माया सभ्यता । माया सभ्यता की विशेषताएं । माया सभ्यता का संक्षिप्त इतिहास । Maya Civilization | Mayan Civilization Timeline | Maya Sabhyata

माया सभ्यता । माया सभ्यता की विशेषताएं । माया सभ्यता का संक्षिप्त इतिहास । Maya Civilization | Mayan Civilization Timeline | Maya Sabhyata

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माया सभ्यता कहाँ विकसित हुई । Maya Civilization Country


मध्य अमरीका के घने वनों में, जहां आज भी जीवित रहने के लिये मनुष्य को निरंतर संघर्ष करना पड़ता है, वहां अमरीका की खोज किये जाने से भी पूर्व, एक उन्नत सभ्यता विकसित हुई थी । इसे मय या माया सभ्यता कहा जाता है । यह वर्तमान फ्रांस जितनी विस्तृत थी । माया सभ्यता ने तीन अलग-अलग क्षेत्रों पर अधिकार किया – पहले क्षेत्र में कियापाज (Chiapas) तथा ग्वाटेमाला की दक्षिण उच्च भूमि आती है । दूसरा क्षेत्र मैक्सिको की खाड़ी से बेलाइज (Belize) तथा होन्डुरास (Honduras) तक फैला हुआ है । तीसरे क्षेत्र में यूकातान (Yucatan) की निम्न भूमि (Lowland) आती है ।


माया नाम से विख्यात यह प्राचीन सभ्यता किसी के मन में कौतूहल पैदा कर देने के लिये काफी है । यह सभ्यता मध्य अमरीका के ऊष्ण कटिबंधीय वर्षा (Tropical Rain) वाले वनों में विकसित हुई थी । आज भी वहां के निवासियों को जीवित रहने के लिये एक अंतहीन संघर्ष करना पड़ रहा है । फिर माया सभ्यता जैसी उन्नत सभ्यता ऐसे स्थान पर कैसे उत्पन्न हो सकी तथा एक विवेकपूर्ण कलात्मक संस्कृति कैसे विकसित कर सकी ?

माया सभ्यता की कहानी | Maya Civilization Story


इस संपूर्ण सभ्यता की खोज अपने आप में एक दिलचस्प कहानी है । स्पेनवासी विभिन्न राष्ट्रों को जीतने के अभियान पर निकले हुए थे । जब वे दक्षिण-पूवीं मैक्सिको में यकातान पहुंचे तो वहां घास-फूस तथा मिट्टी से बनी कच्ची झौंपड़ियों में रहने वाली प्राचीन आदिवासी जातियों को पाकर दंग रह गये । साथ ही उन्हें पत्थरों से निर्मित नगर भी मिले, जो काफी समय बीत जाने के कारण जंगली पेड़-पौधों से ढक गये थे । ये नगर कोई साधारण नगर नहीं थे क्योंकि इन नगरों में २३० फुट ऊंचे विशाल पिरामिड बने हुए थे । वहां अनेक महल भी पाये गये । ये महल आकार में यूरोप के कुछ विशाल महलों से भी बड़े हैं । यह सभी वस्तुएं कभी उन मनुष्यों द्वारा बनायी गयीं, जो अब बिलकुल लुप्त हो चुके हैं और उनकी महान सभ्यता शताब्दियों तक चुपचाप भूमि के नीचे दबी पड़ी रही ।

आश्चर्य की बात है कि स्पेन के ये विजेता अपने विजय अभियान के दौरान पायी गयी इन खोजों के महत्त्व को समझ नहीं पाये । बाद में १९वीं शताब्दी में कुछ इतिहासकारों ने इन पिरामिडों तथा महलों की ओर ध्यान दिया । इतनी सुन्दर वास्तुकला से यह स्पष्ट हो गया था कि इन वनों में कोई विकसित सभ्यता रहा करती थी । किन्तु वह कौन सी सभ्यता थी ? वे किसके पूर्वज थे ? वे किसके वंशज थे ? इन सभी प्रश्नों ने इतिहासकारों को परेशान किये रखा ।

कुछ इतिहासकारों के अनुसार यह सभ्यता निश्चय ही आदिम इंडियन जाति (Primitive Indians) की पूर्वज रही होगी । इसके विपरीत कुछ इतिहासकारों का कहना है कि इतनी उन्नत सभ्यता की स्थापना आदिमकालीन आदिवासियों द्वारा नहीं हो सकती । उनके अनुसार माया सभ्यता आदि मिस्रवासियों इज़रायल के किन्हीं अज्ञात कबीलों या दक्षिण-पूर्वी एशिया से आकर बसे लोगों की संतान थी । अनेक पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार माया सभ्यता का जन्म ३००० ई.पू. लगभग हुआ । किन्तु उनके इतिहास की स्पष्ट जानकारी २५०० ई.पू. के लगभग मिलती है ।

