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एक पत्रकार का विचित्र स्वप्न | A Journalist’s Dream
२७ अगस्त, १८८३ की रात्रि की पारी का काम करके ‘बोस्टन ग्लोब’ के दफ्तर में ही पत्रकार एड सैमसन सो तो गया, किन्तु रात के तीन बजे के करीब वह हड़बड़ा कर उठ बैठा । अभी-अभी देखे गए भयंकर स्वप्न का दृश्य उसकी आंखों के सामने घूम रहा था । स्वप्न में जो कुछ उसने देखा था, वह बहुत भयानक था ।
उसने देखा कि एक पर्वत ने अपना विकराल मुंह खोल रखा है तथा उसमें से लाल लावा निकल कर खेतों तथा गांवों को साफ कर रहा है । भयंकर विस्फोटों के कारण जावा के पास प्रालेप द्वीप एक विशाल अग्नि कुंड के रूप में बदल गया है तथा उसमें से अग्नि की विकराल लपटें तथा धुएं की बदलियां उठ रही हैं । चारों तरफ मीलों तक का समुद्र, हलवाई की कड़ाही में उबलते हुए दूध की भांति उबल रहा है । उसकी लहरें टापू को निगलती जा रही हैं तथा देखते-देखते वह टापू समुद्र के गर्भ में समा जाता है ।
इस अद्भुत तथा विकराल स्वप्न को देख कर उस पत्रकार ने सोचा कि किसी दिन अखबार में समाचारों की कमी होगी, तब मनोरंजन के लिए इस स्वप्न का विवरण छापेगा । यह सोच कर उसने उस स्वप्न की घटना को एक कागज पर लिख डाला तथा उस पर हाशिए में लाल स्याही से ‘महत्वपूर्ण’ लिख दिया ।
भूल से वह उस कागज को अपनी टेबल पर छोड़ कर चला गया । कुछ समय बाद ‘बोस्टन ग्लोब’ के संपादक किसी काम से सैमसन के कमरे में आए । सैमसन की टेबल पर रखे उस महत्वपूर्ण समाचार को पढ़ा । उसने समझा कि रात को तार से खबर आई होगी, जिसे सैमसन ने लिपिबद्ध कर लिया है । उसने उसका संपादन करके एक बड़े हेडिंग के साथ मुख्य पृष्ठ पर छपने के लिए भेज दिया । समाचार छप गया तथा संपादक ने खुश होकर यह समाचार तार के द्वारा एसोसिएटेड प्रेस को भेज दिया । २९ अगस्त, १८८३ को सारे बोस्टन में हर व्यक्ति की जुबान पर यह खबर थी, किन्तु जब दूसरे स्थानों के समाचार पत्रों के द्वारा इस विषय की पूरी जानकारी मांगने के लिए तार आने लगे, तब ग्लोब के संपादक का माथा ठनका । क्योंकि जावा से कोई खबर नहीं आ रही थी तथा जिस पत्रकार ने यह खबर दी थी, वह ड्यूटी पर नहीं था ।
रात को जब सैमसन ड्यूटी पर आया, तो मालिक तथा संपादक ने उस पर सवालों की झड़ी लगा दी । इधर अखबार के लाइब्रेरियन ने बताया कि जावा के पास ‘प्रालेप’ नामक किसी टापू का अस्तित्व ही नहीं है । सैमसन ने स्पष्ट रूप से स्वीकार कर लिया कि यह सारी घटना कोई घटना नहीं, उसके देखे हुए स्वप्न का वर्णन मात्र है । सैमसन को उसी समय बरखास्त कर दिया गया । एसोसिएटेड प्रेस बुरी तरह नाराज था, क्योंकि उसने यह खबर देशभर के बड़े-बड़े समाचार पत्रों को दे दी थी । उन्होंने बड़ी-बड़ी सुर्खियों के साथ मुख पृष्ठ पर इस खबर को छापा था । आखिर में ग्लोब के संपादक को सार्वजनिक रूप से इस खबर के लिए क्षमा याचना मांगनी पड़ी ।
मगर ठीक इसी समय अमेरिका के पश्चिमी समुद्र तट पर एकाएक भयंकर दैत्याकार लहरें थपेड़े मारने लगीं । आस्ट्रेलिया से समाचार मिला कि आसमान में एक साथ हजारों तोपों के गड़गड़ाने की आवाज आ रही है । मैक्सिको तथा दक्षिणी अफ्रीका से भी समाचार आया कि वहां भी समुद्र में जबरदस्त तूफान उठा है । संसार भर की विभिन्न वेधशालाओं ने सूचनाएं भेजीं कि कंपन की तेज तरंगें पृथ्वी की तीन बार परिक्रमा कर गई हैं । कुछ दिन बाद तूफान के थपेड़ों से जर्जर हुए जहाज जैसे-तैसे बंदरगाहों में पहुंचे तथा उन्होंने बताया कि हिन्द महासागर में सूंडा जल डमरूमध्य के बीच बसा हुआ क्राकाताओ नामक द्वीप भयंकर विस्फोट से समुद्र में समा गया है ।
अखबारों ने अब समझा कि विश्व इतिहास में एक जबरदस्त दुर्घटना हो गई है । ‘बोस्टन ग्लोब’ ने अपने मुख पृष्ठ पर पत्रकार एड सैमसन का फोटो प्रकाशित कर भूल सुधार छापी, लेकिन उसमें यह नहीं बताया कि इस दुर्घटना का समाचार एड सैमसन को किस प्रकार मिला था । पर सैमसन ने इस द्वीप का नाम प्रालेप दिया था, जबकि उसका वास्तविक नाम क्राकाताओ था । किन्तु कुछ समय बाद हॉलैंड की इतिहास परिषद् ने इस गुत्थी को भी सुलझा दिया । इस परिषद् ने सैमसन के पास एक पुराना नक्शा भेजा था, जिसमें क्राकाताओ का डेढ़ सौ साल पहले का प्रचलित नाम प्रालेप दिया हुआ था ।
इस प्रकार एक पत्रकार के भयंकर स्वप्न ने आश्चर्यजनक रूप से साकार रूप धारण किया ।