कविता | Poems
रचयिता – श्री योगेश शर्मा “योगी”
वक्त की चाक पर, तेरी-मेरी मजबूरिया रख |जीना है जमाने मे तो, कुछ दूरिया रख ||
झगड़े,रगड़े, दंगो मे, रहने की आदत पाल |
सफ़ेद पोश बन कर, बगल मे छुरीया रख ||
चमगीदडो की चमचागीरी सीख ले पगले |
मतलब परस्ती की थोड़ी सी खूबिया रख ||
तू और बस तू ही तू हो, तेरे ही तरानो मे |
तेरे खातिर ही बजे, ऐसी टूनटूनिया रख ||
हर कोई खौफजदा है, इस बेखौफ आलम मे |
रख सकता है तो, हिफाजत से दुनिया रख ||