ओल्मेक सभ्यता | Olmecs Mystery | Olmecs Civilization
कुछ शताब्दियों पूर्व तक ओल्मेक लोग अज्ञात थे । किन्तु आज उन्हें अमरीका की प्रथम सभ्यता का भाग माना जाता है । पुरातत्त्ववेत्ताओं की गंभीर खोजें इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं बतातीं कि २२०० ई.पू. से ३० ई. के बीच की अवधि में मैक्सिको में प्रथम सभ्यता का उदय हुआ तथा बारह शताब्दियों के बाद ये रहस्यपूर्ण लोग गुमनामी के अंधेरे में खो गये ।
कभी मैक्सिको की खाड़ी ऊष्णकटिबंधीय वनों से ढकी हुई थी तथा अक्सर बाढ़ों से पीड़ित रहती थी, फिर भी खारी नहरों के बीच छोटे-छोटे टापुओं पर ओल्मेक लोगों ने मध्य अमरीका के प्रथम विस्तृत औपचारिक केन्द्रों की स्थापना की ।
लागुआना डी लौस कैरस, सैन लोरेन्जी, ट्रैस जापोटोस तथा बेन्ता (Laguana de los cerros, San Lorenzo, Tres Zapotoes and La Venta) में खुदायी के दौरान ज्वालामुखीय पत्थरों से बनी अनेक महत्त्वपूर्ण मूर्तियां प्राप्त हुई है । ऐसा प्रतीत होता है कि यह पत्थर तुक्स्टला (Tuxtla) पर्वत से लाया गया था, जो कई किलोमीटर दूर स्थित था । इन सुंदर मूर्तियों को देखकर ज्ञात होता है कि उस काल में सुसंगठित श्रम शक्ति, मूर्तिकार तथा शक्तिशाली सरकार थी ।
ला बेन्ता में पाये गये कोन के आकार के (Conical Shaped) विशाल पिरामिडों को देखकर इस बात का संकेत मिलता है कि ८०० से ५०० ई.पू. के बीच जब ओल्मैक सभ्यता अपनी उन्नति के चरम शिखर पर थी, तब उस समय वहां धर्म के क्षेत्र में भी काफी प्रगति हो चुकी थी ।
ला वेन्ता के पिरामिड की वास्तुकला उच्च कोटि की है । यह पिरामिड वस्तुतः कोलम्बस के काल के पूर्व के मैक्सिको की नगर-योजना का पूर्व संकेत है । यह एक छोटा सीढ़ीदार पिरामिड है, जिसके सामने की ओर एक चौकोर आंगन है तथा इसके किनारे पर असिताश्म (Basalt) के स्तंभ बने हुए हैं । इस पिरामिड के बिलकुल पास अमेरिकाज़ (Americas) के प्राचीनतम पवित्र गेंद खेलने के मैदान की सीमाओं के रूप में दो एक जैसे टीले बने हुए हैं । अहाते के भीतर सुसज्जित वेदियों तथा असिताश्म के विशाल चेहरों से युक्त नक्काशीदार शिलाएं हैं । ये चेहरे चपटे हैं तथा इन पर मोटे-मोटे होंठ बने हुए हैं, जो किनारों पर से कुछ नीचे झुके हुए हैं । इसके अतिरिक्त इनकी आंखें छोटी तथा नाक छोटी और चौड़ी है ।
इनकी भाव-भंगिमा भी कुछ असामान्य सी है । ओल्मेक लोग न केवल महान मूर्तिकार थे, बल्कि जेड (Jade) नामक पत्थरों की कला में भी कुशल कारीगर थे । उन्होंने जेड से अनेक मूर्तियां, आभूषण तथा कुल्हाड़े बनाये । इसके अतिरिक्त पंचांग तथा गणित में भी वे गहरी रुचि रखते थे ।
पुरातत्त्ववेत्ताओं का विचार है कि इन लोगों ने ही अंकों को लिखने की व्यवस्था का विकास किया । इसी व्यवस्था को बाद में माया सभ्यता ने अपनाया । अनेक उपलब्धियां प्राप्त करने के बाद ओल्मेक सभ्यता संसार के मान-चित्र से पूरी तरह से गायब हो गयी । जिन रहस्यपूर्ण परिस्थितियों में यह सभ्यता लुप्त हो गई, उन परिस्थितियों ने आज भी इतिहासकारों तथा पुरातत्त्ववेत्ताओं को उलझन में डाला हुआ है । यदि ओल्मैक लोगों ने अपने पतन लिये उत्तरदायी कोई अभिलेख अथवा चिह्न छोड़ा होता, तो अमरीकी प्रागैतिहास के संबंध में हमारी जानकारी कुछ और ही होती, किन्तु ओल्मेक लोगों ने अपनी अनोखी इमारतों, उत्कृष्ट पिरामिडों तथा मूर्तियों और पंचांग संबंधी कुछ विवरणों के अतिरिक्त और कोई अभिलेख नहीं छोड़ा । इस प्रकार उनकी उत्पत्ति के समान उनके अंत के कारण भी उतने ही रहस्यपूर्ण बने हुए हैं ।