मानसिक रोगियों को बिजली का झटका क्यों देते हैं | Why do you give electric shock to a mentally ill person
कुछ खास मानसिक रोगों का उपचार करने के लिए बिजली के झटके देकर मरीज का इलाज किया जाता है । इस पद्धति को इलेक्ट्रोशॉक थैरेपी (electroshock therapy) कहते हैं ।
मानसिक रोग का इलाज करने के लिए पहली बार 1938 में रोम में यू सेरलेट्टी तथा एल बिनी ने इलेक्ट्रोकन्वलसिव थैरेपी का प्रयोग किया था । तभी से यह तरीका आमतौर पर गम्भीर किस्म के मानसिक रोग, जैसे तीव्र अन्तः जात, अवसादों तथा सीजोफ्रेनिया की कुछ किस्मों के इलाज में प्रयोग किया जाता है ।
इस थैरेपी में मरीज के सिर पर दो इलेक्ट्रोड उपयुक्त स्थिति में लगाए जाते हैं तथा 50 से 60 हर्ट्ज की प्रत्यावर्ती धारा को इन इलेक्ट्रोडों से 0.1 सैकण्ड तक गुजारा जाता है ।
विद्युत धारा के गुजरने से चेतना में तुरन्त ही ठहराव आ जाता है और व्याक्षोभ का दौर पैदा हो जाता है । 2 से 6 सप्ताह तक की अवधि तक इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थैरेपी सप्ताह में तीन बार की जाती है ।
कुछ गम्भीर मामलों में डाक्टर इस थैरेपी का प्रयोग दिन में तीन बार भी करते हैं। कभी-कभी इलेक्ट्रोशॉक थैरेपी से गम्भीर जटिलताएं भी पैदा हो जाती हैं । हालांकि मानसिक रोगों के उपचार में यह तरीका बहुत कारगर सिद्ध हुआ है, लेकिन कभी-कभी यह रोग को बिगाड़ देता है ।