अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में जानकारी | ग्रहों की यात्रा | Information About Space Station | Planetary Travel

अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में जानकारी

अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में जानकारी | ग्रहों की यात्रा | Information About Space Station | Planetary Travel

२० जुलाई, १९६९ को मानव द्वारा चंद्रमा पर विजय प्राप्त करने के बाद उसने दूसरे ग्रह-नक्षत्र की ओर जाने के सपने देखना आरंभ कर दिया । मानव ने सन् १९५७ में ही कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने आरंभ कर दिये थे, १२ साल की इस अवधि में अर्थात् १९६९ तक उसने अंतरिक्ष के अनेक रहस्यों का पता लगा लिया था । अब वह दूसरे ग्रहों के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए योजनाएं बनाने लगा और उन्हें कार्यरूप में परिवर्तित करने लगा । उसने अंतरिक्ष की अनेक यात्राएं आरंभ कर दीं ।

सन् १९७० के दशक में धरती से स्पेस स्टेशन (Space Station) अंतरिक्ष में छोडे गये । अमरीका का स्काई लैब स्टेशन (Sky Lab Station) एक ऐसा अंतरिक्ष यान था जिसमें तीन व्यक्ति अंतरिक्ष में गये । वैनरा-4 (Venera-4) एक ऐसा रूसी यान था जो शुक्र (Venus) ग्रह तक गया और उसने पैराशट (Parachute) से एक कैपसूल छोड़ा । वैनरा ने अनेक महत्त्वपूर्ण सूचनाएं पृथ्वी की ओर भेजीं ।

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सन् १९७३ और १९७४ में अमरीकी पायनियर प्रोब (Pioneer Probe) बृहस्पति (Jupiter) ग्रह के पास होकर गुजरे । इन यानों ने इस विशाल ग्रह के अनेक महत्त्वपूर्ण चित्र लिए मंगल ग्रह का लेखा-जोखा प्राप्त करने के लिए सन् १९७६ में वायकिंग (Viking) नाम के दो अंतरिक्ष यान इस ग्रह पर उतरे । इन यानों ने स्वचालित यंत्रों से मंगल ग्रह की सतह पर अनेक प्रयोग किये । इन प्रयोगों का उद्देश्य यह पता लगाना था कि इस लाल ग्रह पर जीवन का अस्तित्व है या नहीं ।

सन १९७७ में दोनोग्रेजर (Voyager) नामक यान पृथ्वी से छोड़े गये । सन् १९८१ में एक नये प्रकार की अंतरिक्ष यात्रा आरंभ हुई । यह यात्रा थी अमरीका द्वारा विकसित स्पेस शटल (Space Shuttle) की । यह एक ऐसा अंतरिक्ष यान है जो वायुयान की तरह पृथ्वी पर उतर सकता है । १२ अप्रैल, १९८१ को कोलंबिया (Columbia) नामक प्रथम स्पेस शटल चार व्यक्तियों के साथ अंतरिक्ष में गया और पृथ्वी के ३६ चक्कर लगाने के बाद १४ अप्रैल, १९८१ को पृथ्वी पर सकुशल उतर आया । इस यान को अंतरिक्ष में भेजने का कार्य दो बूस्टर (Booster) राकेटों द्वारा संपन्न किया गया । १४ नवंबर १९८१ को कोलंबिया ने दूसरी उड़ान भरी । इसके बाद चैलेंजर (Challenger) और डिस्कवरी (Discovery) नामक स्पेस शटल अंतरिक्ष में कई बार गये । २८ जनवरी, १९८६ को चैलेंजर शृंखला के एक स्पेस शटल ने जैसे ही उड़ान भरी, उसमें आग लग गयी । इस यान में सात सवारियां थी जिनमें एक अध्यापिका भी थी । स्पेस शटल के इतिहास में यह एक सबसे दर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना थी ।

सन् १९८२ में दो रूसी वैज्ञानिकों ऐनातौली बिजनौव (Anatoli Berezenov) और वैलेंटाइना लैबदेव (Valentina Lebedev) ने अंतरिक्ष में, अंतरिक्ष केन्द्र सैल्यूत-7 (Salute-7) में २११ दिन तक रहने का कीर्तिमान स्थापित किया । पिछले वर्ष यरी रमेनको (Yuri Romanenko) ३२७ दिन अंतरिक्ष में रहकर धरती पर सकुशल लौटे । सौयूज (Soyuz) टी-11 से भारत के राकेश शर्मा भी अंतरिक्ष में भ्रमण कर आये हैं ।

चंद्रमा पर उतरने के पश्चात् अब तक रूस और अमरीका अनेक अंतरिक्ष योजनाएं पूरी कर चुके हैं । ये दोनों देश अंतरिक्ष में कॉलोनियां बनाने के सपने देख रहे हैं । धरती की जनसंख्या इतनी तीव्रता से बढ़ रही है कि २०८० से पहले ही यह १५ अरब तक पहुंच जायेगी । ऐसी स्थिति में लोगों को धरती पर बसाना लगभग असंभव हो जायेगा । इस समस्या के समाधान के लिए वैज्ञानिक अंतरिक्ष में गोलाकार और बेलनाकार कॉलोनियां भेजेंगे जो पृथ्वी की परिक्रमा करती रहेंगी । इनमें हजारों लोग रह सकेंगे और अपने लिए खेती करके भोजन पैदा कर सकेंगे । ये कॉलोनियां पहिये के आकार की भी हो सकती हैं, जिनका व्यास दो हजार मीटर से भी अधिक होगा । इनके केन्द्र पर सौर विद्युत उत्पादन केन्द्र होंगे जो सारी कॉलोनी को ऊर्जा देंगे । इन कॉलोनियों की जिंदगी धरती की ही भांति होगी ।

इतना ही नहीं, हो सकता है कि मानव सौरमंडल से परे नक्षत्रों तक भी पहुच जाये । सूर्य को छोड़कर हमारी धरती के सबसे नजदीक का तारा एल्फा सेटारी (Alfa Centaury) है । आज के रॉकेट युक्त यानों से इस तारे तक पहुंचने के लिए मानव को एक लाख वर्ष का समय लगेगा । अतः नजदीक से नजदीक के तारे पर पहुंचने के लिए भी हमें अत्यधिक वेग के रॉकेटों का निर्माण करना होगा । यह केवल आने वाला समय ही बतायेगा कि विज्ञान के बढ़ते हुए कदम मानव को कहा ।

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