सर्व विघ्न हरण मंत्र | सर्वविघ्नहरण मंत्र | शरीर रक्षा मंत्र | शरीर रक्षा शाबर मंत्र | शरीर रक्षा कवच मंत्र | गृह बाधा हरण मंत्र | Sarva Vighna Haran Mantra | Sharir Raksha Mantra | Grih Badha Nivaran Mantra
सर्व विघ्न हरण मंत्र | सर्वविघ्नहरण मंत्र | Sarva Vighna Haran Mantra
ॐ नमः शांते प्रशांते ॐ ह्रीं ह्रां सर्व क्रोध प्रशमनी स्वाहा।
उपरोक्त मंत्र को प्रतिदिन प्रातःकाल इक्कीस बार पाठकर मुख मार्जन करने से परिवार के समस्त प्राणी सदा शान्त एवं निर्विघ्न जीवन व्यतीत करते हैं । सायंकाल पीपल की जड़ में शर्बत चढ़ा, धूप-दीप प्रज्वलित करें ।
शरीर रक्षा मंत्र | शरीर रक्षा शाबर मंत्र | शरीर रक्षा कवच मंत्र | Sharir Raksha Mantra
ॐ नमो आदेश गुरु को बज्र बज्री बज्र किवाड़ बज्री मैं बांधा दशोद्वार को घाले उलट वेद बाही को खात पहली चौकी गणपति की दूजी चौकी हनुमन्तजी की तीजी चौकी भैरों की चौथी राम रक्षा करने को श्री नृसिंह देवजी आये शब्द साँचा पिण्ड काँचा फुरोमंत्र ईश्वरो वाचा सत्य नाम आदेश गुरु का ।
सिद्धि करने की विधि : किसी भी शनिवार से इस मंत्र का जाप प्रारम्भ करें और इक्कीस दिनों तक प्रतिदिन प्रातः २२६८ बार मंत्र जाप कर और गुग्गुल, ऋतु फूल, मिठाई, तेल सन्मुख रख घी का दीपक जलावे । इक्कीस दिन नियमपूर्वक जाप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जायेगा । जब सिद्ध हो जाय तब प्रयोग करने के लिये १०८ बार मंत्र पढ़ अंग में भभूत लगावे तो शरीर सुरक्षित होवे ।
गृह बाधा हरण मंत्र | Grah Badha Nivaran Mantra
ॐ शं शं शिं शिं शुं शुं शें शैं शों शौं शं शः स्वः सं स्वाहा।
सिद्धि करने की विधि : बारह अंगुल लम्बी पलास की लकड़ी लेकर उपरोक्त मंत्र से एक हजार बार अभिमन्त्रित कर वह लकड़ी जिस मकान में गाड़ दी जायेगी उस घर में रहने वाले सदा निर्विघ्न रहेंगे ।