दिवाली की पूजा विधि | लक्ष्मी जी की कहानी | Diwali Puja Vidhi

दिवाली की पूजा विधि | लक्ष्मी जी की कहानी | Diwali Puja Vidhi

दीवाली क दिन दिनुका जल्दी उठणूं । न्हाणूं, धोणूं मिन्दर जाणूं । बीक बाद मोरत सूं गादी बिछाणूं । लक्ष्मीजी की पूजा की जगा मांडणां मोडणूं । ६ बज्यां ११ तेल का दीयां की पूजा करणू। बांदरवाल बांधणू गेंदा का फूला की माला बांधणू। लापसी चांवल या सीरो पूडियां की रसोई बनाणू, ७ बज्यां लक्ष्मी महाराणी की पूजा करणू । लक्ष्मीजी न खुब ठाट बाट सूं सजाणूं और पूजा का सामान म हल्दी, कुंकं, घी को बडो दियो, अगरबत्ती कपूर खिल्यां, पतासा, ५ फल, नारियल, मीठा को भोग लगाणूं। हरख उच्चाव सूं पूजा करणू । बही खातां की पूजा करणू। पूजा घर का सगला छोटा बडा मिलकर करणू, आरती करणू प्रसाद लेणू । सबक पगां पडणू | देशी घी को दियो सारी रात रखणू ।

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लक्ष्मी जी की कहानी | लक्ष्मी माता की कथा | Laxmi Ji Ki Kahani


एक ब्राह्मण हो वो कमावतो कोनी हो । बी की लुगाई केवती थ्हे की कमावो कोनी काम क्यान चाली । टाबर टुबरां को घर हैं टाबर भुखा मर ,धणी बोलतो की काम मीले ही कोनी म्हे कांई करुं । जठ भी जाऊं बठे नकारो ही मिल। ब्राह्मणी बोली रास्ता म जो भी मिल लकड़ी, गोबर कांई मीले लेर आबो करो । खाली हाथ नहीं आणो । बी दिन क बाद ब्राह्मण घर आंवतो आंवतो की न की लेर आंवतो । एक दिन गाय जणी ही गाय की आंवला ही लकड़ी सूं पकड़ कर घर लार छत पर न्हाक दीयो । दीवाली सामला दिन हा। राजा की राणी आपको गेणो धोवण बैठ नौ लाख को हार हो जीन चील उठार लेयगी और ब्राह्मण का छज्जा पर जठे आंवल न देखी तो नौ लखा हार न छज्जा पर छोड़र आंवल न लेर उड़गी ।

ब्राह्मणी बोली आपां क कोई काम कोनी आपां छाजो तो छा लेवां चौमासा म पाणी पडयो आपन तकलीफ पडी। ब्राह्मणी छाजा पर चढी तो बीन नौ लाख को हार चमाचम करतो दीख्यो । बा ब्राह्मणी न बोली देखो आपान भगवान तुष्ठमान होयग्या हैं। राजो गांव म डिंडोरी पीटा दियो कि साल कोई भी दिवाली नहीं करणूं क्यूंकि राणि को नवलखो हार गुमग्यो है । ब्राम्हणी बोली आपाक ही तो भगवान तुष्ठमान हुयो है म्हें तो दिवाली की पूजा करुं । ब्राम्हण बोल्यो कि थ्हने राजा का सिपाही पकड़ कर ले जाई |ब्राम्हण देवता तो डरतो मन्दिर म जार बैठग्यो । ब्राम्हणी आपकी ५ दीया जोया लक्ष्मी जी की पूजा करी सीरा पूडी को भोग लगायो आरती करी एक दीयो तुलसी कने, एक मिन्दर म, एक परिन्डा कने और एक मोरी कने और एक लक्ष्मीजी की पूजा करी जठे रख दीवी ।

अमावस की रात ही ।लक्ष्मीजी महाराणी पेर ओढ़र निकल्या कठई चांदणो कोनी अन्धेरी रात होणें से चन्द्रमा को भी चन्दाणो कोनी हो । ब्राह्मण का घर म मोरी म जरा सो जन्दाणो दीख्यो । लक्ष्मी जी मायन गया तो ब्राह्मणी बोली की तू कूण है। लक्ष्मीजी बोल्या म्हे लक्ष्मी माता हूँ। ब्रह्मणी बोली भगवान म्हनै दीया तो तू भी आयी है इत्ता दिन म्हारे क्यूं कोनी आई । म्हारै तू चईशज्ये कोनी |लक्ष्मीजी बोल्या कि म्हे थन वचन देऊं कि म्हें थारी ७ पीढ़ी तक रेवूं । हे लक्ष्मी माता ब्राह्मणी क सात पीढ़ी तक रही ज्यान सगलां क रहीजे । म्हाक कथा केवण वालां सुणन वालां क सब क रईज्ये ।

लक्ष्मी माता की कहानी


एक दादी पोत्यां ही । पोती रोज पीपल सींच न जांवती रोज आवाज आंवती ए बाई भाईली (सहेली) बन । बा दादी न बोलती की पीपल म सू़ं आवाज आव कि ए बाई भाइली बणी कांई ? दादी बोली बणजा । लक्ष्मी माता हैं। पोती लक्ष्मी माता की भाइली बणगी । लक्ष्मी माता कयो कि ए बाई तू म्हारे काल जीमण न आइज़्ये । बा जीमण न गयी ३६ तरकारयां ३२ भोजन करया । चांदी का थाल, सोना की झारी चन्दन की चौकी पर बैठया । वा अठीन बठीन देखन लागी । लक्ष्मी माता पोती न पूछया कांई देख जीमे क्यूं कोनी ? बा बोली तू तो आज म्हारी इत्ती मनवार कर है इत्ता पकवान बणाई म्हारे घर तो टुटयोडी झोपड़ी ह बाजरा की रोटी, गंवार फली को साग गंवा की राबड़ी है ।

लक्ष्मी माता बोली अये म्हारा जिसी भाइली बण्या पछ थ्हनै कांई फिकर है ? तू क्यूं फीकर करे जीमले| भायो जित्तो बा खाई। जीम जूठ कर जावण लागी तो बी कै साथ साथ लक्ष्मी जी गया। काशीफल दीयो और बोल्या ई को साग और रोटया करीजै । पोती काशीफल न लेर बन्दार बैठी तो चाकू सोना को होयग्यो ,बीज हीरा मोती होयग्या, काशीफल और थाली सोना की होयगी । पोती एक हीरो लेजार बाजार म बेची तो लाखों रुपीया आया । पैसा आया पछ मोटो सारो बंगलो, कपड़ा, गेणा ले आया। दूकाना चालण लागगी आनन्द होयग्यो ।

पेर ओढर लक्ष्मी माता न जीमण को केवण न गयी और बोली कि म्हारै काल जीमण न आइजे । पोतो भी ३६ तरकारयां ३२ भोजन करया तलीणा तल्या चन्दन को चौकी बिछार सोना की थाली, सोना की झारी दीवी । लक्ष्मीजी जीमण बैठया तो पाटो (चौकी) सोना की होयगी दोनू भाइल्यां साथ साथ जीमी । पान खायो बातां करी लक्ष्मी माता बोली म्हे जाऊँ बा बोली यान क्यान जाव । म्हारा धणी न टाबरां न क्यान ठा पड़ सी । लक्ष्मी माता बोली म्हे थारे सात पीढी तक रेवूं । लक्ष्मी माता पोती आशीर्वाद देकर चली गयी । हे लक्ष्मी माता बीन अशीर्वाद दीवी (टूंटी) ज्यान सबन टूटीज़्ये ।

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