पथवारी की कहानी – ३ (मारवाड़ी मे) | Pathwari ki Kahani – 3 (In Marwari)

पथवारी की कहानी (मारवाड़ी मे)

Pathwari ki Kahani (In Marwari)

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Pathwari Ki Kahani

एक डोंकरी ही काती को महिनों आयों तीर्था जावण लागी | गाया भैसा घणी सारी ही दो बवां न पात्यां करर देदी | म्हे आवं जित्त दूध दही बेचकर पैसा भेला कर लीओ | दिबराणी जिठाणी न पूच्छयो दूध दही को काई करण जिठाणी बोली – गाया भैसा निचोड्णु पथवारी पर लेजार कूड देनू जिठाणी दूध दही बेचर पैसा भेला करती यान करता करता एक महिनो पूरों होयग्यो सासूजी तीर्थासु आयग्या बवां न बोल्या लावो पैसा देवो बडोडी तो झठ पैसा लार दे दी ओर छोटी पंथवारी माता कन जार बोली ए पंथवारी माता म्हारी सासू पैसा मांग। पंथवारी माता बोली

आकाश वाणी हुयो पान फुल लेकर चली जा बा छोटी सी टोकरी म पान फुल लेर आयगी सासू बोली बहु पैसा दे बह बोली टोकरी म पडया ह । सासू जार देख तो टोकरी म हीरा मोती सोना की डल्या होंयगी सासू बोली बहु कुण ट्टयो बहु बोली म्हन तो पंथवारी माता टूटी है जिठाणी न मालूम पडी जिठाणी सासू न बोली सासू जी ओर तोरथां जावौ सासू घोली बीनणी घर गिरस्थी वांला हा रोज रोज गया सर कोनी बहु जीद करो जणा सासू लाण तीरथां चली गयी गाया भैंसा को पांती कर दी।

छोटी तो दूध दही बेचर पैसा भेला करी थोडो सु दुध पंथवार न चढाती जिठाणी रोज गरम दूध करर पंथवारी क चढ। देव पंथवारी माता बोली तो सब छाला होयग्या म्हन तो बाल न्हाको ठार ज्यान ठरु बाल म्हार उयान बलू। सासू तीर्थासु आई लाओ बवा पैसा देबो । छोटी तो एक बार ठोकर खाली। दूजी वार पगा लागर पेसा दे दिया। बडो डी बोली अवार पंथवारी कनवू लावं पंथवारी न जार बोली म्हारी सासू पैसा मांग पंथवारी बोली बा भी पान फुल लेयगी तू भी ले जा बंडी लायी सगलो चबुतरो उखाडर लेयगी लेजार खुना म न्हाक दियो सासू जार देखतो सांप बिच्छू होयग्या सासू बोली बहु ओ काई करयों बहु पंथवारी माता न बोली ए पंथवारी माता दीवराणी न टूटी मन रुठो पंथवारी माता बोली बा भोली डाली ही महारी कच्चा दूध सं पना करल ही तू म्हार छाला अणा दिया। पंथवारी माता न बोलो पाछो समेट । पंथवारी माता की दूध दही बाजा गाजा सं पूजा करी पक्को मंदिर बनाई मंदिर म लाडू चढाया पीला को बेस चढायो पंथवारी माता की पूजा करी । पंथवारी माता पाछो समेट लिया दिवराणो टूटीं ज्यान सबन टूटीज जिठाणी सु रुठो ज्यान कोई सं मत रुठिजो।

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