बेताल की कहानी – कसूरवार कौन | Betaal Pachisi
विक्रम ने लपक कर बेताल को पकड़ लिया ।
“तू फिर भागा ?”
“भागना तो मेरा स्वभाव है । राजा विक्रम!” बेताल पकड़ में आने के बाद हंसने लगा । “बड़े बेशरम हो तुम। ढीठ !”
विक्रम ने बेताल को कंधे पर लाद लिया और तेजी से आगे बढ़ चला । राजा विक्रम मन-ही-मन क्षुब्ध था, पर कुछ बोला नहीं ।
बेताल ही बोला—‘‘राजा विक्रम ! गुस्सा छोड़ दो । मेरी बात सुनो । मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूं ।”
विक्रम ने कोई जवाब न दिया ।
बेताल ने फिर कहना शुरू कर दिया – “हे राजा विक्रम !
महेशपुर राज्य में कमल किशोर नामक एक ब्राह्मण रहता था । उसकी पत्नी सुलोचना बड़ी सुन्दर थी । एक बार कमल किशोर व्यवसाय के सिलसिले में परदेश चला गया । एक माह का समय बीत गया । सुलोचना का मन विरह से जलने लगा था । वह कुछ समय बाद ऋतुमती हुई तो उसे कामेच्छा सताने लगी ।
एक दिन सुलोचना छत पर खड़ी थी । वह स्नान करके अपने घने लम्बे केश सुखा रही थी । उसी समय श्यामसुन्दर नामक एक युवक की दृष्टि उस पर पड़ी । वह अपने घोड़े पर बैठकर सैर करने जा रहा था । वह सुलोचना को देखता ही रह गया ।
सुलोचना का रूप-यौवन देखकर वह व्याकुल हो गया । सुलोचना की भी निगाहें उससे टकरा गई । उसका मन भी मोहित हो गया । दोनों विरह में जलने लगे । सुलोचना को चैन न पड़ रहा था । उसकी बेचैनी देखकर दासी ने कारण पूछा तो सुलोचना ने सब सच-सच बतला दिया ।
तब दासी बोली—‘‘तुम्हारा मन है, तो मैं उस युवक को ला सकती हूं । मैं उसे जानती हूं।”
दासी की बात पर सुलोचना सहमत हो गई । अतः दासी श्यामसुन्दर को बुलाकर ले आई । अब क्या था । दोनों ने विरह की आग को बुझाना शुरू कर दिया ।
राजा विक्रम ! इस प्रकार जब तक कमल किशोर न आया तब तक दोनों ने खूब सुख पाया । कमल किशोर के आ जाने पर बाधा पड़ गई । सुलोचना का मन कमल किशोर में न लगता था । इस बात को कमल किशोर ने जान लिया ।
वह चुपचाप कारण का पता करने लगा । फिर उसने दासी से पूछताछ की । दासी ने सब बतला दिया । इस पर कमल किशोर का मन टूट गया । फिर एक दिन वह सुलोचना को छोड़कर चला गया ।
सुलोचना बिना उसकी चिंता किए श्यामसुन्दर के साथ विलास करती रही । बहुत समय हो गया पर कमल किशोर न आया । इसी बीच सुलोचना गर्भवती हो गई ।
कमल किशोर का कुछ पता न चला । तब सुलोचना श्यामसुन्दर के पास ही जाकर रहने लगी । उसने समय पर एक शिशु को जन्म दिया । श्यामसुन्दर ने उसे अपना पुत्र मानने से इन्कार कर दिया । इस पर सुलोचना ने उस शिशु को मारकर फेंक दिया ।
संयोग की बात देखो राजा विक्रम ! कमल किशोर साधु हो गया । नदी के जिस तट पर सुलोचना शिशु की मृत देह डाल गई थी, वहीं पर कमल किशोर की कुटिया थी । प्रातःकाल शिशु की लाश पर शोर मचा ।
राजा के सिपाही आ गए और साधु रूपी कमल किशोर को पकड़कर राजा के पास ले गए । राजा ने पूछा-“यह काम तुम्हारा है।”
“नहीं, अन्नदाता।”
“पर शिशु का चेहरा तुमसे एकदम मिलता है।”
राजा की बात ठीक थी । सिपाहियों ने भी यह बात देखी थी और राजा को बतला दी थी । कमल किशोर कुछ न बोला ।
“साधु होकर झूठ बोलते हो।”
कमल किशोर चुप ही रहा । राजा ने उसे अगले दिन चौराहे पर फांसी पर लटका देने का हुक्म दिया । कमल किशोर फिर भी मौन रहा । अगले दिन सुबह कमल किशोर को सिपाही लेने आए ।
“आखिरी समय कुछ कहना है, क्या ?”
“हां !” कमल किशोर बोला-“‘सुलोचना नामक स्त्री श्यामसुन्दर की पत्नी है । उसे फांसी के समय मेरे सामने ले आना ।”
सिपाही सुलोचना को ले आए ।
उसने साधु रूपी अपने पति कमल किशोर को पहचान लिया । वह शोर करने लगी । उसने फांसी न लगाने की प्रार्थना की तथा अपना अपराध स्वीकार किया ।
विक्रम बेताल के सवाल जवाब
बेताल के सवाल :
अब बताओ राजा विक्रम ! फांसी किसको लगनी चाहिए । तुम्हारा न्याय क्या कहता है ?” राजा विक्रम कुछ न बोला ।
“जवाब दो ना।”
“राजा ने क्या न्याय किया।”
एकाएक विक्रम ने पूछा ।
‘‘राजा की बात छोड़ो ! तुम अपना न्याय कहो ।” बेताल बोला—“अगर तुम्हारे सामने ऐसा विवाद आता तो क्या करते ?”
राजा विक्रमादित्य के जवाब :
“मेरा न्याय यह होता कि फांसी तीनों को लगे ।”
बेताल चौंक गया।
‘ऐसा क्यों, राजा विक्रम ?”
‘शिशु का जन्म तीनों के कारण हुआ । हत्या सुलोचना ने की, पर तीनों समान रूप से पाप के भागी हैं । देखो बेताल ! किसी के दोष देने मात्र से कोई दोषी नहीं होता । कारण मुख्य होता है । कारण में तीनों थे । इस कारण तीनों समान दंड के भागी हैं ।”
“पर राजा ने तो सुलोचना को फांसी पर लटका दिया।”
“अपना-अपना न्याय है।”
विक्रम की बात पर बेताल खिलखिलाकर हंस पड़ा । उसकी हंसी बड़ी भयानक थी ।
विक्रम सावधान हो गया। वह अब समझ गया था कि उसका न्याय जानने के बाद वह भागता है । अतएव विक्रम ने उसे कसकर पकड़ रखा था । बेताल छटपटाकर रह गया । बोला—“होशियार हो गए मालूम पड़ते हो ।”
विक्रम बोला–“कसकर पकड़ रखा है।”
विक्रम ने जकड़ और मजबूत कर ली पर तब भी बेताल निकल भागा । विक्रम चौंक गया और तेजी से उसके पीछे दौड़ा ।