विद्वेषण मंत्र | विद्वेषण तंत्र | विद्वेषण टोटके | विद्वेषण मंत्र साधना | Videshan Mantra | Vidveshana Mantra

विद्वेषण मंत्र | विद्वेषण तंत्र | विद्वेषण टोटके | विद्वेषण मंत्र साधना | Videshan Mantra | Vidveshana Mantra

आं क्रीं क्रीं क्रीं क्रां क्रां क्रां स्फरे स्फरे धां धां ठः ठः ।

अमावस्या की रात्रि में मरघट पर जाकर खड़े उड़द को हाँड़ी में पकावे, पकने के बाद सुखाकर रख लें तथा आवश्यकता के समय रविवार या मंगलवार को उक्त मन्त्र पढ़कर जिसके मकान में डाल दे तो उसमें निवास करने वालों में विद्वेष उत्पन्न हो भयंकर लड़ाई होती है ।

Videshan%20Mantra

मित्र विद्वेषण मंत्र


ओम् नमो आदेश गुरु सत्य नाम को बारह सरसों तेरह राई, बाट की मीठी मसान की छाई, पटक मारु कर जलवार, अमुक फूटे न देख अमुक द्वार, मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा ।

राई, सरसों तथा चिता की राख लाकर मदार तथा ढाक की लकड़ी के चूर्ण द्वारा हवन करें और १०८ बार उक्त मन्त्र का जाप करे । इसके बाद जब प्रयोग करना हो तो दोनों मित्र जिस स्थान पर बैठते हों वहाँ पर हवन की राख डाल देने से कैसे भी मित्र हों, द्वेष उत्पन्न हो जाता है ।

महाविद्वेषण मंत्र


ओम् नमो नारदाय अमुकस्य अमुकेन सह विद्वेषणं कुरु कुरु स्वाहा ।

इस मन्त्र को पहले एक लाख बार जाप कर सिद्ध कर लें तत्पश्चात् जब प्रयोग करना हो तब निम्न प्रकार से प्रयोग करें –

(१) बिल्ली के नाखून और कुत्ते के बाल लेकर उपरोक्त मन्त्र पढ़ जिस स्थान पर डाल देवे वहाँ के निवासियों में द्वेष उत्पन्न हो जायेगा।

(२) साही नामक जीव के काँटे को उपरोक्त मन्त्र पढ़ जिसके द्वारा पर गाड़ दे उसमें निवास करने वालों में विद्वेषण हो जायेगा।

(३) घोड़े के बाल और भैंसे के बाल लेकर उपरोक्त मन्त्र को पढ़ जिस स्थान पर धूप देवे वहाँ अशांति उत्पन्न होकर द्वेष पैदा हो जाय।

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