शंकु आकार का हाथ | Type of Hand – 5

 

%25E0%25A4%2595%25E0%25A4%25B2%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A4%25E0%25A5%258D%25E0%25A4%25AE%25E0%25A4%2595%2B%25E0%25A4%25B9%25E0%25A4%25BE%25E0%25A4%25A5
शंकु आकार का हाथ 

शंकु हाथ मध्यम आकार का होता है, जिसमें हथेली कुछ शुंडाकार होती है और उगलिया ज के पास भरी हुई रहती  है| शंकु सम दिखती हैं, अपनी नोक अर्थात्
नाखून बाली पोर में जाकर कुछ नको
ली हो जाती हैं ।
इसका मिलान प्रायःअगली प्रका
अर्थात् मनोवैज्ञानिक प्रकार से किया जाता है
जो लम्बा
, संकरा, पर्याप्त लम्बी शुंडाकार उंगलियों वाला हाथ होता है।

शंकु हाथ प्रमुख विशेषता है भावावेश
और अन्तर्ज्ञान
| शंकु आकार के हाथ वाले
लोग प्रायः “भावावेश की सन्तान”
कहे जाते है । इस कोटि के मे बहुत विभिन्नता मिलती है, लेकिन अधिकतर इस तरह का हाथ भरा हुआ, कोमल और लम्बी उंगलियों, लम्बे नाखूनों
वाला होता
है। इस प्रकार का
आकार कलात्मक
, भावावेश सम्पन्न, प्रकृति का परिचायक है, किन्तु उसमें
सुख-शान्ति के प्रति मोह और बदमिजाजी के
गुण प्रमुखता लिये
होते हैं। इस तरह के हाथ वाले लोगों की बड़ी कमी यह
होती है कि वे चतुर और विचार और मति में
प्रत्युत्पन्न होते हैं
, फिर भी धैर्य की कमी इतनी है कि जल्दी ऊब जाते हैं
और अपनी मनोवांछा को
शायद ही कभी पूरा
करते हैं । ऐसे लोग साथियों या अजनबियों के बीच
सबसे अधिक उभर कर आते हैं। वे वाकपटु होते हैं, बातचीत के विषय प्रवाह को बड़ी जल्दी भांप लेते हैं, किन्तु सतही
ज्ञान वाले होते हैं
| जैसाकि अन्य
क्षेत्रों में उनका स्वभाव है
, क्योंकि ज्ञान पर
व्यवहार करने
की अपनी कमी के
कारण उनमें एक अध्येता की शक्ति तो नहीं
, इसलिए वे तर्कसंगति से नहीं भावावेश और अन्तर्ज्ञान के बल पर निर्णय करते हैं।

इसी विशेषता के कारण
से लोग
प्रेम-सम्बन्धों और मित्रता में परिवर्तनशील
होते हैं, छोटी-सी बात पर
ही कोई आसानी से उन्हें कुपित कर सकता है।
वे अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों और उनके
आसपास के वातावरण से
भी पर्याप्त
प्रभावित हो जाते हैं। प्रणय सम्बन्धों में वे प्रभावग्राही होते हैं
|

पसन्द-नापसन्द को अन्तिम छोर तक खींचते हैं, अधिकतर त्वरित
स्वभावी
होते हैं और
स्वभाव उनके लिए क्षण-विशेष की वस्तु है । जब वे गुस्से में
तो मन की बात खुलकर कहते हैं और इतने अधीर होते
हैं कि
बातों और शब्दों को तौलते नहीं । वे सदा उदार और
सहानुभूतिपूर्ण होते
हैं, अपने निजी आराम-सुख के मामले में पूरे स्वार्थी, किन्तु यह भी सही
है
  कि पैसे के मामले
में स्वार्थ नहीं देखते
, उन्हें दान-पुण्य
के लिए धन देने को आसानी से प्रभावित किया जा सकता है
| उनमे जांचने-परखने की क्षमता भी इस मामले में होनी चाहिए थी, क्योंकि जो भी उस
क्षण
उनकी सहानुभूति
जगा सकता है वही
, या उसी व्यक्ति को वे धन
दे डाल
ते हैं ।

दरअसल यह कहना अधिक उचित होगा, ऐसे हाथ वाले लोग
कलात्मक होने की अपेक्षा कलात्मकता से प्रभा
वित होते हैं। किन्तु अन्य प्रकार के प्रभावों की अपेक्षा वे रंग, संगीत, वाकटुता, आंसू, खुशी या दुःख आदि
से अधिक सरलता से प्रभावित होते
हैं। इस वर्ग के
हाथ वाले स्त्री-पुरुष सहानुभूतिपरक प्रभावों को लेकर
तुरन्त प्रतिक्रिया में आते हैं । ये लोग भावुक
होते हैं जो आनन्द के चरम
तक पहुंचते हैं
या छोटी-सी बात पर दुःख के सागर के तल में खो जाते हैं।

यदि शंकु हाथ कड़ा और लचकदार हो तो यह पहले बताई गई सभी विशेषताओं का सूचक होता है, बल्कि उनमें अधिक
ऊर्जा और इच्छाशक्ति
की दृढ़ता भी
रहती है। कड़ा शंकु हाथ स्वभाव से कलात्मक
, होता है और यदि कलात्मक जीवन के प्रति प्रेरित कर दिया जाए तो ऊर्जा और संकल्प को सफलताएं पाने के लिए लगा देता है । यह पहले
की सारी तेजी-
फुर्ती, चमक और साथियों
के या अजनबियों के बीच उभरकर सामने आने की क्षमता
लिए होता है और यही कारण है कि शंकु हाथ उन लोगों का प्रनिनिधित्व करने को निर्धारित हुआ है जो शुद्ध रूप से
भावात्मक जीवनयापन करते
हैं जैसे अभिनेता, अभिनेत्रियां, गायक, वक्ता आदि ।
किन्तु यह नहीं भूलना
चाहिए कि ये लोग
विचार
, तर्क अथवा अध्ययन की अपेक्षा क्षण-विशेष की प्रेरणागत भावना पर अधिक निर्भर करते हैं। वे कोई काम बढ़िया करेंगे किन्तु यह नहीं जानते होंगे की  उन्होंने उस काम को कैसे और किसलिए कर दिया था । 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *