विनायक जी महाराज की कहानी – १२ (मारवाड़ी मे) | Vinayakjee kee kahani – 12 (In Marwari)

विनायक जी महाराज की कहानी (मारवाड़ी मे)

Vinayak Ji maharaj Ki Kahani (In Marwari)

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एक ब्राम्हणी ही | बाण्या क रसोंई करती ही । बेक अठ पिंडा क ऊपर सबा सेर का गणेशजी बिठायोड़ा था। बा रोज हाथ धोवण जाती जित्ती बार बोलती बाण्या का गणेशजी टूटो घणा दिन होयग्या ब्राम्हणी की जबान घसीज गी । एक दिन गणेशजी मन में सोच की आपान डोकरीन तुष्ट मान होणू है । डोकरी रोज ४ बजा तडक उठती नहा धोर माला फेरन बेठ जाती । गणेशजी आया डोकरी माई कठ ष्ट मान हुवा यान पूछया। डोकरी बोली महाराज घर घणोई बडो ह थाक मन चाव जठई तूठो ।

गणेशजी डांगडी (लकड़ी) फेरर चलेग्या | डोकरी आंख्या खोल देखतो सोनो, चांदी, रुपिया, घी, आटों, शक्कर घर में चारु ओर परम आनंद होयग्या | ८ बजगी रसोई करण गई कोनी टाबर बुलावन आया गुराणीजी रसोईन चालो गुराणीजी बोल्या थांका गणेशजी म्हान तुष्ट मान हुया है म्ह रसोईन कोनी आवू | टावर जार मां न बोल्या आपाक गणेशजी गुराणीजी न टूटग्या | मां सब्बल लायी धना-धन खोदकर गणेशजी न कचरा कुंडी पर फेक दिया। घाटा नफा लागग्या बेपार सब बंद होयग्या चोर-चोरी करर लेयग्या सगलासु बडो बेटो हो बो बोल्यो चालो घर चाला । बठ तो की होशी घर आर देखतो की भी कोनी | एक दिन बेटो पिंडा पर हाथ धोवण गयो गणेशजी कोनी दिख्या । मां न बोल्यो मां अठ आपांका गणेशजी हा ना मां बोली आपांका गणेशजी गुराणी न टूटग्या मह वो खोंदर फेक दिया | बेटो बोल्यो मां गणेश जो आपांका अकेला का ही कोनी सिगली सिप्ठी का है गुराणीजी का भाग को बीन तुष्ट मान हुया । आपांको कई लियो। कुम्हार न जार बोल्यो म्हन सवा सेर का गणेशजी बनार देवो । बडा बडा पंडिता न जार मूरत पूच्छयो पंडित गाजा बाजा सूं गणेशजी की स्थापना पाछौ करी। गणेशजी न बनाकर सवा मण को भोग लगायो सगला गांव म प्रसाद बांटयो । गणेशजी पाछा भंडार भरपूर करया । बेपार धंधा पाछा चालन लागग्या । सब भंडार भरपूर होयग्या । बीन तूटया ज्योन सब न टूटीजो ।

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