प्यास क्यों लगती है | बार-बार प्यास क्यों लगती है | pyas kyon lagti hai
कहते हैं कि भूख तो सहन की जा सकती है, पर प्यास बर्दाश्त नहीं होती ।
यह एक तथ्य है कि यदि किसी व्यक्ति को 5-6 दिनों तक कुछ भी पीने को न मिले, तो वह मर जाएगा । पानी या अन्य जलीय पदार्थ हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी हैं ।
प्यास हमें जल या जलीय पदार्थों की आवश्यकता महसूस कराती है और कहती है कि जल की आपूर्ति बहाल की जाए । आइए देखें क्यों लगती है प्यास ?
प्यास का अहसास हमारे रक्त में पानी और नमक के सन्तुलन के गड़बड़ाने से होता है । हमारे रक्त में जल और नमक एक निश्चित मात्रा में होते हैं, लेकिन जैसे रक्त में जल की कमी और नमक की वृद्धि होती है, हमें प्यास लगने लगती है ।
होता यह है कि जैसे ही यह सन्तुलन बिगड़ता है, मस्तिष्क का थर्स्ट सेंटर नामक हिस्सा सक्रिय हो जाता है ।
यह थर्स्ट सेंटर हमारे गले के पिछले हिस्से को एक संकेत देता है । इस संकेत को पाने के बाद गले का पिछला हिस्सा सूखने लगता है और उसे तर करने के लिए कुछ पीने की जरूरत महसूस होने लगती है ।
इसी अनुभूति को प्यास लगना कहते हैं । थर्स्ट सेंटर और गले के पिछले हिस्से के बीच संकेतों के आदान-प्रदान के कारण प्यास की तीव्रता बढ़ती जाती है ।