मारण प्रयोग विधि | शत्रु मारण मंत्र प्रयोग विधि | शत्रु मारण मंत्र विधि | Shatru Maran Mantra | Maran Mantra | Maran Prayog

मारण प्रयोग विधि | शत्रु मारण मंत्र प्रयोग विधि | शत्रु मारण मंत्र विधि | Shatru Maran Mantra | Maran Mantra | Maran Prayog

शत्रु मारण मंत्र


ॐ नमो अमुकस्य हन हन स्वाहा ।

प्रयोग विधि : सरसों के तेल में कनेर के पुष्प मिला दस हजार बार मन्त्र पढ़कर हवन करे तो शत्रु निश्चित मृत्यु को प्राप्त होता है ।

शत्रु मारण मंत्र


ओम् नमः काल भैरो कालिका तीर मार तोड़ बैरी
छाती घोट हाथ काल जो काढ़ बत्तीसी दांती यदि यह न
चले तो नोखरी योगिनी का तीर छूटे मेरी भक्ति गुरु की
शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।

प्रयोग विधि : इक्कीस टुकड़े गुग्गुलु तथा २१ फूल कनेर के लेकर श्मशान में जा, चिता की अग्नि में एक टुकड़ा गुग्गुलु तथा एक कनेर का फूल मन्त्र पढ़ते हुये हवन करे, इस प्रकार इक्कीस दिन करने से शत्रु अवश्य मर जाता है ।

Maran%20Prayog

शत्रु संतान विनाशक मंत्र


ॐ हुँ हुँ फट् स्वाहा ।

प्रयोग विधि : अश्विनी नक्षत्र में घोड़े की चार अंगुल की हड्डी लाकर उपरोक्त मन्त्र एक लक्ष जप कर सिद्ध करें फिर सत्रह बार पढ़कर बैरी के भवन में गाड़ देने से शत्रु का परिवार सहित विनाश हो जाता है ।

बैरी नाशक मंत्र


ॐ नमो हनुमंत बलवंत माता अंजनी पुत्र हल हलंत आओ चढ़त आओ गढ़ किल्ला तोरंत आओ लंका जाल बाल भस्मकरि आओ ले लागूँ लंगूर ते लपटाय सुमिरते पटका ओ चन्दी चन्द्रावली भवानी मिल गावे मंगल चार जीते राम लक्ष्मण हनुमान जी आओ जी तुम आओ सात पान का बीड़ा चाबत मस्तक सिंदूर चढ़ाओ आओ मंदोदरी के सिंहासन डुलंता आओ यहाँ आओ हनुमान माया जागते नृसिंह माया आगे मैरू किल्किलाय ऊपर हनुमंत गाजे दुर्जन को डार दुष्ट को मार संहार राजा हमारे सत्त गुरु हम सत्तगुरु के बालक मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।

सिद्ध करने की विधि : मंगलवार के दिन सात लड्डू और सात पान का बीड़ा ले हनुमान् मन्दिर में जाकर दस हजार बार मन्त्र जाप कर लड्डू तथा पान का बीड़ा अर्पित करे। इसी प्रकार निरन्तर इकतालिस दिन तक इस मन्त्र का जाप करे और जाप की समाप्ति पर धूप, दीप, नैवेद्यादि से हनुमान् जी का पूजन करे, सिंदूर लगावे तो यह मन्त्र सिद्ध होता है । और जब प्रयोग करना हो तो जमीन पर शत्रु की शकल का पुतला बनाकर सीने पर शत्रु का नाम लिख अंग-प्रत्यंग में बीज प्रदर्शित करे और सात बार मन्त्र पढ़कर उसके कपाल पर जूते लगावे तो शत्रु के शीश में चोट आवे, बुद्धि भ्रष्ट हो जाय, पागल होकर छः दिनों में मृत्यु को प्राप्त हो ।

विशेष : भूमि पर शत्रु की मूर्ति बनाकर मोम की चार कीलें मन्त्र पढ़ मूर्ति के चारों कोनों में गाड़ दे तथा हनुमान जी की पूजा कर के बीज मन्त्र पूर्व की ओर मुख करके लिखे और खीर का भोग लगावे ।

