कैटल हुयुक | कैटालहोयुकी इतिहास | Çatalhöyük | Catal Huyuk

कैटल हुयुक | कैटालहोयुकी इतिहास | Çatalhöyük | Catal Huyuk

१९वीं शताब्दी के छठे दशक में हुई इन खोजों ने इस धारणा को गलत सिद्ध कर दिया है कि सबसे पहली सभ्यता सुमेरिया में ही जन्मी थी ।

केवल “जेरिको” ही एकमात्र प्रागैतिहासिक नगर हो, ऐसा नहीं है । एक ब्रिटिश पुरातत्त्ववेत्ता जेम्स मैलार्ट (James Mellaart) ने १९६१ में तुर्की में अंकारा में एनाटोलियन पठार (Anatolian plateau) पर एक और नगर खोज निकाला, जो ६२५० ई.पू. में भी पूर्ण रूप से बसा हुआ था । यह नगर था – कैटल हुयुक (Catal Huyuk) ।

दक्षिणी अनाटोलिया में आजकल केनिया के नाम से विख्यात नगर के निकट तर्की में ९,००० और ७,७०० वर्षों पूर्व के बीच की नवपाषाणयुगीन बस्ती के संकेत मिले हैं । एक के ऊपर दूसरी पुरातत्त्वीय परतें चढ़ी हुई हैं और सबसे पुरानी परत किसानों द्वारा बसाए गये गांव की है लेकिन कैटल हुयुक (Catal Huyuk) के नगर-निर्माण की शैली जेरिको से पूर्णतः भिन्न थी । वहां नगर के चारों ओर दीवारें नहीं थीं, घर एक-दूसरे से जुड़े हुए थे और उनमें दरवाजे नहीं थे । आने-जाने का एकमात्र रास्ता छत में से होकर जाता था ।

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नगर में सड़कें या गलियां नहीं थी । लोग समतल छतों से ही आते-जाते थे । ये छतें आपस में लकड़ी की सीढ़ियों से जुड़ी हुई थीं । सभी घर आयताकार थे और मिट्टी की आयताकार ईंटों से बने हुए थे । ये ईंटें एक-दूसरे से गारे से जोड़ी गयी थीं और लकड़ी के ढांचों पर जमायी गयी थीं । पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इन घरों में एक मुख्य कमरा एवं कुछ अन्य कमरे होते थे । मुख्य कमरा लगभग २०X १३ फुट का होता था । अन्य कमरों का प्रयोग अनाज के गोदामों के रूप में होता था । गोदामों में अनाज रखने के लिए सूखी भूमि में गड्ढे किये जाते थे । इस प्रकार कैटल हुयुक (Catal Huyuk) के निवासी पूरी तरह से सुनियोजित नगर तथा घरों में रहते थे ।

यह स्पष्ट है कि कैटल हुयुक (Catal Huyuk) के निवासी केवल किसान ही नहीं थे, वे नगर-नियोजन की कला में भी माहिर थे । उनके घरों में अलग-अलग दरवाजे नहीं होते थे । घरों के अंदर पहुंचने के लिए छत पर से होकर लकड़ी की सीढ़ी द्वारा अंदर प्रवेश किया जाता था । इससे कैटल हुयुक (Catal Huyuk) नगर चोरों और अपराधियों से पूर्ण रूप से सुरक्षित था तथा बाहर से यह नगर घोंघे की शक्ल का सा प्रतीत होता था ।

पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार नगर की खुदाई में पाये गये १३९ कमरों में से ४० कमरे मंदिरों और पवित्र स्थानों के रूप में प्रयोग होते रहे होंगे । इसका अनुमान इनकी दीवारों पर बने चित्रों से लगता है । इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि नवपाषाण युग के लोगों की धर्म पर गहरी आस्था थी । उनके कमरों में पूजा के लिए बनी वेदी, मानवी आकारों एवं पशुओं के सिरों से युक्त धार्मिक मूर्तियां इस बात की साक्षी हैं ।

निश्चय ही उनके पास यह काम करने के लिए आधुनिक इंजीनियरों की तरह एक अलग समुदाय रहा होगा । इस विशिष्ट समुदाय को नगरों की योजना बनाने और निर्माण करने का काम दिया जाता होगा और बदले में उन्हें खाद्य सामग्री दी जाती होगी ।

