ये कहानी है उस देशभक्त मुस्लिम की जिसने बुरे वक्त मे भारत
को दिए थे ५ टन सोना | यह था भारत का एक ऐसा मुसलमान जिसने अपनी देश
के लिए जो किया वो जानकार हरएक भारतीय को गर्व महसूस होगा | वे
थे हैदराबाद के एक मुस्लिम “मीर उस्मान अली” |
उनके पिता हैदराबाद के नवाब महबूब अली खान थे | मीर उस्मान
अली बिलकुल सादगी से जीवन बिताते थे |
मीर उस्मान अली दुनिया के सबसे अमीर इंसान थे | उनका अपना
खुद का बैक था जिसका नाम था स्टेट बैक आफ हैदराबाद जिसकी स्थापना उन्होने स्वयं १९४४
मे की थी | यही बैक बाद मे भारतीय स्टेट बैक मे बदल गया | यह भी कहा जाता है की कई करोड़ मूल्य का हीरे को वह पेपरवेट की तरह अपने टेबल
मे इस्तमाल करते थे | उनके पास लगभग २३६ अरब डालर की संपत्ति
थी |
वर्ष १९३७ मे Times मैगजीन के मुख्य पृष्ठ पर भी वह थे | मीर उस्मान अली ने इटली और इंग्लैंड मे भी बड़ी रियासतों पर राज किया था | आजादी के पहले तक वह हैदराबाद के निजाम थे और आजादी के बाद वह हैदराबाद के
पहले राज्य प्रमुख बनाए गए |
वर्ष १९६२ मे भारत-चीन युद्ध प्रारम्भ हुआ, तब मीर
उस्मान अली ने भारत के सरकार को ५ टन सोना मदद के रूप मे दिया था | जिससे भारत सरकार ने युद्ध के समय हथियार खरीदे थे | इस दान के रूप मे दिए गए सोने को लेने स्वयं देश के प्रधानमंत्री श्री लाल
बहादुर शास्त्री हैदराबाद गए थे |
मीर उस्मान अली ने भारत मे सबसे पहले हवाई अड्डे और उस्मानिया
यूनिवर्सिटी, हैदराबाद का निर्माण कराया था जो आज भारत की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी
मे से एक है |
को दान के रूप मे ५ लाख और बनारस यूनिवर्सिटी को १० लाख रूपय दिए थे | सविधान निर्माता
डा॰ भीमराव अंबेडकर साहब को भी मीर उस्मान अली ने ५४ एकड़ जमीन दान के रूप मे दी थी
जहा कई कालेज और यूनिवर्सिटी बनाई गई |