शत्रु प्राण हरण मंत्र


ॐ ऐं ह्रीं महा महा विकराल भैरवाय, ज्वालाक्ताय मल शत्रु
दह दह हन हन पच पच उन्मूलय उन्मूलय ॐ ह्रीं ह्रीं हुँ फट् ।

प्रयोग विधि : श्मशान में जाकर भैंसे के चर्मासन पर बैठ काले ऊन से सात रात्रि १०८ बार प्रति रात्रि मन्त्र जाप कर सवा सेर सरसों से हवन करे तो शत्रु का हरण होवे ।

शत्रु मारण मंत्र


ओम् चण्डालिनि कामाख्यावासिनि वनदुर्गे
क्लीं क्लीं ठः स्वाहा ।

प्रयोग विधि : प्रथम दस हजार बार मन्त्र जाप कर यह मन्त्र सिद्धि कर ले फिर शनिवार के दिन गोरोचन तथा कुंकुम से भोजपत्र के ऊपर “स्वाहा मारय हुँ अमुक ह्रीं फट्” लिखे और अमुक के स्थान पर शत्रु का नाम लिख ऊपर लिखे मन्त्र से अभिमन्त्रित कर के गले में धारण करे तो शत्रु का नाश होवे ।

मारण मंत्र


ओम् शुखले स्वाहा ।

सर्व प्रथम दस हजार बार जाप कर मन्त्र सिद्धि कर ले और जब प्रयोग करना हो तो बिच्छू का डंक, तज, क्रौंच के बीज और छैबुदिंया नामक कीड़ा ले उपरोक्त मन्त्र से अभिमंत्रित करके जिस प्राणी के कपड़े पर डाल देने से वह प्राणी सात दिवस में गुल्म रोग से पीड़ित हो काल-कवलित हो जायेगा ।

मारण मंत्र


ओम् सुरेश्वराय स्वाहा

इस मन्त्र को भी पहले दस हजार बार जाप कर सिद्धि कर ले, उसके बाद जब प्रयोग करना होवे तो एक अंगुल लम्बी साँप की हड्डी लाय आश्लेषा नक्षत्र में जिस व्यक्ति के घर में गाड़ दे और दस हजार बार मन्त्र जाप करे तो शत्रु परिवार का कोई व्यक्ति जीवित न बचे ।

शत्रु मनमोहन मंत्र


ओम् नमो महाबल महा पराक्रम शस्त्र विद्या विशारद
अमुकस्य भुजवलं बंधय बंधय दृष्टि स्तम्भय स्तम्भय
अङ्गानि धूनय धूनय पातय पातय महीतले हूँ।

इस मन्त्र को पहले दस हजार बार जाप करके सिद्ध कर ले फिर जब प्रयोग करना हो तो लटजीरा वृक्ष की पत्तियों का रस निकाल कर उक्त मन्त्र से अभिमंत्रित कर अस्त्र-शस्त्र पर लेप करे तो युद्धभूमि में शत्रु देखते ही मोहित हो जाय ।

विशेष : अमुक शब्द के स्थान पर शत्रु का नाम उच्चारण करें ।

अश्व मारण मन्त्र


ओम् नमो पच पच स्वाहा ।

जिस दिन अश्विनी नक्षत्र हो, घोड़े की सात अंगुल लम्बी हड्डी ले, घुड़साल में गाड़ दे और एक हजार बार उपरोक्त मन्त्र का जाप करे तो घोड़ा मृत्यु को प्राप्त हो ।

मारण मंत्र


ओम् डं डां डिं डीं डुं डूं डें डैं डों डौं डं डः अमुकं गृहाण गृहाण हुं हुं ठः ठः ।

यह मन्त्र दस हजार बार जप कर सिद्धि करने के बाद जब प्रयोग करना हो तो चार अंगुल लम्बी आदमी की हड्डी लाकर इक्कीस बार मन्त्र पढ़कर अभिमन्त्रित कर श्मशान में गाड़ देने से शत्रु की मृत्यु शीघ्र ही होती है ।

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