राइट ब्रदर्स निबंध | राइट ब्रदर्स की कहानी | राइट ब्रदर्स फर्स्ट फ्लाइट | राइट ब्रदर्स का आविष्कार | wright brothers first flight | wright brothers in hindi | wright brothers story in hindi

राइट ब्रदर्स निबंध | राइट ब्रदर्स की कहानी | राइट ब्रदर्स फर्स्ट फ्लाइट | राइट ब्रदर्स का आविष्कार | wright brothers first flight | wright brothers in hindi | wright brothers story in hindi

आज हम हवाई जहाज में बैठकर एक स्थान से दूसरे स्थान तक थोड़ी ही देर में पहुंच जाते हैं । वैज्ञानिकों ने अब तो ऐसे विमान तक बना डाले हैं जो ध्वनि के वेग से भी अधिक तेजी से उड़ाने भरते हैं । इन वायुयानों के विकास में कितने लोगों की जानें गई हैं, इसका विचार भी कभी हमारे मन में नहीं आता ।

यह एक कटु सत्य है कि वायुयान को आज के रूप में लाने के लिए अनेक लोगों ने अपनी जानें जोखिम में डाली और अनेक मौत के घाट उतर गये । वायुयान के विकास के इतिहास में विल्बर राइट और ओरविल राइट के योगदानों को कोई नहीं भुला सकता ।

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विल्बर राइट और ओरविल राइट के पिता का नाम मिल्टन था । मिल्टन एक पादरी थे । ४१ साल की उम्र में उन्होंने सूसन कैथराइन कोएर्नर से शादी की और उसके बाद वे सारे इण्डियना में घूम-घूम कर जहां-तहां पड़ाव डालते हुए उपदेश देने लगे ।

राइट ब्रदर्स का जन्म


उनके पांच बच्चे हुए और पांचों का जन्म अलग-अलग स्थानों पर हुआ । इनमें से विल्बर का जन्म १६ अप्रैल १८६७ में और ओरविल का १९ अगस्त १८७१ में हुआ । बाद में मिल्टन राइट एक चर्च के बिशप नियुक्त हुए ।

राइट ब्रदर्स की कहानी


सन् १८७८ की बात है । उस समय विल्बर की उम्र ११ साल की और ओरविल की ७ साल थी । तभी एक रात उनके पिता एक उड़ने वाला खिलौना लाए, जो छत की ऊंचाई तक सीधा उड़ सकता था । उसे कागज, बांस और कार्क से बनाया गया था । इसमें एक रबर की पट्टी थी, जो छोटा-सा पंखा चला देती थी । यह हैलीकॉप्टर की तरह हवा में सीधा ऊपर उड़ता था और फिर नीचे आ जाता था । इसका निर्माण एक फ्रांसीसी ने किया था ।

इस खिलौने को देखकर बच्चों की कल्पना को मानो पंख ही लग गए । उनके मन में यह विचार घर कर गया कि यदि इतनी छोटी सी वस्तु छत तक उड़ सकती है तो बड़ी वस्तु तो निश्चय ही बादलों तक भी जा सकती है । उन्होंने इस खिलौने को चमगादड़ का नाम दिया । दोनों भाइयों ने एक ऐसा ही चमगादड़ बनाना आरम्भ कर दिया ।

बनाने का सारा काम विल्बर ने ही किया क्योंकि ओरविल उम्र में इतना छोटा था कि अपने भाई को केवल यह खिलौना बनाते हुए उत्सुकता से देखता ही रह सकता था । दोनों भाइयों का बना यह खिलौना अधिक सफल न हुआ क्योंकि वे जितना बड़ा चमगादड़ बनाते थे, वह उतना ही कम ऊंचा उड़ता था ।

तीन साल बाद जब पूरा परिवार रिचमंड पहुंच गया तो दोनों भाइयों को पतंगें बनाने का शौक लग गया । ओरविल की बनाई हुई पतंगें उड़न मशीनों के नाम से प्रसिद्ध हो गयी और सारे रिचमंड में उसके नाम की धूम मच गई ।

ओरविल जब बारह साल का हुआ तो उसे लकड़ी पर खुदाई करने का शौक पैदा हो गया । उसने एक पुराने फैशन का छापाखाना खरीदा और उस पर अखबारों की छपाई करने लगा ।

१७ साल की उम्र में ओरविल ने एक बड़ा छापाखाना तैयार किया और उस पर दोनों भाई अखबार छापने का काम करने लगे । उन्होंने इस छापेखाने से एक पत्रिका भी निकाली जो काफी सफल हुई ।

जुलाई, १८७९ में उनकी मां की मृत्यु हो गई, जिससे उन्हें गहरी चोट लगी । विल्बर एक बार हाकी खेल रहे थे तभी उसके चेहरे पर हाकी की एक ऐसी चोट लगी, जिससे उनके दो दांत टूटकर बाहर गिर पड़े । इसके बाद उनका अखबार बड़े-बड़े अखबारों के सामने न टिक पाया । इस काम में असफल होकर उन्होंने साइकिल बेचने और बनाने का काम आरम्भ किया ।

