पीपल एवं पथवारी की कहानी – २ | Pathwari ki Kahani – 2

पथवारी की कहानी (मारवाड़ी मे)

Pathwari ki Kahani (In Marwari)

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Pathwari Ki Kahani

दो जणा हा । पेली वालो बंडी क मायन हीरा मोती खारक खोपरा बिदाम मिश्री भरकर बेचण जावहो घमंडी हो । रास्ता में पंथवारी माता बूढो को रुप धरर बेठगी बो बोल्यो ए डोकरी बाजू सरक । बा बोली म लूली पांगरी हूं म्हारासं उठीज कोनी । हाथ पकडर घसीटर बाजु न्हाक दियो । बा पूछी थारी बडी म कांई ह ? बो बोल्यो थन काई करणू ह ? भाटा डीडा ह । डोंकरी बोली थारी आशा जिशी मंशा ।

दूजोडो बंडी लेर निकल्यो बीकी बंडी म कंकर भाटा डींडा हा । सुबा की टेम भजन गांवतो निकल्यो रास्ता म पंथवारी मा बेठी हो। बोल्यो डोंकरी मां बाजु सरको । बा बोली म्हारासू उठीज कोनी । बो चबुतरो झाडर डोकरी न गौदयां करर बेठा दियो । वा पूच्छों थारी बंडी म कांई ह ? बो बोल्यो म्हारी बंडी महीरा मोती बदाम, मिश्री दाखा चारोली ह। या बोली थारी आशा जिशी मंशा राम पूरी इच्छा दोन्यू जणा गाव की मंडी म गया पेला वाला के भाटा डीडा होयग्या दूजा वाल क हीरा मोती होयग्या दोनु आपस में लडबा लाग्या लोग भेला होयग्या लोग बोल्या थान कोई रास्ता म मिल्यो हो कांई बे बोल्या म्हान एक डोकरी मिलो हो लोग बोल्या बीक कन ही जावो बा थाको न्याव करी । दोन्यू जणा गया डोकरी न बोल्या म्हाकी गाडयां बदलीजगी पंथवारी माता बोली तू आगाडी सूं गयो, ओ पिछाडी सु आयो गाडया कठसु बदलीजगी आ बोली तू सुबां की टेम ज्यान बाणी बोल्यो व्यान थारे होयग्यो । अब एक थैली बिदाम मिश्री की हो जाई बाकी की सब भाटा डींडा रेई दूजा क सब बिदाम मिश्री हो जाई । एक थेलों भाटा डींडा को रेही सुबों की टेम अच्छौ वाणी बोंलणू । झूठ कदई बोलणु नहीं । पंथवारी माता बीक बादाम पिश्ता करया ज्यान म्हाक करी ज। सब क करीजो। बींक भाटा डींडा करया ज्यान कोइक मत करीजो।

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