ऊब छठ | ऊब छट | Ub Chhath

ऊब छठ | ऊब छट | Ub Chhath

ऊब छठ (ऊब छट) पूजन सामग्री


कूंक, चांवल, चन्दन, अगरबत्ती, खजूर, सुपारी, पान, फल, पैसा, लाल पुष्प, लाल चन्दन, दीपक ।

Ub Chhath

ऊब छठ (ऊब छट) पूजा विधि


चन्दन षष्टी क दिन तालाब म, नदी पर, नहीं तो कुंवा पर, नहीं तो घर म शाम की टेम पांच बज्या स्नान करणूं । सूरज भगवान न अरक देणू। बारा नाम सूरज भगवान का लेणू । मन्दिर म जाणू कथा सुनणू और कठई कथा को साधन नहीं होव तो कहानी केवणु सुनणू। भगवान का भजन करणू । रात का चांद डगणे क बाद सफेद फूल, चन्दन सू चन्द्रमा जीन अरक देणू बीक बाद कोई नमक खावे तो ठीक नहीं तो अलुणो ही जीमणो।

उजवणो करणो होवे तो :-

कवारी कन्या का उजेवणा म ६ लूगांया जीमाणो । रजस्वला होवण क बाद १२ लूगांया । बाल बच्चो होण क बाद १६ लुगांया न जोमणो ।

ऊब छठ (ऊब छट) की कहानी


एक दिन पार्वती जी शंकर भगवान न पूछया कि ऊब छट की बरत करणे सू काई होव ? चन्दन पष्टी को बरत करणे सुं कांई होव ? शंकर भगवान बोल्या कि ई बरत सू सौभाग्य मिल। मनोईच्छा पूरण हुव। ई बरत की कहानी यान है ।

ऊब छठ (ऊब छट) व्रत कथा


एक ब्राह्मण ही बिका पिताजी की श्राद्ध आयो वो ब्राहाण आपकी लुगाई न बोल्यो कि आज म्हारा पिताजी को श्राद्ध हैं। म्है ब्राह्मण न जीमण का न्योता देर आयो हूं। खीर पुडिया की रसोई बनाईजे । बी ब्राह्मण की लुगाई रसोई बनाती बनाती रजस्वला होयगो । ब्राह्मण की लुगाई विचार करया कि म्हारो पति अकेलो है, यान सोचकर बा बात न छुपा ली, कोई न बोली कोनी । ब्राह्मण देवता जीमण न आया बांका पाव धोया, भोजन कराया, पान सुपारी दिवी, दक्षिण दिवी । ब्राह्मण जीमर आपक घर चला गया । समय आणे सू लुगाई की मुत्यु हुवी । बी पाप की वजह सू बा कई योनियां म कष्ट भोगी कई जूण भोगती भोगती आखिर चाण्डाल की योनी म आयी एक दिन बेटा का गांव म आकर जन्म लियो । एक दिन बींको बेटो यज्ञ कर रहयो हो वा यज्ञ की सामग्री में मुण्डो डाल दियो। बीको बेटो बीन खूब मारयो और निकाल दियो खावण न की भी कोनी दियो वा बी दुखस्यु बहोत रोयी और पाप की वजह स्यू चाण्डाल की योनी म आायी । बा बेटा क सपना म आर बींन कहयो म्हारो उद्धार कर बेटो बोल्यो मां म्ह क्षमा चावूं । म्ह थन पिछा्ण्यो कोनी तु बता थारो उद्धार क्यान करू मां बोली चन्दन पष्ठी को बरत कर योक बरत ही महान ब्राम्हण क समान है बींसू उद्धार होई । बटो जाग्यो। बरत करयो, ब्राम्हण न बुलाकर आपका बरत को पुण्य माँ न दियो। मा चाण्डाल योनी सू मुक्त होयगी । जो लुगाया चन्दन पष्ठी को बरत कर जकान रजस्वला को पाप कदई कोनी लाग या |

कहानी सुनन वाला न हुंकारों भरन वाला न मूक्ति मिल । बीन मूक्त करया ब्यान म्हांकी भी मुक्ति करो ।

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