विनायक जी की कहानियाँ – ९ (मारवाड़ी मे) | Vinayakjee kee kahaniya – 9 (In Marwari)

विनायक जी की कहानिया (मारवाड़ी मे)

Vinayak Ji Ki Kahaniya (In Marwari)

विनायक जी की व्रत कथा, विनायक जी की कहानी, विनायक जी की कथा , विनायक जी महाराज की कहानी

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एक ब्राम्हण हो ओर एक जाट हो । दीन्यू जणां क खेत हा । ब्राम्हण तो गणेशजी को नाम लेकर खेत घायो जाट सावड माता को ध्यान लगाकर खेत बायो । समय आणे पर जाट का खेत म खूब सारो धान उयो। ओर ब्राम्हण का खेत में चार पांच सिट्टा ही उग्या । धान पकणे पर सारा गाव मे जाट बुलाबा दे दियो । आज म्हारा खेत को धान कातनु ह । गणेशजी बामण न बोल्या तू भी बुलावा दे दे । ब्राम्हण बोल्यो म्हाराज म्हे माथी कटावं काई ? म्हारा खेत म तो चार पांच सिट्टा हे। गणेशजी बोल्यों म्हे थन बोला रयो हूं कि बुलावा दे दे।

गणेशजी सावड माता क कन जार बोल्या हे सावड माता थाका कपडा मेला होग्या ह म्हन धौवण दे दे | सावड माता बोली म्हे कपडा दे दूं तो म्हे काई पेरु ? गणेशजी बोंल्या कि ब्राम्हण का खेत म बेठो । लोंग बोल्या जाट क जांवा तो खूब काम करण पडी । ब्राम्हण को भो बुलवो आयों ह । बीक जावा तो घी खिचडों खांबा। खूब चिलमा पीवा। बाता करा । बीक त २-४ सिट्टा ही है। सावड माता ब्राम्हण का खेत म जार बेठगो। माता ब्राम्हण का खेत म ज्यान चाले अनाज ब्यान खेत म बढ़न लाग्यो। लोग ढिगला का ढिगला लणा दिया तो भी खेत को छेडो आयो कोनी । लोग बोल्या अरे ब्राम्हण तू कांई जाण ह ? म्हे आया जणा तो २-४ सिट्ट हा, थप्यां की थप्यां लगा दी तो भी खेत भरयोडों ह । ब्राम्हण बोल्यो गणेशरजी की कृपा ह । अष घी खिचडो खाबो ओर विभांती लेबो । अठिन विनायकजी कपडा धोकर सुखाकर झाड क निचे ठंडी छांव में सोयजग्या । शाम पढी विनायकजी की आंख खुली । कपडा लावड सावड माता न बोल्यो एलो माता थांका कपडा माता बोलो महाराज म्हारा म खूब करी। गणेशजो बोल्या, नहीं कर तो म्हारा भक्त को खेत क्यान भरतो । बीको खेत-बीको भंडार भरपुर भरया ब्यान सबका भरज्यो ।

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