बुध अष्टमी की कहानी | Budh Ashtami

बुध अष्टमी की कहानी | Budh Ashtami

बुध अष्टमी अमावस के पछ चांदणा पखवाडा म आव । उद्यापन म आठ बुध अष्टमी करणू | कोई सूं ज्यादा भी हो सके । या एक ही करर उजेवणो कर देव ।

आठ जोडा जोडी ब्राह्मण या बण न सके तो सात ब्राह्मण और एक जोडा़ जोडी़ जीमाणू , ब्राह्मण न धोत्यां, कोई पात्र या अंगोछा आपा सूं सज खाव जिको देणू । बुध भगवान की सोना की मूर्ति लुगाई मोटयार का कपड़ा ब्राम्हण न जीमार देणू । होम कराणू । बुध अष्टमी कर जणा भी नौ चीजां गेहूं की बनाणू आठ चीजां ब्राम्हण न देणू और एकआप खाणू ।

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बुध अष्टमी की व्रत कथा


निमी नाम को राजा मिथिला नगरी म रेवतो हो बींन शत्रु पराजित करर बीको राज्य ले लियो । बींकी राणी को नाम उमिला हो । बीन कोई राख्यो कोनी बा आपका बेटा बेटी न लेर उज़जैन नगरी म आयी ।

बठ एक ब्राम्हण का घर म पीसण पोवण लागो एक दिन गेहूँ पीसतां पीसतां देर होयगी बीका टाबर भूखा होयग्या बा पीसण का गेहूं म सूं सात गेहूं टाबरा न खिला दी। थोडा दिना बाद उमिला [राणी] मरगी । बीकी मृत्यु क बाद बीको बेटो आपका पराक्रम सुं आपको राज पाछो ले लियो और उर्मिला नगरी का सिंहासन पर बैठग्यो आपकी बेन की सगाई धरमराजजी सूं करर ब्याव धुम धाम सूं कर दियो। बीको नाम श्यामलाल हो । बा पतिव्रता ही । धरमराजजी बोल्या तु घर को सारो काम काज देखणू। नौकरां सूं सारो काम यथायोग्य लेणू । म्हे गांव जाऊ हूं|

सात कोठो की चाबीयां बीन दे दिया। चाबी देवती टेम का बोल्या कि सातवों कोठो मति खोलीजे । श्यामला बोली ज्यान आपकी इच्छा होई ब्यान ही करुं । धरमराजजी तो चलेग्या| श्यामला क मन म आयो कि सातवों कोठो खोलर देखूं । बा पहला कोठा न खोलर देखी तो बीक माई न बीकी मां कैदी करयोडी ही । यमदूत बीन त्रास देवता हा । बीन तेल की कडाही म न्हाके ह। । श्यामला न आपकी मां पर दया आयी और दुःख हुयो । दूसरो कोठो खोलर देखी तो बी म बीकी मां न घट्टी म पीसा हा । तीसरो कोठो खोलर देखी तो हाथी की सुंड म डाल दिया हा ।

चौथो कोठो खोलर देखी तो कुत्ता बीकी मां न खावे हा। पांचवा कोठा म देखी तो यमदूत मार रहया हा। छठो कोठो खोलर देखी तो ज्यान गन्ना को रस निकाल ब्यान बीन निचोडा हा । सातवां कोठा म बीन कीडा खा रहया हा । श्यामला न चक्कर आइग्यो। इत्ता म धरमराजजी पाछा आयग्या हा । आता ही श्यामला न पूछया तू कोठा तो खोलर कोनी देख्या न म्हे थन मना करर गयो हो। श्यामला धरमराजजी क हाथ जोडर प्रार्थना करी कि हे नाथ म्हारी मां इत्तो किसो पाप करयो जिका सूं थे बीन इत्तो त्रास देवो हो ।

धरमराजजी बोल्या थांकी मां थांक वास्त ब्राम्हण का घर सूं सात गेहूं चुराया हा। बीं चोरी का गुनागार थे हो। श्यामला पूछी म्हारी मां क वास्त म्हे काई करुं ताकि बा पाप सूं छूट जाव । थे मां का जंवाई हो उपाय बताओ ? धरमराजजी बोल्या श्यामला सात जनम पेली तू ब्राम्हणी ही । सत संगत सूं तू बुध अष्टमी को बरत करयो । बो पुण्य थारी माँ न तू वींका नाम सूँ संकल्प कर दे। बो पुण्य सूँ थारी मां को छुटकारो होसी ।

धरमराजजी आपक सामन बुध अष्टमी को संकल्प करायो। बा बरत करर मां न पुण्य दियो। बुध अष्टमी को पुण्य मिलताई मां को शरीर दिव्य होयग्यो । आपका बेटा बेटी सूँ मिली । आकाश म बुध को तारो आज भी दिख हैं। बींक नजदोक ही उर्मिला को तारो भी हैं ।

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