शैलेन्द्रनाथ नाथ घोष । Shailendra Nath Ghosh
सन् १८९२ के नवम्बर मास के १३ तारीख को श्री शैलेन्द्रनाथ घोष का जन्म खुलना (बंगाल) में हुआ था । उनके पिता श्री यदुनाथ घोष जेल विभाग के अधिकारी थे । उनकी माता कुसुमकुमारी एक बड़ी ही विदुषी महिला थीं । शैलेन्द्र ने कलकत्ते के प्रोसिडेन्सी कालेज से वी. एस. सी. की परीक्षा ससम्मान पास की, जिसके लिये उन्हें ३२ रु. मासिक छात्रवृत्ति मिलने लगी । उसी कालेज से उन्होंने एम. एस. सी. भी ससम्मान पास किया और इस बार उन्हें १५० रु. मासिक छात्रवृत्ति मिलने लगी । कलकत्ता युनिवर्सिंटी के सेण्डकेट ने फिर उनहें २५० रू. मासिक छात्रवृत्ति देनी आरम्भ की, जिसमें वे अमेरिका की हारवर्ड युनिवर्सिटी में उचे विज्ञान का अधय्यन कर सके ।
पुलिस की बहुत जॉच-पडताल के बाद उन्हे अमेरिका जाने का पासपोर्ट मिला, पर यह पासपोर्ट अन्तिम समय मे इस सन्देह पर रद्द कर दिया गया, कि उन्होंने कुछ राजनीतिक डाकुओं को अपने घर में ठहरा लिया था । डिफेन्स आफ इंडिया के अनुसार उन्हें घर में नज़रबन्द रहने को आज्ञा हुई; किन्तु सन् १९१६ में शैलेन्द्र घर से निकल भागे और अन्यत्र वे छिप-छिप कर रहने लगे ।
सन् १९१६ के दिसम्बर मास में वे एक मल्लाह के रूप में निकल भागे और सकुशल अमेरिका पहुच गये । सन् १९१७ के मार्च में अमेरिकन सरकार ने उन्हें न्युयार्क में गिरफ्तार किया । शैलेन्द्र और अन्य १४ हिन्दुस्तानी इस अपराध में गिरफ्तार किये गये, कि ये अंग्रेज सरकार के विरुद्ध पड़यन्त्र करते हैं ।
शैलेन्द्रनाथ घोष और अन्य १४ हिन्दुस्थानी २५००० डालर की ज़मानत पर छोड़े गये थे । शैलेन्द्र जिस समय कलकत्ते के कालेज में पढ़ते थे, उस समय उनके माता-पिता ने उनका विवाह करने के लिये बड़ा आग्रह किया; पर शैलेन्द्र ने कड़ा, – ‘नहीं, में विवाह न करूँगा ! देशमाता जब तक परतन्त्र है, तब तक मैं विवाह कदापि न करूगा ।” इसके बाद शैलेन्द्र अमेरिका में रहते थे और वहाँ उन्होने भारतीय स्वतन्त्रता के उपासक मित्रों की एक समिति संगठित की थी । इस समिति की शाखाएँ बोस्टन फिलाडेल्फिया, वाशिग्टन शिकागो, पिटर्सबर्ग और न्युयार्क में खोली गयी थी । अमेरिका के बढ़े-ब़ढे लोग, जज, मेयर, और अमेरिकन पार्लमेण्ट के सदस्य भी इस समिति के सदस्य थे ।