विक्रम और बेताल की कहानी हिंदी में – मन की कोमलता | Stories of Vikram Betaal in Hindi

विक्रम और बेताल की कहानी हिंदी में – मन की कोमलता | Stories of Vikram Betaal in Hindi

हठी विक्रम एक बार फिर बेताल को कंधे पर लादकर चल दिया । वह बोला — “बेताल ! चाहे तुम कितना भी परेशान करो, मगर मैं तुम्हें छोड़ने वाला नहीं हूं । मैं तुम्हें श्मशान लेकर ही जाऊंगा।”

” तो मैं चलने से कहां इन्कार कर रहा हूं विक्रम ! तुम बोल पड़ते हो इसलिए मुझे लौटना पड़ता है । वैसे भी कहानी सुनाकर में तुम्हारा न्याय जानने को उत्सुक रहता हूं – तुम्हारा न्याय सुनकर मुझे खुशी होती है।”

“राजा विक्रम ने बेताल की बात का कोई जवाब न दिया । उसने बेताल को कसकर पकड़ रखा था और लम्बे-लम्बे डग भरता जा रहा था । “धीरे चलो राजा विक्रम।”- बेताल बोला – “अभी बहुत रात बाकी है।”

विक्रम केवल गुर्राकर रह गया ।

“अच्छा सुनो।” बेताल बोला – “मैं एक कहानी सुनाता हूं। ध्यान से सुनना।”

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विक्रम खामोशी से चलता रहा । बेताल एक नई कथा सुनाने लगा –

स्वर्ण देश का राजा अत्यन्त प्रतापी था । उसके चार अत्यन्त सुन्दर कन्याएं थीं । वे बहुत ही नाजुक और कोमल थीं । उनकी नाजुकता की क्या बात कहूं । चारों एक से बढ़कर एक थीं । उनमें पहली कन्या का यह हाल था कि अगर वह चांदनी रात में भी बाहर निकल जाती थी, तो उसके शरीर पर फफोले पड़ जाया करते थे ।

बेताल की बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा उठा ।

दूसरी का यह हाल था यदि गुलाब के फूल से भी उसे मार दिया जाता तो फूल शरीर के जिस भाग से टकराता, वहीं से खून निकलने लगता ।

तीसरी राजकुमारी इतनी कोमल थी कि यदि कोई जरा सा भी जोर से बोल देता, तो वह आवाज की धमक से ही बेहोश हो जाया करती थी ।

और राजा विक्रम ! चौथी राजकुमारी का यह हाल था कि उसे जहां भी छू दिया जाता था, वहीं पर बड़ी देर तक के लिए एक निशान पड़ जाया करता था । चारों राजकुमारियों की कोमलता की बात दूर-दूर के देशों में फैल गई । जो सुनता था, आश्चर्य करता था ।

पहली राजकुमारी को तो हमेशा छाया में रखा जाता था । दूसरी राजकुमारी को कोई स्पर्श भी न करता था । तीसरी राजकुमारी के आस-पास सब फुसफुसाकर बातें करते थे । चौथी राजकुमारी की दशा दूसरी राजकुमारी की तरह थी | इस तरह कोमलता के साथ-साथ चारों राजकुमारियां बेहद सुन्दर भी थीं ।

राजा बहुत चिन्तित था कि इन सबका विवाह कैसे होगा ? विवाहित होने के बाद क्या वे जीवित बच पाएंगी ? दूसरी और चौथी के संबंध में राजा बुरी तरह परेशान रहता था ।

बेताल कहता जा रहा था । राजा विक्रम सुनता जा रहा था । बियाबान वातावरण में बेताल की आवाज दूर तक सुनाई पड़ रही थी |

इन सभी राजकुमारियों की देखभाल के लिए अलग-अलग सेविकाएं थीं । इनमें से एक सेविका जब भी राजमहल से बाहर निकलती और किसी भिखारी या दुखी को देखती तो वह कुछ-न-कुछ दान कर दिया करती थी ।

अपनी कोमलता के कारण राजकुमारियां अत्यन्त हलके वस्त्र पहना करती थीं । उनके आभूषण बहुत हलके थे । एक तोला सोने में सारे शरीर के जेवर बनाए जाते थे । राजकुमारियों को फिर भी भार लगा करते थे ।

भिखारियों पर दया करने वाली सेविका एक दिन आभूषण लेकर निकली । उसे राह में एक भिखारी मिला । उसके हाथ में आभूषण देखकर गिड़गिड़ाने लगा कि अपनी कन्या का विवाह करना चाहता है । उसके पास कोई आभूषण नहीं है । वह दान कर दे ।

हे राजा विक्रम ! उस सेविका को दया आ गई । उसने वही जेवर दान कर दिए और खाली हाथ वापस आ गई ।

इस प्रकार वापस आया देख राजा बहुत गुस्से में आ गया । उसने सेविका को दरबार से निकाल दिया । वह चुपचाप चली गई ।

कुछ समय बाद एक वैद्य स्वर्ण देश में आया । राजा ने अपनी राजकुमारियों की चर्चा की । उनकी कोमलता को बताया ।

पूछा – “इनमें सबसे अधिक कोमल कौन है ?”