नगर को देखकर यह भी प्रतीत होता है कि पुजारियों का भी एक अलग वर्ग रहा होगा । संभवतः खाद्य सामग्री के उत्पादन में उनका कोई हाथ नहीं होता था । उनका एकमात्र कार्य धार्मिक कार्यों एवं संस्कारों का आयोजन करना होता होगा । इन दो प्रमुख वर्गों के अतिरिक्त कुछ कुम्हार किस्म के लोग उन मूर्तियों को बनाने और सजाने में व्यस्त रहते होंगे, जिनकी अन्य लोगों द्वारा मंदिरों मंं प्राण-प्रतिष्ठा करायी जाती होगी ।

इस प्रकार नवपाषाण युग में भी श्रम विभाजन का प्रचलन था । सभी को सभी प्रकार के कार्य नहीं करने पड़ते थे ।

कैटल हुयुक (Catal Huyuk) के पश्चिम में और बर्दूर (Burdur) से कुछ कि.मी. दूर एक और दिलचस्प नगर पाया गया है । यह हैसिलर (Hacilar) है और यह कोताल हुमुक का ही प्रतिरूप है । वहां भी घरों में दरवाजे नहीं थे । छतें ही सड़कों के रूप में इस्तमाल होती थी । आने-जाने के लिए सीढ़ीयो का इस्तमाल किया जाता था । वहा एक प्रांगण भी था । हैसिलर में भवन धूप में तपायी गयी मिट्टी से बनाए गये थे ।वहां मिट्टी के कल बर्तन भी पाये गये हैं । अतः सर्वप्रथम मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग लगभग ७५०० वर्ष पूर्व किया गया । कृषि में वे गेहूं, जौ और जई उगाते थे । किन्तु पशु-पालन का कोई संकेत नहीं मिला है । यद्यपि वह एक खेती करने वाला समुदाय था, फिर भी वे लोग मांस भी खाते थे । हैसिलर में कैटल हुयुक के समान अनेक पूजा स्थल न पाये जाकर केवल एक ही पूजा स्थल पाया गया है । संभवता उन्होंने केवल एक ही स्थान को पूजा आदि के लिए निश्चित कर दिया था ।

कैटल हुयुक (Catal Huyuk) के निकट उससे अधिक विकसित एक अन्य नगर भी था – लेपान्स्की वीर, जो यूगोस्लाविया में डेन्यूब नदी के किनारे बेलग्रेड के २०० कि.मी. दक्षिण पूर्व में स्थित था । इस नवपाषाणयुगीन नगर में विषम चतुर्भुजाकार (Trapezoid shaped) अनेक घर थे । यह नगर एक विशिष्ट ढंग से निर्मित था । इसकी सड़कों की बनावट काफी हद तक “रोमन ग्रिड सिस्टम” जैसी थी ।

लेपान्स्की वीर में सभी घर सीधी पंक्ति में बने हुए थे । सब घरों का रुख डेन्यूब नदी की ओर था । अक्सर दो सड़कें बीच के बड़े चौराहे में जाकर मिली थीं यहीं पर एक चौक था, जिस पर एक विशाल घर बना था । यह नगर कुछ ऐसे बना था कि तेज गति से चलती पूर्व की हवाएं उसे कुछ नुकसान न पहुंचा सकें ।

लेपान्स्की वीर की अर्थव्यवस्था पूर्वपाषाणयुगीन थी । कृषि के बहुत अधिक प्रमाण नहीं मिले हैं । संभवतः शिकार करना और मछली पकड़ना ही भोजन प्राप्त करने के दो मुख्य साधन थे । पालतू पशु के रूप में केवल कुत्ते को ही पाला जाता था । वह क्षेत्र मुख्यतः चट्टानी और पथरीला होने के कारण अनुपयोगी था, इसीलिए संभवतः वहां खेती नहीं की गयी । फिर भी वहां मिट्टी के बर्तन पर्याप्त मात्रा में पाये गये हैं, जिन्हें उसी प्रकार सजाया जाता था, जिस प्रकार नवपाषाणयुगीन नगरों को सजाया जाता था । यह भी संभव है कि गांव के भीतर इन बर्तनों का व्यापार शुरू हो गया हो और इन मिट्टी के बर्तनों और वस्तुओं की बढ़ती हुई मांग ने कुछ लोगों को अपना सारा समय इसी काम में लगा देने के लिए प्रेरित किया हो ।

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