विनायक जी की कहानी – ६ (मारवाड़ी मे) | Vinayakjee kee kahaniya – 6 (In Marwari)

विनायक जी की कहानिया (मारवाड़ी मे)

Vinayak Ji Ki Kahaniya (In Marwari)

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एक मां वेटी ही । बी गांव म गणेशजी को मेलों हुयो । सब जणा मेलो देखण न जाबा लाग्या | बेटी बोली मां म्हे भी जावूं । मन दो लाडू कर दे। मां बोली इत्ती भीड मे कठ जाई ? चिंथीज जाई कृण थारी निंग राखी ? बेटी जिद करर बेठगी म्हे जावु । मां दो लाडू बनाया। पाडोस्यां न बोली म्हारी बेटी भी थांक सागे चालसी ईको नींग राखीज्यो । पडोसी बोल्या अच्छी बात है ।

बा मेला म गई सब जणा तो खरीदन लाग्या । देखण लाग्या । आ गणेशजी को एक एक म्हारो मंदिर हो बठ जार बेठगी। गणेशजी न बोली एक थाको एक म्हारो खाओ तो खिलाय जावू नही तो ले जावू । यान करता २ शाम पडगी। सगलो मेलो बिछुड़न लागग्यों । गणेशजी मन म सोंचा कि आ अकेली की क साथ जाई ? बार बार म्हन बोल ह लाडू खाओ आ सोच कर गणेशजी हाथ आग कर लाडू ले लिया एक आप खा लियो एक छोटी न खुवा दियो। गणेशजी बोल्या मांग कांई मांग | बा बोली म्हे तो मांगनी जाणू कोनी छोटी हूँ। गणेशजी बोल्या थन आव यान ही मांग। चा बोली परा म झांझरिया मांगु ओढण चीर मांगू गोदयाम वीर मांगु चरी भरी खीर | मांगू खाती रिमझिम करती मां कन जावू |

गणेशजी बोल्या जा थारी इच्छा पूरी हो जासी । देखतां ही देखता बींक पगा म झांझरिया आयग्या नयी ओंढ़णी आयगी बिंकी गौदया म वीर आयगो चरी भरी खोर, खांबती मां कन जा रही ह । गांव में डोकरी लोगान पूछीं म्हारी बेटी कठ ? लोग बोल्या थारी बेटी लारसू भाई न लेर आव ह | डोकरी बोली क्यं म्हारी हंसी उडावो ? जित्ताम तो वा भाई न लेर आयगी । देख कर सब जणा राजी हुया । मां न बौली सां आापान गणेशजी भाई दिया है । बीन भाई दियो ज्यान सब न देइज्यो ।

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