मृतक की गवाही | Testimony of the Deceased

Testimony of the Deceased

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Table of Contents (संक्षिप्त विवरण)

मृतक की गवाही | Testimony of the Deceased

४ अप्रैल, १९५३ का दिन काफी सुहावना और साफ था । इस दिन कई लोगों ने एक आदमी को “शिकागो” के एक अपार्टमेंट का दरवाजा चोरी की नीयत से तोड़ते हुए देखा । सब कुछ इतना साफ तौर पर हो रहा था कि न सिर्फ लोगों ने घटना का सही समय नोट किया, वरन् उन्होंने उस सेंधमार को भी पहचान लिया । वह था बत्तीस वर्षीय विलियम ब्रुक्स ।

शिकागो पुलिस के लिए यह एक आसान केस था, चूंकि मुजरिम को जुर्म करते हुए अनेक लोगों ने देखा और उसकी तस्दीक भी की थी, पर शीघ्र ही उन्हें मालूम हुआ कि जिस व्यक्ति को उन्होंने पकड़ा है, उसके पास अपने बचाव में एक अजीब, परंतु ठोस गवाही है ।

उन्होंने जब तफ्तीश की, तो उन्हें मालूम हुआ कि बुक्स एक पेरोल पर छूटा हुआ फक्कड़ आदमी था । खासतौर पर ब्रुक्स का केस उस समय पूर्णतया सुलझा हुआ मान लिया गया, जब पुलिस को उसकी गाड़ी में एक ऐसा पेचकस मिला, जिसके निशान घटना स्थल पर इस्तेमाल हुए औजार से मेल खा गए ।

अपने मुकदमे की सुनवाई में ब्रुक्स ने अपने ऊपर लगे सारे इल्जामों से इनकार कर दिया । उलटा उसने जो बयान अदालत में दिया, उससे सारी अदालत ही स्तब्ध रह गई । ब्रुक्स का कहना था कि उस पर लगाए सारे इल्जाम गलत हैं, क्योंकि घटना के समय वह मृत था ।

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उसके इस सनसनीखेज बयान की जब मजिस्ट्रेट द्वारा जांच करवाई गई, तो परिणाम वाकई सनसनीखेज निकले । जांच-पड़ताल में पाया गया कि ब्रुक्स का बयान भले ही अजीव था, परंतु था पूर्णतया सत्य | इस सारे घटनाक्रम के पीछे मूल कहानी कुछ इस प्रकार से थी –

मार्च १९५३ में ब्रुक्स का सैनिक अस्पताल में अल्सर रोग के लिए इलाज हुआ था । इस इलाज के दौरान ब्रुक्स का रिकॉर्ड एक अन्य आदमी से बदल गया था, जिसका नाम विलियम ब्रुक्स था । समस्या थी कि वह दूसरा आदमी जो कि हमारे विलियम ब्रुक्स का हमनाम था, की मौत अस्पताल में हो गई थी और जिस दिन सेंधमारी की घटना हुई थी, उस दिन हमारा वाला विलियम ब्रुक्स इस कथित रिकॉर्ड्स के घपले को सुलझाने के लिए ‘भूतपूर्व सैनिक भत्ते’ के कार्यालय में उपस्थित था, ताकि इस घपले की वजह से उसके अटके हुए पैसे मिल जाएं ।

रिकॉर्ड्स से ये तस्दीक हो गया कि सेंधमारी के दिन वह भूतपूर्व सैनिक भत्ते के कार्यालय में बैठा था और एक ऐसे टेलीग्राम का इंतजार कर रहा था, जो कि उसकी सही शिनाख्त कर सकता था । साथ-ही-साथ यह भी कि वह जिंदा था । आखिरकार टेलीग्राम १ बजकर, ४४ मिनट पर पहुंच गया था । अदालत ने ब्रुक्स को आखिरकार उसकी अजीब ही सही, परंतु प्रमाणित गवाही को सत्य मानकर उसे बरी कर दिया । कारण साफ था, क्योंकि सेंधमारी की घटना का समय १ बजकर १० मिनट दर्शाया गया था और विलियम ब्रुक्स एक जीवित आदमी है, यह साबित हुआ उसी दिन १ बजकर ४४ मिनट पर यानी बजकर ४४ मिनट से पहले अर्थात् घटना के समय (१ बजकर ३० मिनट) वह कानूनी तौर पर मृत था ।

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