जब डेटान में वे साइकिलें बेचने में लगे हुए थे तो उन्हीं दिनों जर्मनी में ओटो और गुस्ताव लिलिएन्यल पक्षियों की तरह उड़ने के खतरनाक मगर दिलचस्प प्रयोग में लगे हुए थे ।

राइट बन्धुओं ने इन दोनों के विषय में सभी विवरण पढ़ रखे थे । सन् १८९६ में ग्लाइंडिंग के दौरान ओटोलिलिएन्यल की मृत्यु हो गई, जिससे इन दोनों भाइयों को बहुत दुख हुआ । लेकिन लिलिएन्यल की मृत्यु उनके लिए एक साधारण मृत्यु नहीं बल्कि एक बलिदान का महत्त्व रखती थी ।

इस दुर्घटना से राइट बन्धुओं को भी उड़ान भरने में गहरी दिलचस्पी पैदा हो गई और उन्होंने उड़ान भरने वाले यानों के निर्माण पर काम करना आरम्भ कर दिया |

एक दिन जब विल्बर दुकान में एक ग्राहक का कुछ काम कर रहा था तभी उसकी नजर एक ऐसे डिब्बे के किनारों पर पड़ी जिन्हें कभी उसने किसी कोण पर मोड़ दिया था । इस डिब्बे को देखकर उसके मन में विचार आया कि पंखों को इस प्रकार बनाया जा सकता है कि उन्हें ऊपर-नीचे किया जा सके और उड़ान के समय उन्हें इच्छानुसार झुकाया जा सके । इस घटना को गुजरे अधिक दिन नहीं हुए थे कि सन् १८९९ के अगस्त मास में उनका पहला मॉडल भी तैयार हो चुका था, जिसके पंखों को झुकाया या उठाया जा सकता था ।

यह एक पतंगनुमा बाइप्लेन था । दोनों भाई उत्तरी कैरोलिना में किटीहौक नामक स्थान पर इसके परीक्षण के लिए गए । वे चार वर्ष तक परीक्षणों में जुटे रहे । उनकी प्रगति काफी धीमी थी और उन्हें बार-बार निराशाओं का सामना करना पड़ता था ।

वे इन निराशाओं के बाद हारे नहीं और एक के बाद एक नए-नए मॉडलों का विकास करते रहे ।

राइट ब्रदर्स फर्स्ट फ्लाइट | wright brothers first flight


उन्होंने विश्व में सबसे पहली उड़ान १७ दिसम्बर, १९०३ को अपने ही द्वारा निर्मित एक यान से सम्पन्न की । यह विमान हवा से भारी था और उसमें इंजन लगा था ।

किटीहौक में प्रातःकाल ही उन्होंने उड़ान भरी । इस घटना को देखने के लिए गांव से केवल चार पुरुष और एक बालक आया था । सबसे पहली उड़ान में ओरविल इस यंत्र में चढ़ा और विल्बर ने मशीन का पंखा चालू किया । वह इस यान द्वारा ३७ मीटर की दूरी तक उड़ा और १२ सैकण्ड तक वह हवा में रहा । यह ४० फुट तक पटरियों पर दौड़ने के बाद १० फुट तक की ऊंचाई तक ऊपर गया ।

इसी यान से दूसरी उड़ान विल्बर ने की । उसने वायु में लगभग २०० फुट की दूरी तय की । तीसरी उड़ान फिर ओरविल ने की । चौथी और अन्तिम उड़ान इसी यान से विल्बर ने की, जिसने ८५० फुट की दूरी लगभग एक मिनट में तय की । जमीन पर उतर आने के बाद उन पांच लोगों ने उन्हें बधाई दी लेकिन उसी समय हवा का एक झौंका आया जिससे उनका यह यंत्र टूट गया ।

राइट ब्रदर्स की मृत्यु


अपनी इस सफलता के बाद विल्बर सन् १९०८ में फ्रांस चला गया । उसने ९१ मी. की ऊंचाई तक और भी कई उड़ानें भरी लेकिन वह २० मई १९१२ में टाइफाइड के कारण मर गये । ओरविल अब अकेले रह गए थे लेकिन वह अकेले ही इस क्षेत्र में कार्य करते रहें । वह सन् १९४८ तक जीवित रहे । उन्होंने २७ मी. की ऊंचाई पर अपने ही द्वारा बने यान से ५७ चक्कर लगाए ।

उन्होंने सन् १९१६ में राइट एरोनोटिकल लेबोरेटरी खोली, जिसमें वायुयानों से सम्बन्धित अनेक तकनीकी विकास किए गए । ओरविल अपने जीवनकाल में विमानों की चाल को 300 मील प्रति घण्टे से ध्वनि के वेग तक बढ़ते देखा ।

आज भी वह मूल यान जो किटीहौक में दोनों भाइयों द्वारा विश्व की प्रथम उड़ान के लिए प्रयोग किया गया था वाशिंगटन डी.सी. के नेशनल ऐयर एण्ड स्पेस म्यूजियम (National Air and Space Museum) में टंगा हुआ है ।

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