असाध्य दमा और कैंसर के लिए मांगीलाल के चमत्कार | Mangilal`s Miracles For Incurable Asthma And Cancer 


जब मनुष्य के प्रयाश कोई ठोस परिणाम न दे पाए और वह पूर्ण रूप से किसी आस्था पर निर्भर हो, तब उसे एक आशा की किरण मिले तो उसे किसी चमत्कार से कम नही कहा जा सकता है | ऐसे ही चमत्कार से धनी है – मांगीलाल तंवर |  देखने मे साधारण ग्रामीण जीवन जीने वाला यह व्यक्ति जिला राजगढ़(मध्यप्रदेश) का रहने वाला है | इस जिले के दिलवरा गाव का यह किसान आज स्थानीय ही नही अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर रहा है | कारण है उसका कैंसर व रक्त कैंसर जैसे असाध्य रोगो के इलाज के अतिरिक्त दमा, मिर्गी, बवासीर, सफ़ेद दाग और लीकोरिया की सफल उपचार |


यह जड़ी-बूटी भी है और तंत्र भी

मांगीलाल जी की भी अपनी दिलचस्प कहानी है | दिलावरा के किसान परिवार का यह ७० वर्षीय व्यक्ति दो पुत्र और पाँच पुत्रियों के पिता है | दवा का यह हुनर मांगीलाल को एक बाबा दे गए थे | आज से ३६ वर्ष पूर्व मांगीलाल अपने खेतो मे कम कर रहा था | वहा गाव के और भी लोग थे | तक एक बाबा राह से गुजरते दिखे उन्होने गाव के लोगो से पानी मांगा लेकिन किसी के पास पानी नही था | आसपास भी पानी का कोई स्त्रोत नही था | मांगीलाल को दया आई | उन्होने बाबा के कमंडल मांगा और पानी लेने निकल पड़े | काफी देर बाद जब मांगीलाल पानी लेकर लौटा तब बाबा प्रसन्न हुए और हाथ मे जड़ी-बुड़ी देकर बोले, तुम इससे लोगो का उपचार कर सकते हो |


पहला प्रयोग

दवाई बाटने का पहला प्रयोग मांगीलाल ने अपने गाव से शुरू किया | तब १२ वर्ष की बालिका राधाबाई को गाल का कैंसर था | उनके माता-पिता कैंसर का उपचार कराते-कराते थक चुके थे | लडकी की स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी |   तब पहली बार मांगीलाल ने अपनी दवाई का राज खोला | मांगीलाल ने उसे दवा दी और आज वो एकदम स्वस्थ है |


राजस्थान के मुख्यमंत्री की पत्नी को भी बचाया

सन १९९६ के आसपास राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री भैरोसिंह शेखावत की पत्नी भी कैंसरग्रस्त थी, वह भी इनके उपचार से ठीक हुई है |

इसके साथ ही साथ राजगढ़ के जिला कलेक्टर बी॰ आर॰ नायडु थे | उनके भाई को फेफ़डे का कैंसर था | वह भी इनके उपचार से ठीक हुए है |

फिल्म उद्योग के कई प्रसिद्ध लोग और दवा निर्माता कंपनी के मालिक भी उपचार के लिए मांगीलाल से दवा ले चुके है |  

          

कैंसर और रक्त कैंसर इलाज का तरीका

मांगीलाल कैंसर और रक्त कैंसर के लिए २०० ग्राम बादाम का आटा और ५० ग्राम घी के साथ कोई दावा मिलाते है | यह १३ दिन की खुराक है | प्रत्येक दिन प्रात: १५० ग्राम दूध के साथ एक खुराक मिलाकर धीमी आंच मे गरम करना होता है | इसे तब तक गरम करते है, जब तक वह गाढ़ा न हो जाए | इसके पश्चात इक्छानुसार दूध मे शक्कर मिलाकर पीना होता है | रक्त कैंसर को छोड़कर अन्य तरह के कैंसर मे यदि कही घाव है तो मांगीलाल घी की दावा मिलाकर छोटी शीशी मे देते है | उससे दिन मे दो बार घाव मे हल्की मालिश करनी होती है |

मुह एव गले के कैंसर के लिए ३०० ग्राम सिघाड़े के आटे मे दावा दी जाती है | साथ मे वही ५० ग्राम घी का मलहम होता है | सिंघाड़े के आटे की दवा के साथ ३९ खुराक बनानी होती है | इसका दिन मे तीन बार सेवन करना होता है | प्रात: खाली पेट, दोपहर भोजन के २ घंटे बाद और शाम को भोजन के एक घंटे पहले पावडर वाली दवा लेनी है | दवा लेने के कुछ समय पश्चात १५० ग्राम दूध पीना आवश्यक है | घाव वाले स्थान पर घी की मालिश करना आवश्यक है |

मुह के कैंसर के लिए ५० ग्राम तुलसी के पत्ते और आठ काली मिर्च घर से लाकर मांगीलाल उसमे दवा मिलता है | दिन मे दो बार दर्द वाले स्थान पर मंजन करना होता है | यदि थूक आए तो उसे थूक देना चाहिए | यह समान साथ मे ले जाने की जरूरत नही है, मांगीलाल स्वयं इस प्रकार दवाए बनाते है | १३ दिन की दावा के बाद यदि मरीज की स्थिति मे सुधार हो तो फिर वहा से दवा लानी चाहिए | मरीज की जाना किसी भी स्थिति मे आवश्यक नही है | मांगीलाल के लिए डाक्टर की रिपोर्ट जरूरी नही है | रोगी की स्थिति बताने से भी काम चल सकता है | वैसे डाक्टरों की जांच करवाकर ही जाना चाहिए, ताकि पूरा विश्वास हो की रोगी को कैंसर ही है | कैंसर के रोगी की पहचान है जीभ और नाखूनो का सफ़ेद होना | इसी तरह मांगीलाल जी भी पहचानते है |


