विनायक जी की कथा – १३ (मारवाड़ी मे) | Vinayakjee kee kahani – 13 (In Marwari)

विनायक जी की कथा (मारवाड़ी मे)

Vinayak Ji Ki Katha (In Marwari)

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एक गांव म एक गुजरो ही बा रोज लोणी को लूंदो लेर विनायकजी क चढा देती। एक सावकार की बेटा की बउ आंवती बाटयो बणा कर ल्याती मस्को उतारर मिलार खा जाता| यान करता करता घणा दिन होयग्या । विनायकजी न अचंबो आयो क गूजरो तो लार चढाव ओर आ रोतज म्हारो खाजाव । विनायकजी नाक क आंगली लगा लिवी पंडित लोग बोल्या विनायकजी नाक क आंगली लगा ली राजा न भारी हे। राजा बड़ा बड़ा पडितान बुलाया कोई होम कर, कोई यज्ञ कर, कोई पाठ कर, कोई पूजा कर, कोई जप कर गाव म हलचल मचगी | सावुकार की बेटा की बहु सासू न पूच्छो हलचल केकी हो रही है ?

सासू बोली गणेशजी नाक क आंगली लगा ली राजा न भारी ह । बा बोली म्हे जार उतार देवू कांई ? सासू बोली बडा बडा पंडित आया ब्यावु ही कोनी उतरी तो थारासूं काई उतरी । सासू जीमर सूती बापड़ी न नींद आयगी । बहु कपढा धोणे की मोगरी लिवी ओर मिंदर कन गयी | पंडिता न बोली थ बाजू सरको म्ह देखु । पंडित बोल्या म्हे इत्ता पूजा पाठ कर रिया हां तोई नई उतरी थाराऊ कई उतरी ? एक पंडित बोल्यौ इन भी देखण देवो। बा अन्दर जार दरवाजो बंद कर ली मोगरी लेर बोली बाटयो ल्यायी, म्हारा घर को ल्यायी मस्कों ल्यायी, गूजरी ल्यायी थारा बाप को कांई गयो ? नाक की आंगली निकाले या नहीं। नहीं वो सोंटा की लगांवू ला खांडो बांडो हो जाइ तो दुनियां पंजण की नई । विनायकजी महाराज डरग्या, कि नागा की बाई भरोसा अबार खांडो-बांडो कर देई । झठ नाक की आंगली उतारर गोडा पर रख ली बा दरबाजो खोल्यो आग पंडित सब जणा अचंबो करण लाग्या राजा न मालूम पड़ी राजा आया धरम की बेटी बनाई खुब धन-मान देर बिदा करी बिको मान भगवान बढायो सिशी सब को बढाइजो (नागाई कोई करीजो मती नागासू देवता भी डर)

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