किसान बिल २०२० क्या है ?
आज कल आप सभी न्यूज़ पेपर व टी॰वी॰ पर किसान बिल के बारे मे सुन रहे होंगे, तो आइये आज हम समझते है की किसान बिल २०२० क्या है ?
किसान बिल भारत मे रहने वाले १२५ करोड़ जनता पर असर डालने वाला बिल है | किसानो के लिए पिछले ७३ वर्षो मे जो व्यवस्था चली आ रही थी, फिर भी किसानो की स्थिति मे किसी भी प्रकार का सुधार नही हो पा रहा था | ये बिल काफी हद तक उनकी स्थिति को सुधार पाएगा |
संक्षिप्त विवरण (Summary)[दिखाएँ]
किसान बिल भारत मे रहने वाले १२५ करोड़ जनता पर असर डालने वाला बिल है :
न्यूनतम मूल्य अर्थात MSP (Minimum Sales Price) की सुविधा जैसी है, वैसी रहेगी |
मंडिया जैसी चल रही है, वैसी ही रहेगी | अगर कोई व्यापारी या कंपनी किसानो को MSP से ज्यादा मूल्य देता है तो किसान उस व्यापारी को अपनी फसल बेच सकेगा |
इस नए बिल के अनुसार किसान अब अपनी फसल का खुद मूल्य तय करेगा एजेंट नही |
MSP (Minimum Sales Price) सरकार तय करेगी और कंपनिया इससे कम मे फसल नही खरीद सकती है |
कंपनी से कांट्रैक्ट सिर्फ फसल की खरीद का होगा और किसान की जमीन लीज पर लेने व गिरवी रखने या खरीदने पर पाबंदी होगी |
किसानो से फसल खरीदने वाली कंपनियो को तुरंत भुगतान करना होगा और ई-कामर्स के जरिये अधिक से अधिक तीन दिन मे भुगतान करना होगा |
कंपनी सीधे किसान के खेत से फसल खुद ले सकती है, ट्रांसपोर्ट का खर्च कंपनी को खुद उठाना पड़ेगा |
न्यूनतम मूल्य अर्थात MSP (Minimum Sales Price) की सुविधा अभी जैसी है, वैसी ही बनी रहेगी | मंडिया अभी जैसी चल रही है, वैसी ही आगे चलती रहेगी | पर इसमे यह बदलाव होगा, की अगर कोई व्यापारी या कंपनी किसानो को MSP से ज्यादा मूल्य देता है तो किसान मंडियो के बदले उस व्यापारी को अपनी फसल बेच सकेगा |
तो आइये जानते है इसे विस्तार से :
आज तक होता ये आया है की किसान सीधे-सीधे ग्राहको से बात नही कर सकता था और न ही उसे अपना धान बेच पाते थे, इन दोनों के बीच मे एजेंट होते थे, जिसे उन्हे कमीशन देना पड़ता था |
ये एजेंट मंडियो मे बैठते है, और इन एजेंटो के समूह के द्वारा किसानो से फसल खरीदी होती है और ये इसे आगे भेजते है | एजेंटो के द्वारा ही समान की कीमत निर्धारित होती है |
किसान सबसे पहले मंडी जाता था और वहा अपने उचित मूल्य मे बेचने का इंतजार करता था, पर ऐसा नही हो पाता था, जिससे उसकी हालत दिन-व-दिन बत से बत्तर होती जा रही थी | परिस्थितियो के अनुसार किसानो को कई बार २-३ रूपये मे भी प्याज बेचना पड जाता था, जिसे सामान्य बाजार से हम ४०-५० रूपये मे खरीदकर लाते है |
पिछले ७० वर्षो की व्यवस्था मे अभी तक ऐसा ही चलता आया था की किसान सबसे पहले मंडी जाएगा और वहा से फसल बाजार मे उपलब्ध होगा | ऐसा भी माना जाता है की किसान सीधे तौर पर अगर ग्राहक को अपना समान बेचता है तो उसके ८.५ प्रतिशत टैक्स(कर) लगता था |
पर अब वर्तमान मे ३ ओर्डिनेंट पास हो चुके है, जिसका अब बिल भी बन चुका है |
इस नए बिल के अनुसार किसान अब अपनी फसल का खुद मूल्य तय करेगा जिस प्रकार से उद्योग अपनी वस्तु की खुद मूल्य तय करती है |
अब कंपनी जैसी की D-Mark, Best Price, Reliance Smart, JIO Smart सीधे किसान से उनकी फसल खरीद सकती है, जो पहले के नियमो के अनुसार संभव नही था |