दमा का इलाज

दमा (स्वास) या खांसी की दावा के लिए २५० ग्राम छूआरे के आटे मे मांगीलाल दवा मिलाते है | फिर इसे १३ दिन की खुराक मे बांटना होता है | प्रत्येक दिन प्रात: खाली पेट दवा लेनी होती है | १५० ग्राम दूध मे दवा मिलाकर हल्की आंच मे गर्म करना होता है | जब दूध गाढ़ा हो जाए तब ठंडा करने के बाद इकछनुसार शक्कर मिलकर उसका सेवन किया जाना चाहिए | परहेज के रूप मे खटाई का सेवन वर्जित है |


मिर्गी रोग का इलाज

मिर्गी के लिए २५० ग्राम मावे की मिठाई जरूरी होती है | इसे अपने साथ ले जाना चाहिए | इसी मे मांगीलाल अपने करतब दिखाते है | वह हाथ से कुछ करते है और अचूक दवा तैयार हो जाती है | इसी दवा से १५ वर्ष से कम आयु वालो के लिए ३० गोलीया बना लेनी चाहिए और यदि १५ वर्ष से अधिक का है तो उसके लिए २७ गोलीया बनाना आवश्यक है | साथ ही २५० ग्राम सडी हुई हल्दी लेनी है | सड़ी हल्दी तोड़ने से सफेल कीड़ा निकलता है | उस कीड़े को मावे की गोली के अंदर रखकर रोगी को दिया जाना चाहिए | प्रात: दोपहर और शाम को दवा लेनी होती है | परहेज के रूप मे डालडा व तेल वर्जित है |

मिर्गी की दवा की खुराक पूरी होने पर २१ दिन तक कोई दावा नही लेने चाहिए | उसके बाद पुन: मिर्गी की दवा की दूसरी खुराक शुरू करनी पड़ती है | इस तरह हर २१ दिन के बाद दवा तब तक लेनी चाहिए, जब तक रोगी स्वस्थ न हो जाए | दूसरी बार दवा डाक द्वारा मंगाई जा सकती है |

 

बवासीर का इलाज

बवासीर के मरीज के लिए ५० गाम सरसो के तेल मे दवा मिलानी होती है | साथ ही ५० ग्राम ताजा नीम के पत्ते पीसकर सरसो के तेल मे डाले जाते है | फिर दावा प्रात: और शाम लगाई जाती है | मिर्च का सेवन बंद करना पड़ता है |

            

सफेद दाग के लिए

सफेद दाग के लिए २०० ग्राम लाल चन्दनवाली दवा मे ५० ग्राम के लगबाग ताजा नीम की पत्तिया पीसकर मिलानी होती है | साथ ही सरसो का तेल भी मिलाना पडता है | इस मलहम को दाग वाले स्थान पर दिन मे दो बार मलना पड़ता है | यह क्रम तब तक जारी रखे, जब तक सफ़ेद दाग काला न पड जाए |


लीकोरिया का इलाज

लीकोरिया स्त्रीजनित रोगो के लिए २५ ग्राम छूआरे या बादाम मे मांगीलाल दावा मिलाते है | इसको १३ दिन की खुराक मे बांटते है | दिन मे एक बार सुबह दूध मे उबालकर दवा लेनी होती है | परहेज के रूप मे गुड, तेल और खटाई वर्जित है |


पहुच मार्ग

दिल्ली से राजगढ़ जाने के लिए पहले भोपाल जाना चाहिए | भोपाल से राजगढ़ लगभग १३५ किलोमीटर है | भोपाल से जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर राजगढ़ है और लगातार बसे चलती रहती है | टैक्सी से भी राजगढ़ जाया जा सकता है | टैक्सी से ३ घंटे और बस से ४ घंटे मे राजगढ़ पहुचा जा सकता है | यदि मांगीलाल राजगढ़ मे न मिले तो उनके गाव तक भी जा सकते है | राजगढ़ जिला मुख्यालय है | यहा से दिलवारा से लिए टैक्सी से जा सकते है यह दूरी लगभग ८० किलोमीटर की है | सप्ताह मे दो दिन रविवार और बुधवार को मांगीलाल राजगढ़ मुख्यालय मे दवा देते है | मुख्यालय राजगढ़ बस अड्डे पर है | सप्ताह के शेष दिन दिलावरा अपने गाव मे दवा देते है |

 

दवा मिलने का पता

मांगीलाल ने राजगढ़ बस अड्डे पर एक कमरा बनवाया है | उसी स्थान पर वह रविवार और बुधवार को बैठते है | रोगियो को दावा आसानी से मिले इसके लिए मांगीलाल मे स्थानीय विकेताओ को अधिकार दिया है की वह दवा के पैकेट बैचे | दवा की कीमत एकदम कम और निर्धारित है | प्रत्येक पैकेट मे से बहुत थोड़ी ही रकम मांगीलाल जन सेवा के लिए रखते है | मेडतवाल ट्रेडर्स और लक्ष्मीचन्द्र जाटव पूरे सप्ताह राजगढ़ मे दवा वितरित करते है | ये दोनो रहगढ़ बस अड्डे पर ही है | निश्चित की हुई तिथियो को मांगीलाल प्रात: ७ बजे से ५ बजे तक राजगढ़ (ब्यावरा) मे पुलिस चौकी, बस स्टैंड के पास मिलते है |         

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