तुलसी तिरायत | Tulsi Tirayan
आंवला नवमी सूं ग्यारस तांई तीन दिन निगोट बरत करणूं । खाली पाणी ही पीणू तुलसी को कुण्डो रखणू मोली का तार की बत्ती करणो और घी को अखण्ड दीपक जोवणू । राई दामोदर (बाल कृष्णलाल) की फोटू रखणू । भजन कीर्तन करणू मिन्दर जाणू तुलसी जी महाराणी की कथा सुनणू । ग्यारस क दिन रात का होम कराणू सालग- रामजी की मूर्ती मिंदर सुं मंगानु । तुलसी को ब्याव करणू। नथ, बिछुडयां चेन, मगलसूत्र, मूठयो आपासुं जो भी ओर सुवाग की चोजां सज आव जिकी सुहाग पिटारी मं घालर तुलसीजी क अर्पण करनो। सारी रात भजन कीर्तन करनो। दूजे दिन ब्राम्हण भोजन करानो । तीन जोडा जोडी जिमनो और शक्ति सारु ब्राम्हणां न दक्षिणा देवनो ।