राजा के इस प्रश्न पर वैद्य हंसने लगा । इस पर राजा आश्चर्यचकित हो बोला-“आप हंस रहे हैं।”

“हां राजन !” उसने कहा – “सबसे अधिक कोमलता की बात पर हंसा हूं मैं ।”

“इनमें से जो सबसे अधिक कोमल है, क्या आप उसका इलाज नहीं कर सकते ?” राजा ने कहा ।

वैद्य इन्कार करके चला गया।”

विक्रम बेताल के सवाल जवाब

बेताल के सवाल :

“राजा विक्रम ! अब याद करो कि वैद्य ने गलत कहा या सही और उन सब राजकुमारियों में से कौन सबसे अधिक कोमल थी ? तुम्हारी न्याय बुद्धि क्या कहती है?”

बेताल की बात सुनकर राजा विक्रम चुप ही रहा । तब बेताल ने अपना प्रश्न दोहराया ।

विक्रम इस बार भी खामोश रहा ।

क्या ये खामोशी ही तुम्हारा न्याय है विक्रम ।” बेताल ने उसे ललकारा-“क्या न्याय के लिए मशहूर राजा इस मामले में न्याय करने में असमर्थ है ?”

“मैं असमर्थ नहीं हूं बेताल।”

“फिर बोलते क्यों नहीं ?”

‘‘इसलिए कि मेरा उत्तर सुनकर तुम न केवल हंसोगे, बल्कि आश्चर्यचकित भी हो उठोगे ?”

“आखिर तुम्हारा उत्तर है क्या ?”

राजा विक्रमादित्य के जवाब :

“बेताल ! मेरी दृष्टि में इन राजकुमारियों में से कोई भी कोमल नहीं थी।”

“क्या मतलब ?”

“शरीर की कोमलता से कुछ नहीं होता बेताल, कोमलता तो मन की होती है । मेरी दृष्टि में वह सेविका अधिक कोमल थी, जो कुछ न कुछ दान किया करती थी । वही सबसे कोमल थी । यदि मन की कोमलता न हो तो तन की कोमलता का कोई लाभ नहीं । इस कारण वैद्यराज ने इलाज करने से इन्कार कर दिया।”

“वाह ! राजा विक्रम ! वाह ! तुमने बिल्कुल ठीक न्याय किया है – मगर… “

एकाएक बेताल उसके कंधे से ऊपर उठ गया । “मैंने कहा था न राजा विक्रम कि यदि तुम बोले तो मैं वापस चला जाऊंगा।”

इस बार विक्रम बहुत अधिक सतर्क था । उसने एक झटके से उछलकर उसे दबोच लिया और अपने कंधे पर डालकर मजबूती से अपनी गिरफ्त में लेकर बोला – “इस बार मैं तुम्हें नहीं भागने दूंगा बेताल।”

“अच्छा ठीक है, मैं नहीं भागता, मगर मेरी एक शर्त है।” बेताल उसकी गिरफ्त में छटपटाने लगा “कहो- तुम्हारी क्या शर्त है ?”

“मैं कहानी सुनाता रहूंगा और तुम जवाब देते रहोगे।” बेताल ने अपनी शर्त रखी । “ठीक है, मुझे तुम्हारी शर्त स्वीकार है ।”

और एक बार फिर बेताल राजा विक्रम को खुश होकर कहानी सुनाने लगा –

‘राजा विक्रम, वैद्य चला गया। कुछ समय बाद राजा ने अपनी पहली राजकुमारी का विवाह कर दिया । राजकुमार उसे हमेशा छाया में ही रखता था । कुछ समय बाद वह गर्भवती हो गई । उसने एक सुंदर कन्या को जन्म दिया । उसके जन्म पर दीपावली मनाई गई । एक दीपक का प्रकाश राजकुमारी के शरीर पर पड़ गया तो फफोले पड़ गए।”

राजा विक्रम हंसने लगा ।

“तुम हंसे क्यों ?”

“बेताल ! तुम मुझे बेवकूफ मत बनाओ । यह राजकुमारी की कोमलता नहीं थी । यह एक प्रकार के बीमारी होती है । इसके कारण प्रकाश फफोले पैदा करता है । इसे आयुर्वेद में प्रकाशोन्मत्तता कहा गया है।”

राजा विक्रम की बात पर बेताल चुप रह गया ।

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