माया सभ्यता के निर्माता अपनी गणनाओं के लिये एक प्रारंभिक बिन्दु से गिनती करते थे । सौभाग्यवश लंबे समय के संघर्ष के बाद इतिहासकार चित्र-लिपि शैली (Heiroglyphics) में लिखित इन अंकों तथा दिनों को पढ़ पाये हैं । माया सभ्यता की चित्र-लिपि शैली का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण येक्सकिलान (Yaxchilan) में पाया गया है । वहां एक ऐसी तस्ती मिली है, जिस पर उभारदार नक्काशी द्वारा माया सभ्यता का एक उच्च प्रतिभाशाली व्यक्तित्व चित्रित है । वह व्यक्ति स्वेट्जल पक्षी के पंखों की टोपी पहने हुए है और एक आदमी को उसके बालों से पकड़े हुए है । यह दूसरा आदमी पहले आदमी को आत्मसमर्पण के रूप में अपना भाला सौंप रहा है । इस तख्ती का शेष भाग चित्र-लिपि से भरा हुआ है । इस चित्र लिपि को समझने पर इतिहासकारों ने इस तख्ती को ६८० ई. में निर्मित माना है ।

माया सभ्यता का समय । Maya Civilization Time Period


इतिहासकारों ने माया सभ्यता को तीन कालों में बांटा है । २५०० ई.पू. से विकासकाल (Formative period) आरंभ होता है । इसके बाद पूर्व उन्नत (Pre-classical) काल आता है । फिर सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रतिष्ठित काल (Classical) आता है, जो ६०० वर्षों से भी अधिक समय तक रहा । यह काल पेटेन (Peten) में पूरे जोरों पर रहा । युकातान (Yucatan) में भी कुछ नगरों का निर्माण हुआ । अंत में १५० वर्ष बाद इस गुमनाम नगर में पुनर्जागरण (Renaissance) हुआ, जिसने पेटेन की गौरवपूर्ण संस्कृति का विस्तार किया ।

यह महान पुनर्जागरण एक लहर के समान आया, जिसने ८०० ई. से १००० ई. मध्य यूकातान नगर को एक स्पन्ज की तरह आत्मसात कर लिया । अन्य नगर भी अपने-अपने तौर पर प्रभावित हुए । यह एक आश्चर्य की बात है कि इतनी महान सभ्यता होने पर भी माया सभ्यता राजनैतिक एकरूपता (Political Uniformity) की नीति पर आधारित नहीं थी । प्रत्येक नगर राज्य की अपनी सरकार, कानून, संस्कृति तथा धर्म था । वे एक दूसरे पर निर्भर नहीं रहते थे । किन्तु संकट के आने पर विभिन्न राज्य संधियां भी किया करते थे ।

इस मैत्री को मजबूत करने के लिये कभी-कभी अंतर्राज्यीय शाही विवाह भी आयोजित किये जाते थे । किन्तु ये संधियां तथा विवाह अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिये नहीं किये जाते थे । प्रत्येक नगर राज्य की अपनी अलग कानून-व्यवस्था होती थी, और एक अलग वास्तुकला शैली भी ।

माया सभ्यता की सरकार मिस्र के नमूने पर आधारित थी । प्रत्येक नगर में सर्वोच्च सत्ता ऐसे व्यक्ति में निहित रहती थी, जो मिस्र के सम्राटों के समान आधा मनुष्य तथा आधा ईश्वर माना जाता था । इस शासक को परामर्श देने के लिये एक कुलीन वर्ग (Noble Class) होता था । यही वर्ग नगरीय मामलों की व्यवस्था करता था । इस वर्ग के लोगों का ज्ञान विस्तृत तथा श्रेष्ठ होता था ।

इस वर्ग के नीचे दस्तकारों का छोटा-सा वर्ग होता था । इनके नीचे किसान वर्ग होता था । यही वह विशाल ग्रामीण वर्ग है, जो समय तथा प्रकृति के कोप के सम्मुख टिका रहा । यकातान गांव में इन्हीं के वंशज आज भी घास-फूस तथा मिट्टी से बने हुए कच्चे घरों में रह रहे हैं । इनकी बोलचाल की भाषा आज भी वही है, जो इनके पूर्वज अर्थात् माया सभ्यता के लोग बोलते थे । अंतर केवल यही है कि अब इस भाषा में स्पेन की भाषा के कुछ शब्द भी घुल-मिल गये हैं ।

माया सभ्यता की विशेषताएं


माया लोगों की लेखन-शैली काफी विकसित थी । उन्होंने अपनी लिपि में ८०० चिह्नों का प्रयोग किया, जिनमें से अधिकतर को अब पढ़ लिया गया है । उन्होंने अपनी कृतियों को पत्थर की पट्टियों, लकड़ी के फलकों, मिट्टी के बर्तनों तथा सब्जियों के रेशों से तैयार की गयी पुस्तकों पर लिखा । यह चित्र लिपि चित्राक्षरों (ldeograms) तथा शब्दों के लिये प्रयुक्त ध्वन्यात्मक (Phonetic) प्रतीकों से निर्मित हैं । उनकी लिखित सामग्री जापान तथा प्राचीन मिस्र की चित्र-लिपियों से काफी मिलती-जुलती है ।

