सांता क्लॉज़ की अस्थियां । संत निकोलस | Bones of Santa Claus | Saint Nicholas

सांता क्लॉज़ की अस्थियां । संत निकोलस | Bones of Santa Claus | Saint Nicholas

क्रिसमस के शांतिदूत की अस्थियां १९७२ में नई दुनिया पहुंचीं । रोमन चर्च ने संत निकोलस की अस्थियां और कुछ अन्य वस्तुएं भेंट स्वरूप अमेरिकन चर्च को भेजीं । संत निकोलस ही वह नम्र पादरी थे, जिन्हें आज हम सांता क्लाज़ के नाम से पुकारते हैं । पवित्र अवशेषों में संत निकोलस के सिर की हड्डयों से निकला थोल और उनका पहनने का चोगा भी था । ये सभी वस्तुएं एक रत्नजड़ित अवशेष पात्र में रखी हुई हैं और एक नव निर्मित चर्च में स्थापित की गई हैं ।

यह देवालय न्यूयार्क के फलशिंग क्षेत्र में आया हुआ है । इसका तात्पर्य यह हुआ कि संत निकोलस की अस्थियां अब विश्व के तीन अलग-अलग स्थानों पर रखी हुई हैं- यूरोप, मध्यपूर्व और अमेरिका। परन्तु माईरा में (जो अब तुर्की में है) जहां संत निकोलस पादरी थे, उनकी असली समाधि स्थली पर उनके संगमरमर के मकबरे में सिवाय एक छेद के कोई भी वस्तु बाकी नहीं रही । वे वहां आज से १६०० वर्ष पूर्व में दफनाए गए थे ।

माईरा अब डेमरे बन गया है और तु्किस्तान में एक बंदरगाह जैसा है । संत निकोलस का समाधि स्थल समुद्र के कारण काफी हद तक भूमिगत हो गया था । तुर्की सरकार ने उत्खनन का प्रयास करके इस स्थान की पुनः स्थापना की ।

%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%9C%E0%A4%BC%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%85%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%82

संत निकोलस का जन्म पतारा (तुर्की) में हुआ था। उस समय पतारा रोमन साम्राज्य के अधीन था । उनके मां-बाप काफी धनी थे । विरासत में संत को काफी संपत्ति प्राप्त हुई, जो उन्होंने गरीबों में दान कर दी । वह एक सच्चे ईसाई थे, ज्ञानोपार्जन के लिए वे पतारा से पवित्र शहर योरूशलम भी गए । ज्ञानोपार्जन के बाद वे अपने जन्म स्थल पतारा जाने के बजाय माईरा में ही रुक गए ।

संत निकोलस बच्चों के प्रति बड़े दयालु थे तथा उन्हें बहुत प्रेम करते थे । वे समस्त विश्व के नन्हे-मुन्नों के संरक्षक संत कहे जाते हैं ।

एक दंत कथा के अनुसार सांता क्लाज हर क्रिसमस की रात उत्तरी ध्रुव से अपनी हिरनों से चलने वाली फिसलपट्टी से हर घर में जाते हैं और चिमनी से उतर कर घर में लटकाए खाली जुराबों को बच्चों के लिए सुंदर-सुंदर वस्तुओं से भर देते हैं । हाँलैंड में संत निकोलस को सिंटर क्लाज़ भी कहते हैं और इसी का अपभ्रंश है- सांता क्लाज़।

समुद्री नाविक भी इनको अपना संरक्षक संत मानते हैं । उनकी मृत्यु के पश्चात् उनका शव एक ताबूत में बंद करके एक आलीशान तहखाने में रखा गया । सन् १०८७ में इटली के बारी बंदरगाह में रहने वाले कुछ नाविक माईरा पर हमला करके संत के पवित्र अवशेष रोम ले आए, लेकिन हड़बड़ाहट में वे कुछ अवशेष वहीं छोड़ गए, जो आज तुर्की के अंताल्या अजायबघर में सुरक्षित हैं ।

बारी बंदरगाह में उनकी अस्थियों के बूत पर हमेशा एक अमर ज्योति जलती रहती है, जिसके लिए तेल इटली और एशिया से आता है । आज उनके अवशेष विश्व में तीन अगल-अलग स्थानों पर स्थापित हैं, पर उनका सद्भावना और शांति का संदेश विश्व-भर में व्याप्त है । अंत में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि सांता क्लाज़ एक काल्पनिक पात्र नहीं है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *