्री, जो चौदह सालों तक तिब्बत में रही तथा वहां के पहाड़ों की गुफाओं तथा देहातों के बौद्ध भिक्षुओं से मिली । तिब्बत की प्राचीन धार्मिक तथा तांत्रिक पुस्तकों का अध्ययन किया तथा बाद में स्वयं प्रभावित होकर लामा योगी बन गई ।
डेविड नील ने अपनी पुस्तक ‘मैजिक एण्ड मिस्रीज इन तिब्बत’ में तिब्बत तथा हिमालय पर्वत के साधुओं तथा योगियों के संबंध में आश्चर्यजनक बातें लिखी हैं । उसने लिखा है कि वहां एक योगी, जो तंत्र विद्या का बहुत बड़ा ज्ञानी था, तिब्बत के बर्फ से ढके पहाड़ों में नंगा रहता था, हजारों मील तक बिना आराम किए दौड़ सकता था तथा टेलीपैथी द्वारा हजारों मील दूर की बातें बता सकता था तथा दूर की घटनाओं को देख सकता था ।
उसने स्वयं उस योगी को पानी पर चलते देखा था व हवा में उड़ते देखा था । वह अकेली नहीं थी, उसके साथ अन्य लोग भी थे, जो इस घटना के गवाह हैं । इन बातों को जादू, चमत्कार या अद्भुत कार्य नहीं कहा जा सकता, बल्कि वर्षों तक अभ्यास से इतनी शक्ति प्राप्त कर ली जाती है कि तंत्र विद्या के ज्ञान तथा अभ्यास से यह सब किया जा सकता है ।
डेविड नील बताती हैं कि लद्दाख में एक ऐसे लामा हैं, जो आंखों पर पट्टी बांधकर एक तंग व ऊँची दीवार पर दौड़ लगा सकते हैं । लद्दाख के इलाके ससपोल के पास पहाड़ों में ऐसी-ऐसी गुफाएं हैं, जहां बर्फ पड़ने तथा सख्त सर्दी पड़ने पर भी तंत्र विद्या की शक्ति से लामा कपड़े पहने बिना रहते हैं तथा शरीर में इतनी गर्मी पैदा कर लेते हैं कि उनको सख्त सर्दी में भी पसीना आ जाता है । यह लामा किसी से बातचीत नहीं करते तथा न ही गुफाओं से बाहर आते हैं । लोग जाकर गुफा के द्वार पर भोजन रख आते हैं ।