लेक ऑफ नो रिटर्न | Lake of No Return
बरमूडा ट्रायंगल (Bermuda Triangle) की तरह एक रहस्यमयी झील भी है, जो आज तक अनसुलझी पहेली बनी हुई है । शायद बहुत ही कम लोगों को पता होगा कि देश की उत्तर-पूर्व सीमा के पास एक ऐसी रहस्यमयी झील है, जिसे ‘ए लेक ऑफ नो रिटर्न’ (Lake of No Return) कहा जाता है । आज तक इस झील के बारे में सही जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है । इस झील के आस-पास का इलाका वीरान तथा बंजर है । यहां तक कि पशु-पक्षी भी दूर तक नजर नहीं आते । इस क्षेत्र के आस-पास रहने वाले स्थानीय लोगों का कहना है कि कभी-कभी आधी रात गए यहां अजीब प्रकार की अस्पष्ट आवाजें सुनाई पड़ती हैं ।
बात उस समय की है, जब दूसरे विश्व युद्ध के दिनों में अंग्रेजों और जापानियों के संघर्ष के समय जापानी पुरे असम पर कब्जा करना चाहते थे, लेकिन जापानियों की इस चाल को असफल करने के लिए अंग्रेजों ने काफी बड़ी फौज की टुकड़ियां, जिसमें तोपखाना व बख्तरबन्द गाड़ियां थीं, इसी रास्ते से बर्मा की ओर भेजीं, परन्तु अचानक ही पूरा-का-पूरा काफिला ‘पांगूस’ दर्रे के पास पहुंचते ही गायब हो गया । दूसरी ओर जापानियों की ओर से जो फौजें असम पर कब्जा करने के लिए भेजी गई, वह भी इसी झील के समीप पहुंचते ही अचानक गायब हो गईं । लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि दोनों ओर की पूरी-की-पूरी फौजें गईं तो कहां गईं ? दोनों ओर से अपनी-अपनी फौज के गायब होने के कारणों की खोज की गई, परंतु सफलता नहीं प्राप्त हुई । इसीलिए इस झील का नाम “ए लेक ऑफ नो रिटर्न” पड़ गया ।
लापता सैनिकों की खोज में भेजे गए हेलिकॉप्टरों के चालकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वह झील एक विशाल दलदल जैसी नजर आती है । सबसे आश्चर्य जनक बात यह है कि इस झील के चित्र लेने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन सफलता नहीं मिली । कहा जाता है कि इस झील से कुछ विचित्र अज्ञात किरणें निकलती हैं, जो फोटो ग्राफिक प्लेट तथा फिल्म पर फोटो आने से रोक देती हैं ।
इस झील के संदर्भ में कुछ विद्वानों की राय है कि शायद अंतरिक्ष के प्राणियों ने यहां अपना संचार केन्द्र स्थापित किया है तथा वे प्राणी नहीं चाहते कि कोई यहां पहुंच कर इसके चित्र खींच कर किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सके। यह झील अंग्रेजों व जापानियों की सेनाओं के लापता होने के समय जैसी रहस्यमयी थी, वैसी ही आज भी है ।