सुरेश चन्द्र भट्टाचार्य । Suresh Chandra Bhattacharya
श्री सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य का जन्म बनारस में पहली अगस्त १८९७ ई० को हुआ था । इनके पिता का नाम पं० ईश्वर चन्द्रजी शिरोरत्न था । १६ वर्षे की अवस्था में इन्होंने बङ्गाली टोला हाई स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास की और उसके बाद बनारस के सेण्ट्रल हिन्दू कालेज में पढ़ने लगे ।
इन्हीं दिनों पुलिसवालों की निगाह इन पर पड़ी, और १९१४ में पकड़ कर ये उरई (जालोन) में चार वर्ष तक नज़रबन्द कर दिये गये । इस प्रकार इनकी कालेज की पढ़ाई बन्द हो गयी । नज़रबन्दी से रिहा होने के बाद ये उरई से ही निकलने वाले ‘उल्साह’ नामक हिन्दी साप्ताहिक पत्रिका दो वर्षे तक सम्पादन करते रहे । फिर कानपुर के ‘वर्तमान’ तथा ‘प्रताप’ के सहकारी सम्पादक रहे, और जिन दिनों ‘प्रताप’ में काम कर रहे थे, उन्हीं दिनों काकोरी-केस के सम्बन्ध में गिरफ्तार हुए । सेशन जज ने इन्हें सात साल की सख्त क़ैद की सज़ा दी थी; पर अपील से यह सज़ा बढ़ा कर दस वर्ष कर दी गयी ।
श्री सुरेशचन्द्र भट्टाचार्य बचपन से ही बडे़ तेज़, बहादुर और साहसी थे । इनका स्वभाव मिलनसार, व्यवहार मधुर तथा आचरण सादा और पवित्र था । इन्हें देखकर एक बार दूसरों के हृदय में भी आनन्द उल्लसित हो उठता था । सदा प्रसन्न रहना और मज़ाक करना, इनका खास गुण था । कोई भी व्यक्ति एक बार इनसे मिलकर इन्हें कभी भूल नहीं सकता । गाने में ये बड़े निपुण हैं और जिस समय मस्त होकर गाने लगते हैं, उस समय सुनने वाले गदगद हो उठते थे । ये बड़े उदार प्रकृति के मनुष्य थे ।