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रूद्राक्ष | Rudraksha

रूद्राक्ष | Rudraksha

रूद्राक्ष के पेड़, रूद्राक्ष के रंग, रुद्राक्ष पहनने के नियम, रुद्राक्ष की उत्पत्ति, रुद्राक्ष कहा से प्राप्त होता है, कितने मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए

रूद्राक्ष के पेड़


रूद्राक्ष एक प्रकार का जंगली फल है, जो बेर के आकार का दिखायी देता है तथा हिमालय में उत्पन्न होता है। रुद्राक्ष नेपाल में बहुतायत में पाया जाता है।

रुद्राक्ष कालीमिर्च से लेकर बड़े बेर के आकार तक का होता है। इसका फल जामुन के समान नीला तथा बेर के स्वाद-सा होता है।

 

रूद्राक्ष के रंग


यह अलग-अलग आकार के समान ही अलग-अलग रंगों में मिलता है। इन रंगो के आधार पर ही धार्मिक ग्रंथो में इन्हें मनुष्य के चार वर्णों के समान चार वर्गो में विभाजित किया है।

सफेद रंग का रुद्राक्ष ब्रांहण वर्ग का

लाल रंग का क्षत्रिय वर्ग का

मिश्रित वर्ण का वैश्य वर्ग का

तथा श्याम रंग का शुद्र कहलाता है।

रुद्राक्ष पहनने के नियम


इसकी प्रकृति और वर्गानुसार ही मनुष्यों को रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अर्थात ब्रांहण को सफेद रंग का, क्षत्रिय को लाल रंग का तथा वैश्य को मिश्रित रंग का एवं शूद्र को श्याम रंग का धारण करना श्रेष्ठ है ।

रुद्राक्ष की उत्पत्ति


रुद्राक्ष की उत्पत्ति के विषय में पुराणों और ग्रंथो में कहा गया है, कि त्रिपुर नामक दैत्य बहुत ही दुष्ट था। उसने समस्त देवलोक में आतंक मचा रखा था । एक दिन समस्त देवताओ ने भगवान रुद्र अर्थात शंकर के पास जाकर त्रिपुर के आतंक से देवलोक की रक्षा करने की प्रार्थना की। तब भगवान शंकर ने देवताओं की रक्षा के लिए दिव्य और ज्वलंत महाघोर रूपी अघोर अस्त्र का चिंतन किया। इस चिंतन के समय भगवान रुद्र के नेत्रों से आंसुओं की बूंदें पृथ्वी पर गिरीं, जिससे रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई।

रुद्राक्ष कहा से प्राप्त होता है


रुद्राक्ष को प्राप्त करने की क्रिया बहुत ही सरल है | जब रुद्राक्ष का फल सूख जाता है, तो उसके ऊपर का छिलका उतार लेते हैं। इसके अंदर से गुठली प्राप्त होती है, यही असल रूप में रुद्राक्ष है | इस गुठली के ऊपर एक से चौदह तक धारियां बनी रहती हैं, इन्हें ही मुख कहा जाता है। धार्मिक ग्रंथानुसार इक्कीस मुख तक के रुद्राक्ष होने के प्रमाण हैं, परंतु वर्तमान में चौदह मुखी के पश्चात सभी रुद्राक्ष अप्राप्य हैं।

कितने मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए


सभी मुखों के रुद्राक्ष का अलग-अलग प्रभाव होता है।

एक मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : एक मुखी रुद्राक्ष का अत्यधिक महत्तव है । यह इतना प्रभावशाली होता है कि जिस व्यक्ति के पास एक मुखी रुद्राक्ष होता है, यह माना जाता है की उसे शिव के समान समस्त शक्तियां प्राप्त हो जाती हैं ।

द्वीमुखी रुद्राक्ष की विशेषता : द्वीमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति से अर्धनारीश्वर प्रसन्न होते हैं ।

त्रीमुखी मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : त्रीमुखी रुद्राक्ष को धारण करनेवाले को स्त्री हत्या का पाप नहीं लगता है ।

चतुर्थ मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : मुखी चतुर्थ रुद्राक्ष स्वयं ब्रम्हा है । इसके धारण करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा नर हत्या का दोष नहीं लगता है ।

पंचमुखी रुद्राक्ष की विशेषता : पंचमुखी रुद्राक्ष समस्त पापों से मुक्त करने वाला है तथा समस्त सिद्धियों को देनेवाला है।

छह मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : छह मुखी रुद्राक्ष स्वयं गणेश है। कुछ इसको कार्तिकेय भी मानते हैं। अतः इसे धारण करने से कार्तिकेय तथा गणेश दोनों ही प्रसन्न होते हैं । इसके धारण करने से बुद्धि बढ़ती है तथा ब्रम्ह हत्या का दोष नहीं लगता है।

सप्त मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : सप्त मुखी रुद्राक्ष के धारण करने वाले को महालक्ष्मी की प्राप्ति होती है । सोने-चांदी की चोरी के पाप से मुक्त करने की शक्ति इस रुद्राक्ष में होती है ।

अष्ट मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : अष्ट मुखी रुद्राक्ष सब देवताओं को प्रसन्न करने वाला है। समस्त इच्छाओं को पूर्ण करनेवाला है ।

नौ मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : नौ मुखी रुद्राक्ष स्वयं भैरव है। इसके धारण करने से यमराज का भय नहीं रहता है। इसके धारण करने से भ्रूण हत्या का दोष नही लगता है |

दस मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : दस मुखी रूद्राक्ष स्वयं विष्णु है । इसे धारण करते से दसो दिशाओ में यश बढ़ता है तथा भूत पिशाच का भय नहीं रहता है ।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले से इन्द्र देवता प्रसन्न रहते हैं । यदि किसी व्यक्ति के मन मे किसी वस्तु के दान करने की अधिलाषा हो और न कर पाया हो तो इस रूद्राक्ष के धारण करने से उक्त दान की पूर्ति हो जाती है और उसे हजारों गोदान का पुण्य मिलता है ।

बारह मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : बारह मुखी रुद्राक्ष स्वयं विष्णु है । इसके धारण करने से शस्त्र आदि का भय नहीं रहता है ।

तेरह मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : तेरह मुखी रुद्राक्ष कामदेव है । इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले को समस्त भोग प्राप्त होते है ।

चौदह मुखी रुद्राक्ष की विशेषता : चौदह मुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव है । इसे धारण के धारण करने वाले को समस्त लोक में मान-सम्मान मिलता है । इसके धारण मात्र से मनुष्य साक्षात शिव स्वरूप हो जाता है।

रुद्राक्ष शिव के नेत्रों से उत्पन्न हुआ फलदायिनी वृक्ष है, जो समस्त सुखों को देने वाला तथा समस्त दुःखों से मुक्ति प्रदान करने वाला है ।

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