यहा सबसे बड़ी समस्या यह थी की कही ये बडी-बड़ी कंपनिया किसानो का शोषण न करने लग जाए, इस समस्या के समाधान के लिए एक ओर्डिनेंट पास किया गया, जिसमे उल्लेख था की न्यूनतम मूल्य अर्थात MSP (Minimum Sales Price) सरकार तय करेगी और कंपनिया इससे कम मे फसल नही खरीद सकती है | उसे उससे ज्यादा ही देना होगा |
सवाल अभी ये उठाया गया की कंपनिया कांट्रैक्ट के नाम पर किसान की जमीन पर कब्जा कर लेगी पर बिल मे स्पष्ट लिखा है की कांट्रैक्ट सिर्फ फसल की खरीद का होगा और किसान की जमीन लीज पर लेने व गिरवी रखने या खरीदने पर पाबंदी होगी |
सवाल ये उठाया गया की कंपनिया किसानो से फसल तो खरीद लेगी लेकिन भुगतान के लिए किसान कंपनियो के पीछे-पीछे घूमता रहेगा | पर ओर्डिनेंट मे यह भी स्पष्ट कर दिया गया है की किसानो से सीधे-सीधे फसल खरीदने वाली कंपनियो को तुरंत भुगतान करना होगा और ई-कामर्स के जरिये किया गया भुगतान अधिक से अधिक तीन दिन मे किसान के खाते मे पहुच जाना चाहिए |
कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग करने वाली कंपनियो को फसल खेत से लेनी होगी और दो-तिहाई भुगतान तुरंत करना होगा | बाकी का एक-तिहाई तीन दिन के अंदर |
किसानो को इससे यह भी फायदा होगा की पहले वह अपनी फसल लेकर मंडी जाता था, और ट्रांसपोर्ट का खर्च उसे खुद उठाना पड़ता था पर अब कंपनी सीधे उससे मिलकर उसके खेत से फसल खुद ले सकती है, जिससे ट्रांसपोर्ट का खर्च किसान पर न पडकर कंपनी स्वयं उठाईंगी |
आम जनता को इससे यह फायदा होगा की किसान अब सीधे कंपनियो के अलावा ग्राहक को अपनी फसल बेच सकता है और हम स्वयं किसान से उसका फसल ले सकते है जिससे मूल्य नियंत्रण मे रहेगा |
FAQ`s
Questation : किसान बिल क्या है?
Answer : वर्तमान मे ३ ओर्डिनेंट पास करके किसान बिल पारित किया गया है, जिसके अनुसार किसान अब अपनी फसल का खुद मूल्य तय करेगा जिस प्रकार से उद्योग अपनी वस्तु की खुद मूल्य तय करती है | अब कंपनी जैसी की D-Mark, Best Price, Reliance Smart, JIO Smart सीधे किसान से उनकी फसल खरीद सकती है, जो पहले सिर्फ मंडियो मे ही बेचा जाना संभव था |
Questation : किसान बिल के फायदे क्या है?
Answer : अगर कोई व्यापारी या कंपनी किसानो को MSP से ज्यादा मूल्य देता है तो किसान उस व्यापारी को अपनी फसल बेच सकेगा | किसान अब अपनी फसल का खुद मूल्य तय करेगा एजेंट नही | किसानो से फसल खरीदने वाली कंपनियो को तुरंत भुगतान करना होगा और ई-कामर्स के जरिये अधिक से अधिक तीन दिन मे भुगतान करना होगा |किसानो को इससे यह भी फायदा होगा की पहले वह अपनी फसल लेकर मंडी जाता था, और ट्रांसपोर्ट का खर्च उसे खुद उठाना पड़ता था पर अब कंपनी सीधे उससे मिलकर उसके खेत से फसल खुद ले सकती है, जिससे ट्रांसपोर्ट का खर्च किसान पर न पडकर कंपनी स्वयं उठाईंगी |
Questation : किसान बिल का विरोध क्यो हो रहा है?
Answer : किसान बिल का विरोध इसलिए हो रहा है क्योकी किसानो के नेताओ का मानना है की ये बडी-बड़ी कंपनिया किसानो का शोषण करने लग जाएगी और कंपनिया कांट्रैक्ट के नाम पर किसान की जमीन पर कब्जा कर लेगी | कंपनिया किसानो से फसल तो खरीद लेगी लेकिन भुगतान के लिए किसान कंपनियो के पीछे-पीछे घूमता रहेगा | किसानो के नेता यह चाहते है की इतनी वर्षो से चली आ रही इस पद्धति को वैसी ही चलने दिया जाए |