आठ सिद्धियां कौन-कौन सी है | हनुमान आठ सिद्धियां | अष्ट सिद्धि | aath siddhiyan kya hai
‘योग-साहित्य’ में 30 प्रकार की सिद्धियों का वर्णन है जो साधक को समाधि लगने पर प्राप्त हो जाती हैं । यह अनायास ही होता है । परन्तु साधक को यह भी निर्देश दिया गया है कि इन सिद्धियों को प्राप्त करने का प्रयास नहीं करना चाहिए ।
अगर अनायास प्राप्त हो ही जाए तो इनका उपयोग सांसारिक सुख-वैभव में नहीं करना चाहिए । यहाँ आठ सिद्धियों का संक्षेप में वर्णन किया जा रहा है ।
( 1 ) अणिमा सिद्धि
जब योगी इच्छा करते ही अपने शरीर को सूक्ष्म अणु से भी सूक्ष्मतर कर लेता है तब उसे ‘अणिमा सिद्धि’ कहते हैं।
( 2 ) लघिमा सिद्धि
जब योगी अपने शरीर को हल्के से हल्का कर सके और आकाश के अवलम्बन से जहाँ चाहे वहाँ जा सके ।
( 3 ) महिमा सिद्धि
जब योगी इच्छा करते ही अपने शरीर को चाहे जितना बढ़ा सके ।
( 4 ) गरिमा सिद्धि
जब योगी इच्छा करते ही अपने शरीर को चाहे जितना भारी-से-भारी कर सके ।
( 5 ) प्राप्ति सिद्धि
जब योगी इच्छा करते ही एक लोक से लोकान्तर में अर्थात् किसी ग्रह, उपग्रह, सूर्य या किसी महा सूर्य में जहाँ चाहे वहीं पहुँच सके ।
( 6 ) प्राकाम्य सिद्धि
जब योगी जिस किसी पदार्थ की इच्छा करे तभी वह पदार्थ उसको प्राप्त हो जाए अर्थात् त्रिलोक में उसको अप्राप्त कोई भी पदार्थ न रहे ।
( 7 ) वशित्व सिद्धि
इससे योगी के वश में समस्त पँचमहाभूत (आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी) और सम्पूर्ण भौतिक पदार्थ आ जाते हैं । वह जैसा चाहे पँचमहाभूतों से काम ले सकता है । वह स्वयं किसी के वश में नहीं होता है ।
( 8 ) ईशित्व सिद्धि
जब योगी को भूत और भौतिक पदार्थों की उत्पत्ति, स्थिति और लय करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है । यदि वह नवीन सृष्टि को करना चाहे तो वह भी आंशिक रूप से कर सकता है ।
ये ही आठ सिद्धियाँ हैं । इन सिद्धियों के साथ-साथ योगी को रूप, लावण्य, बल और बज्रतुल्य दृढ़ता – ये सभी काय-सम्पत्तियाँ मिल जाती हैं ।