अब्दुल
रहीम खानखाना का इतिहास
Abdul Rahim Khan-I-Khana
अब्दुल रहीम खानखाना बहराम खाँ का पुत्र था ।
जब अब्दुल रहीम चार वर्ष का था तब अकबर के कहने पर उसके पिता का कत्ल कर दिया गया
था,
हालाँकि बहराम खाँ अकबर का सद्निष्ठ और
उत्साही संरक्षक था। बहराम खो की हत्या के बाद बालक रहीम और उसकी माता सलीमा सुलतान
को अकबर के दरबार में लाया गया उसी समय से ही दरबार के कपटपूर्ण जीवन का वह अभ्यस्त
हो गया था। उसने अपना शेष जीवन अकबर की ओर से युद्ध करने एवं कविताएँ सुनाकर उसका
कष्ट
दूर करने में बिताया। उसका जन्म लाहौर में ६६४ हिजरी में हुआ था। रहीम का आदर्श यह
था कि “दुश्मन पर अपनी दोस्ती की आड़ में चोट करो।” सभी उस पर
विद्वेषपूर्ण और विश्वासघाती होने का आरोप लगाते हैं। उसका शव हुमायूं के तथाकथित
मकबरे के पास एक पुराने हिन्दू भवन में, जहाँ वह रहा
करता था। वह वही स्थान है जहां वह अपने जीवनकाल में रहता था । हिन्दू शैली के
शक्ति चक्र आपस में गुँथे हुए दो त्रिकोण अभी भी इस भवन के चारों द्वारों पर देखे
जा सकते हैं। जिनके कारण मुसलमान इसे नीला बर्ज कहा करते थे।