बेताल और सिंहासन बत्तीसी – क्यों रोया, क्यों हंसा | Betal Ki Kahani

बेताल और सिंहासन बत्तीसी – क्यों रोया, क्यों हंसा | Betal Ki Kahani

बेताल ने राजा विक्रम को तेरहवीं कहानी इस प्रकार सुनाई –

“राजा विक्रम ! मैं तुम्हारे निर्णय पर बहुत प्रसन्न हूं । अब एक अनोखी कहानी सुनाता हूं । यह बिल्कुल सच्ची घटना है। मैं देश-देश का भ्रमण करता रहता हूं । एक-से-एक तमाशा मैंने देखा है । इस कारण यह घटना मेरी आंखों देखी है ।

चन्द्रहृदय नामक नगरी का राजा चंद्रवीर बड़ा प्रतापी था । वह अपनी प्रजा के सुख-दुख का बड़ा ध्यान रखता था । उसी नगर में धर्मवीर नामक एक धन्नासेठ रहता था । उसकी कन्या का नाम शोभना था । वह अत्यन्त रूपवती थी । विवाह योग्य हो गई थी । धर्मवीर किसी सुयोग्य वर से उसका विवाह करना चाहता था, पर शोभना ने साफ कह दिया था कि वह अपनी पसंद से ही विवाह करेगी ।

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सेठ धर्मवीर चूंकि अपनी बेटी से बेहद प्यार करता था, इसलिए उसने बिना किसी हील-हुज्जत के बेटी की बात मान ली ।

हे राजा विक्रम ! एक समय ऐसा आया कि चन्द्रहृदय नगर में चोरियां होने लगीं । प्रजा त्राहि-त्राहि कर उठी । मगर लाख कोशिशों के बाद भी चोर पकड़ा न गया । चोरों का निशाना छोटे और गरीब प्रजाजन तो थे ही, बड़े-बड़े सेठों को भी उन्होंने नहीं बख्शा था । तब नगर के सभी धनवानों ने राजा चन्द्रवीर से फरियाद की । राजा चन्द्रवीर ने स्वयं उसी समय अपने तमाम सिपाहियों को पहरे पर लगा दिया । किन्तु आश्चर्य की बात यह थी कि इसके बाद भी चोरियां न रुकीं । प्रजा को शक हो गया कि कहीं पहरेदार चोरों से न मिल गए हों । प्रजा चन्द्रवीर के पास गई । फरियाद की गई ।

तब राजा चन्द्रवीर ने घोषणा की कि वह स्वयं देख-भाल करेगा । हे राजा विक्रम ! इस प्रकार राजा चन्द्रवीर स्वयं पहरे पर आ गया । उसके कारण पहरेदार मुस्तैद हो गए । तीन- चार दिनों तक तो कुछ न हुआ पर एक रात जब राजा चन्द्रवीर स्वयं नगर की गश्त लगा रहा । था कि उसने एक व्यक्ति को भागते देखा ।

“उसे फौरन पकड़ो।”-राजा चन्द्रवीर ने हुक्म दिया । तब सिपाहियों ने दौड़कर उसे दबोच लिया । इस प्रकार पकड़ा गया आदमी राजा के सामने लाया गया । उसके पास से चोरी का सामान निकला । उसने कबूल किया कि वह चोर है । अब तक वही चोरियां करता आया था । राजा ने उसे हिरासत में भेज दिया ।

अगले दिन नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया गया कि चोर पकड़ा गया है । उसको कल सारे शहर में घुमाने के बाद फांसी पर लटका दिया जाएगा । चोर को राजा द्वारा पकड़ लिए जाने के समाचार पर सारी प्रजा प्रसन्न हो गई । जब उस चोर को नगर-परिक्रमा के लिए निकाला गया, तो हे राजा विक्रम… सारा नगर उसे देखने के लिए टूट पड़ा । स्त्रियों अपने घरों के झरोखों और छतों पर आ गईं ।

चोर को जब सेठ धर्मवीर की हवेली के सामने लाया गया तो उसकी पुत्री शोभना ने भी उसे देखा । वह चोर को देखते ही उस पर मोहित हो गई । तुरन्त दौड़कर धर्मवीर के पास गई और बताया कि वह उस चोर से विवाह करना चाहती है । बेटी की यह बात सुनकर सेठ धर्मवीर अवाक् रह गया ।

“यह तुम क्या कह रही हो बेटी ?”