माया सभ्यता संख्या प्रणाली


गणित के क्षेत्र में माया सभ्यता अन्य सभ्यताओं से काफी अधिक उन्नत थी । उन्हें शून्य की जानकारी थी । इसके १००० वर्ष बाद यही शून्य की जानकारी अरब व्यापारियों के साथ भारत से यूरोप पहुंची । रोमन तथा यूनानी लोग शून्य के विषय में नहीं जानते थे । अतः ये दोनों सभ्यताएं माया सभ्यता के समान बड़ी संख्याओं का प्रयोग नहीं कर पाती थीं । माया सभ्यता के लोग सभी संख्याओं को बिन्दु, रेखा तथा शून्य-इन्हीं तीन चिह्नों द्वारा व्यक्त करते थे । गणित में गहरी रुचि होने के कारण ही वे अपना अलग पंचांग बना पाये । उनके वर्ष में १८ मास होते थे । प्रत्येक माह में २० दिन होते थे, जिन्हें “हाब” (Haab) कहा जाता था । बाद में ५ अतिरिक्त दिन भी जोड़ दिये गये थे ।

माया सभ्यता वास्तुकला


गणित के समान वास्तुकला के क्षेत्र में भी उन्होंने काफी प्रगति की थी । माया सभ्यता ही एकमात्र वह सभ्यता थी, जिसने मेहराबदार भवन बनाये । ये मेहराबें पत्थर के अलग-अलग टुकड़ों तथा चूने-गारे से बनायी जाती थीं । माया सभ्यता की वास्तुकला का धार्मिक महत्त्व भी है । उनके भवनों पर बने सजावटी नमूने विभिन्न देवताओं के चेहरों के आधार पर बनाये गये हैं । ये सांप की आकृति के समान हैं तथा बहुत लंबे हैं । ये चेहरे चीन के शांग-वंश के ताओ तीक (Tao-tiech) नामक मुखौटों के समान ही दिखायी देते हैं । इस समानता के कारण कई इतिहासकार इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि इन सभ्यताओं का मूल स्रोत अवश्य ही समान रहा होगा ।

माया सभ्यता की कला


माया सभ्यता के मंदिरों तथा भवनों पर बने देवताओं के मुखौटे एक अन्य तथ्य को भी उजागर करते हैं । वस्तुतः ये मुखौटे ज्यामितीय नमुने पर आधारित हैं तथा प्यूक (Puuc) शैली में निर्मित हैं । १०वीं शताब्दी में उक्समल (Uxmal) में निर्मित मठ का चौकोर प्रांगण प्यूक (Puuc) शैली का एक अच्छा उदाहरण है ।

माया सभ्यता का अंत


माया सभ्यता एक ऐसी सभ्यता थी, जो स्वयं अपने बल पर ही विकसित हुई । लेकिन इस सभ्यता को भी अंततः विपत्तियों का सामना करना पड़ा । परिणामस्वरूप इस सभ्यता का न केवल पतन हुआ, बल्कि धीरे-धीरे एक दिन वह आया, जब यह सभ्यता पूर्णतः लुप्त हो गयी ।

इस सभ्यता के जन्म के विषय में इतिहासकारों में दो प्रकार के मत हैं किन्तु इसके पतन के कारणों के विषय में अनेक विचारधाराएं हैं । अनेक इतिहासकार इसके गायब हो जाने के लिए उन घुमक्कड़ कबीलों (Nomadic Tribes) को उत्तरदायी मानते हैं, जिनके पास अधिक अच्छे हथियार थे । उनके अनुसार उनके आक्रमणों ने माया सभ्यता के ढांचे को कमजोर कर दिया होगा । नगरों के प्रधान का अपने प्रशासन पर से नियंत्रण हट गया होगा और उनकी चिरकालीन शांति अराजकता में बदल गयी होगी ।

कुछ इतिहासकार इस सभ्यता के पतन के लिये बाहरी आक्रमणकारियों को उत्तरदायी नहीं मानते । उनके अनुसार यह सभ्यता अपने ही आंतरिक युद्धों तथा विसंगतियों के कारण लुप्त हो गयी ।

यह जटिल प्रश्न अभी भी अधर में ही लटका हुआ है । इस सभ्यता के पतन के काल, तिथि तथा कारणों को जानने के लिये जो भी उपलब्ध साधन थे, उन्हें स्पेन के धर्माध्यक्ष (Bishop) डीफो डि लाण्डा (Diefo de Landa) ने अपनी धर्मांधता के कारण जला दिया । उसने माया सभ्यता के सभी ऐतिहासिक, धार्मिक तथा वैज्ञानिक लेखों की होली जला दी और यह सर्वनाश उसने धर्म की रक्षा के नाम पर किया । इस नुकसान का अनुमान लगा पाना कठिन है । हम केवल यही कह सकते हैं कि इस सर्वनाश के कारण हम उन उपयोगी स्रोतों से वंचित हो गये, जिनकी मदद से हम इस सर्वाधिक मनमोहक सभ्यता के विषय में विस्तार से जान सकते थे ।

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