“मैं जो कुछ भी कह रही हूं, अच्छी तरह सोच-समझकर कह रही हूं पिताजी । मैंने उसको अपना पति मान लिया है।” शोभना बोली – “अगर वह फांसी पर लटक गया तो मैं सती हो जाऊंगी।”

धर्मवीर यह सुनकर घबरा गया । अपनी बेटी की ममता के वशीभूत होकर वह राजा के पास गया और राजा को सारी बात बताकर निवेदन किया कि वे चोर को छोड़ दें ।

राजा आश्चर्य से बोला—“ऐसा कैसे हो सकता है । चोर को सजा तो मिलेगी ही । मेरी प्रजा क्या कहेगी ?”

उधर, धर्मवीर ने बहुतेरा समझाया, पर शोभना अपने निश्चय पर अटल थी । शोभना की हठ का समाचार पास-पड़ोस में फैल गया । बात चोर के कान तक आई । जब उसने सुना तो वह रोने लगा ।

फिर शूली पर लटकने का समय आ गया । नगर के चौराहे पर उसको फांसी दी जाने वाली थी । उस दृश्य को देखने के लिए सारा नगर टूट पड़ा था । उसे शूली के पास लाया गया ।

ठीक इसी समय शोभना वहां आ गई । उसने बाल बिखरा रखे थे, वियोगिनी का वेश बना रखा था । उसने घोषणा की, चोर को वह अपना पति मान चुकी है । इस कारण उसके साथ सती होगी । हे राजा विक्रम … तब नगर के अनेक युवक शोभना को समझाने लगे । मगर उसने किसी की भी बात नहीं मानी । वह तो अपनी जिद पर अड़ी थी । चोर को जब पता चला तो वह ठठाकर हस पड़ा कि वह सती होने वाली है । फिर उसे शूली पर लटका दिया गया ।

हे राजा विक्रम ! शोभना अपनी घोषणा के अनुसार उस चोर की मृत देह को अपनी गोद में रखकर सती हो गयी । उसने अपना वचन निभाया ।

विक्रम बेताल के सवाल जवाब

बेताल के सवाल :

यह अजूबा मैंने स्वयं अपनी आंखों से देखा है । इसके बावजूद में आज तक यह नहीं समझ पाया । कि चोर शोभना के प्यार की खबर पाकर रोया क्यों ? सती होने के इरादे पर ठठाकर हंसा क्यों ? उसे तो शोभना के प्यार की खबर पाकर खुश होना था और सती होने की सूचना पर रोना था । यह बात उलट कैसे गई ? तुम्हीं बताओ, इसका कारण क्या था?”

राजा विक्रमादित्य के जवाब :

राजा विक्रम कुछ देर सोच-विचार के बाद बोला–“बेताल, गुणी की कीमत गुणवान ही करता है । जब चोर को यह पता चला कि महासेठ धर्मवीर की पुत्री शोभना उससे प्यार करती है, तो अपनी तकदीर पर रोया कि अगर शोभना का प्यार पकड़े जाने से पहले मिल जाता तो शायद वह सुधर जाता । एक भला आदमी बन जाता।”

‘सती की बात पर हंसा क्यों?” पूछा बेताल ने ।

‘उसका हंसना ठीक था । शोभना की मूर्खता पर उसको हंसी आई । मान न मान मैं तेरा मेहमान । स्त्री की बुद्धि भी क्या होती है। शोभना की मूर्खता पर हंसा । उसका सती होना त्रिया-चरित्र का एक हिस्सा था । इस कारण वह ठठाकर हंसा । मेरा तो यही मत है।”

“तुम ठीक कहते हो, राजा विक्रम !” बेताल अट्टहास कर उठा । उसका भयानक अट्टहास उस सुनसान में दूर-दूर तक बिखर गया । इसी समय वह पूरी ताकत से उछला और विक्रम के कंधे से उतरकर हवा में तैरता चला गया । विक्रम ने क्रोध में म्यान से तलवार खींच ली और तेजी से उसके पीछे झपटा–मगर अपने ठिकाने पर पहुंचने से पहले अब बेताल भला उसके हाथ कहां आने वाला था ।

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